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देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस  

मरियम के निष्कलंक गर्भागमन पर्व दिवस पर संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 8 दिसम्बर को संत मरियम के निष्कलंक गर्भागमन पर्व दिवस पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने उपस्थित विश्वास को संदेश दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "आज का ईश वचन हमारे लिए एक विकल्प प्रस्तुत करता है। पहले पाठ में मनुष्य ईश्वर को "नहीं" कहता है और सुसमाचार में देवदूत संदेश में मरियम ईश्वर को "हाँ" कहती है। इन दोनों पाठों में ईश्वर ही मनुष्यों की खोज करते हैं। पहले पाठ में आदम के पाप करने के बाद उसके पास जाता और कहता है, "तुम कहाँ हो?" (उत्पति 3,9) और वह जवाब देता है "मैं छिप गया हूँ" (पद 10)

मरियम निष्कलंक थी

दूसरे पाठ में वे मरियम के पास जाते हैं जो निष्पाप है और उत्तर देती है, "देखिये मैं प्रभु की दासी हूँ।" (लूक, 1:38) वह छिपती नहीं बल्कि अपने आप को ईश्वर के सामने खोलती है। संत पापा ने कहा कि पाप बंद करता, अकेला छोड़ देता एवं व्यक्ति अपने को सभी से दूर कर लेता है।

उन्होंने कहा कि "मैं प्रस्तुत हूँ" कहना, जीवन की कुँजी के समान है। यह जीवन की पड़ी रेखा जो अपने आप में केंद्रित होती तथा अपनी ही आवश्यकताओं की चिंता करती है उसे खड़ी रेखा में, ईश्वर की ओर बदल देता है। ईश्वर के लिए तत्पर होना आत्मत्याग का केंद्रविन्दु है जिसके लिए खोना पड़ता है। संत पापा ने कहा कि आदि पाप की औषधि यही है जो अंदर से युवा बने रहने की चिकित्सा है। हमें विश्वास करना है कि ईश्वर हमसे ज्यादा इसे महत्व देते हैं। अतः हमें उनके विस्मय के प्रति विनम्र होना चाहिए ताकि हम कह सकें, "उन्हें अर्पित की जाने वाली सबसे महान स्तुति मेरे द्वारा हो।" हर प्रातः हमारे लिए यह कहना अच्छा है, "प्रभु मैं प्रस्तुत हूँ आज आपकी इच्छा मुझ में पूरा हो।"

मरियम ने ईश्वर पर भरोसा रखा

मरियम ने कहा, "आपका कथन मुझमें पूरा हो।" वह नहीं कहती है कि यह मेरी इच्छा के अनुसार हो किन्तु कहती है कि आपकी इच्छा पूरी हो। उन्होंने ईश्वर को सीमित करने का चुनाव नहीं किया और न ही उनके वचन को स्वीकार करने के बाद अपने मन अनुसार चली, परन्तु उन्होंने हर दृष्टिकोण से ईश्वर पर पूर्ण भरोसा रखा। यही उनके जीवन का रहस्य है।

जब हम आदम की तरह ईश्वर को इन्कार करते हैं तब ईश्वर को बहुत दुःख होता है जो अत्यन्त दयालु हैं और अपने बेटे-बेटियों को भरोसा दिलाना चाहते हैं। संत पापा ने कहा कि कई बार हम उनपर संदेह करते है। हम चाहते हैं कि वे हमें चिन्ह प्रदान करें जो हमारी स्वतंत्रता को छीन लेता और हमें उनसे दूर कर देता है। यही सबसे बड़ा धोखा है, अपना मूल खो देना है, यह शैतान का प्रलोभन है जो ईश्वर पर भरोसा नहीं रखने का संकेत देता है। माता मरियम ने मैं प्रस्तुत हूँ कहने के द्वारा इस प्रलोभन पर विजय पायी और आज हम उसकी सुन्दरता को निहारते हैं जो निष्पाप जन्मी और जीवनभर पाप नहीं किया।

कठिन परिस्थिति में अकेला

मरियम ईश्वर के प्रति हमेशा दीन एवं पारदर्शी बनी रही। इसका अर्थ यह नहीं है कि उनके लिए जीवन आसान था। ईश्वर के साथ होना, जादू की तरह सारी समस्याओं का हल नहीं कर देता। सुसमाचार पाठ बतलाता है कि देवदूत उनके पास से चला गया। वह उनके पास से "चला गया" कहने का गूढ़ अर्थ है कि देवदूत ने कुँवारी मरियम को एक कठिन परिस्थिति में अकेला छोड़ दिया। वह जानता था कि मरियम किस तरह ईश्वर की माता बनेगी किन्तु उसने इसके बारे दूसरों को नहीं बतलाया जिसके कारण मरियम के लिए तुरन्त समस्या खड़ी हो गयी। जोसेफ के कष्टों की याद करें जिन्होंने लोगों की टीका-टिप्पणी को सोचकर चुपचाप मरियम को त्याग देने की बात सोचने लगा किन्तु मरियम ने इन सभी समस्याओं के सामने प्रभु पर भरोसा रखा। वे देवदूत द्वारा छोड़ दी गयीं किन्तु उन्हें विश्वास था ईश्वर उनमें निवास करते हैं। वे निश्चिंत थी कि अनापेक्षित तरीके से ही सही किन्तु सब कुछ सही होगा। यही विवेकशील मनोभाव है। उसी तरह हमें भी समस्याओं पर आधारित होकर नहीं जीना किन्तु ईश्वर पर हर दिन भरोसा रखना और उनसे कहना चाहिए, मैं प्रस्तुत हूँ।

हम धन्य कुँवारी मरियम से उनके समान जी सकने की कृपा के लिए प्रार्थना करें।

संत पापा ने संदेश के अंत में देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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08 December 2018, 14:43