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संत पापा द्वारा राजदूतों को वार्ता हेतु प्रोत्साहन

संत पापा फ्राँसिस ने परमधर्मपीठ के लिए 10 नये राजदूतों का स्वागत किया तथा रचनात्मक वार्ता की भावना में मानवीय समस्याओं के ठोस समाधान का प्रस्ताव देने के लिए कलीसिया की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 13 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 13 दिसम्बर को वाटिकन के क्लेमेंटीन सभागार में, परमधर्मपीठ के लिए स्वीटजरलैंड, माल्टा, बाहामास, कापो वेरदे, एस्तोनिया, आइसलैंड, तुर्कमेनिस्तान, ग्रेनाडा, कतार एवं जाम्बिया के राजदूतों से मुलाकात की तथा उनका प्रत्यय पत्र स्वीकार किया।

अतीत से सीख

संत पापा ने प्रथम विश्व युद्ध के अंत की एक सौवीं वर्षगाँठ की याद दिलाते हुए कहा कि उस भयंकर त्रासदी को मेरे पूर्वाधिकारी संत पापा बेनेडिक्ट 15वें ने "मूर्खतापूर्ण नरसंहार" की संज्ञा दी थी। 20वीं सदी में सामना किये गये, दो युद्धों जिनके फलस्वरूप संयुक्त राष्ट्रसंघ का गठन हुआ, जो दुनिया को आज भी संदेश देता है कि हिंसक संघर्ष निरर्थक है एवं उसका समाधान केवल धीरजपूर्ण वार्ता एवं समझौता द्वारा ही किया जा सकता है।

संत पापा ने राजदूतों के मिशन की शुभकामनाएँ देते हुए कहा, "मेरी प्रार्थनामय शुभकामना है कि अपने देशों ने लिए आपने जो मिशन चुना है वह न्याय और उदारता के आधार पर शांति प्राप्त करने और इसे पाने के आवश्यक साधनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य को सहयोग प्रदान करे।"

मानव प्रतिष्ठा एवं अधिकारों का सम्मान

वर्ष 2018 में अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने संयुक्त राष्ट्रसंघ के मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा को अपनाने की 70वी. सालगिरह मनाई। यह आधारभूत दस्तावेज वैश्विक कूटनीति के प्रयासों को हमारी दुनिया में शांति सुरक्षित करने और प्रत्येक व्यक्ति और सभी लोगों के सतत् विकास को बढ़ावा देने के लिए जारी रहे।

संत पापा ने कहा कि इन दोनों लक्ष्यों को अलग नहीं किया जा सकता। घोषणा के  पहले वाक्य में ही कहा गया है, "मानव परिवार के सभी सदस्यों के अंतर्निहित गरिमा एवं समान तथा अपरिहार्य अधिकारों की मान्यता, दुनिया में स्वतंत्रता, न्याय और शांति की नींव है।"

संत पापा ने कहा कि इस राजनीतिक एवं सामाजिक बदलाव के समय में, सरकार एवं जनता की ओर से, इस सिद्धांत के प्रति प्रतिबद्धता में कमी नहीं आनी चाहिए। यह जरूरी है कि मानव गरिमा और मानवाधिकारों के प्रति सम्मान तथा युद्ध एवं सशस्त्र संघर्ष की गंभीर परिस्थितियों को दूर करने, गरीबी, भेदभाव और असमानता को कुचलने के लिए हर संभव प्रयास को प्रेरित किया जाए, और हाल के वर्षों में गहराये पलायन के संकट पर रोक लगाने का प्रयास किया जाए। उस वैश्विक मुद्दे को दबाए जाने के लिए कोई भी प्रभावी मानवीय समाधान हमारी नैतिक जिम्मेदारी को अनदेखा नहीं कर सकता, जिसमें आम लोगों के लिए उचित सम्मान के साथ, उन लोगों का स्वागत, संरक्षण, प्रचार और एकीकृत करना है और जो अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य की तलाश में हमारे दरवाजे पर दस्तक देते हैं।

कलीसिया की प्रतिबद्धता

कलीसिया अपनी ओर से, एक रचनात्मक वार्ता में हर जिम्मेदार व्यक्ति के साथ काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसका लक्ष्य है कि इसका ठोस समाधान प्रस्तावित किया जाए तथा पीड़ा को कम करने और एक प्रामाणिक एवं सतत् विकास को आगे बढ़ाने हेतु मानव जीवन और गरिमा को बचाने के लक्ष्य के साथ, अन्य तत्कालिक मानवीय समस्याओं पर विचार किया जाए।

संत पापा ने सभी राजदूतों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि जब वे परमधर्मपीठ के लिए अपने मिशन की शुरूआत कर रहे हैं, "मैं उन्हें अपनी प्रार्थनाओं तथा उनकी जिम्मेदारी के निर्वाहन में रोमन कूरिया के सहयोग का आश्वासन देता हूँ।" संत पापा ने उनपर तथा सभी देशवासियों एवं उनके परिवार वालों पर ईश्वर के आनन्द एवं शांति के आशीष की कामना की।

    

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13 December 2018, 15:35