देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस  

येसु के स्वागत हेतु अपना हृदय द्वार खोलें, संत पापा

आज से आगमन काल की शुरूआत हो रही है जो ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी का अवसर है यह निमंत्रण दे रही है कि हम अपनी नजर उठायें तथा येसु का स्वागत करने के लिए अपना हृदय द्वार खोलें। यह लोगों के लिए इन्तजार की घड़ी है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 3 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में 2 दिसम्बर, आगमन काल के प्रथम रविवार को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वसियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आज से आगमन काल की शुरूआत हो रही है जो ख्रीस्त जयन्ती की तैयारी का अवसर है यह निमंत्रण दे रही है कि हम अपनी नजर उठायें तथा येसु का स्वागत करने के लिए अपना हृदय द्वार खोलें। यह लोगों के लिए इन्तजार की घड़ी है।

आगमन काल में जागते रहने का निमंत्रण

संत पापा ने कहा, "आगमन काल में हम न केवल ख्रीस्त जयन्ती का इन्तजार करते बल्कि ख्रीस्त के महिमामय आगमन के इन्तजार हेतु जागते रहने का निमंत्रण प्राप्त करते हैं ताकि समय के अंत में जब वे आयेंगे, तब हम उनके साथ साहस पूर्वक मुलाकात करने हेतु तैयार रह सकें। आइये, हम ख्रीस्त जयन्ती की याद करें, ख्रीस्त के महिमामय आगमन की याद तथा हमारे व्यक्तिगत मुलाकात की भी जब प्रभु हमें अपने पास बुलायेंगे।" इन चार सप्ताहों में हम अपने जीवन की आदतों से बाहर निकलने तथा अपने से बाहर निकलकर नये भविष्य की आशाओं एवं उम्मीदों से भरने के लिए बुलाये जाते हैं।  

संत पापा ने सुसमाचार पर चिंतन करते हुए कहा, "इस रविवार का सुसमाचार पाठ  (लूक. 21:25-28.34-36) इस दिशा में आगे बढ़ने तथा एक उदासीन जीवन शैली को अपनाने के खिलाफ चेतावनी देता है।" येसु जोर देकर कहते हैं, "सावधान रहो। कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिंताओं से तुम्हारा मन कुंठित हो जाए और वह दिन फंदे की तरह अचानक तुम पर न आ गिरे... इसलिए जागते रहो और प्रार्थना करते रहो।" (पद. 34.36)

आंतरिक निंद्रा थकान, उदासी एवं निराशा का कारण

संत पापा ने कहा कि आज से लेकर ख्रीस्त जयन्ती तक हमें जागते रहना एवं प्रार्थना करते रहना है। अपनी समस्याओं, अपने आनन्द एवं दुःख के साथ अपने आप में बंद रहने से आंतरिक निंद्रा उत्पन्न होती है जो जीवन में थकान, उदासी एवं निराशा लाती है। उदासीनता एवं आलस्य की जड़ यही है जिसका जिक्र सुसमाचार करता है। आगमन काल हमें एक जागरूक प्रतिबद्धता, अपने आप से बाहर देखने, हमारी सोच को विस्तृत करने तथा दूसरे लोगों की जरूरतों को पूरा करने हेतु अपने हृदय को खोलने एवं नई दुनिया की चाह रखने का निमंत्रण देता है। यह उन अनेक लोगों की चाह है जो भूख, अन्याय तथा युद्ध से पीड़ित हैं तथा गरीब, कमजोर एवं परित्यक्त हैं। यह हमारे हृदय को खोलने तथा अपने आप से पूछने का बिल्कुल सही वक्त है कि हम अपना जीवन कहाँ खर्च करें।  

 प्रार्थना द्वारा प्रभु का इंतजार

आगमन काल को अच्छी तरह जीने के लिए दूसरा मनोभाव है प्रार्थना द्वारा प्रभु का इंतजार करना। "उठकर खड़े हो जाओ और अपना सिर ऊपर उठाओ, क्योंकि तुम्हारी मुक्ति निकट है।" (पद. 28) यहाँ संत लूकस रचित सुसमाचार हमें सावधान कराता है। इसका अर्थ है कि हमें उठना और प्रार्थना करना है, अपने मन और हृदय को येसु की ओर मोड़ना है जो हमारे पास आ रहे हैं। यदि हम किसी व्यक्ति अथवा चीज का इंतजार करते हैं तब हम जागते हैं। उसी तरह जब हम येसु का इंतजार कर रहे हैं तो हमें प्रार्थना में उनका इंतजार करना चाहिए जिसके लिए जागने की जरूरत है।

यदि हम ख्रीस्त जयन्ती को हमारे उपभोक्तावादी परिवेश में सोचेंगे कि मैं क्या खरीद सकता हूँ अपने लिए एवं दूसरों के लिए और यदि हम उसे एक दुनियावी त्योहार की तरह मनाना चाहेंगे तो येसु गुजर जायेंगे और हम उनसे मुलाकात नहीं कर पायेंगे। अतः येसु का इंतजार करने हेतु हमें प्रार्थना द्वारा जागते रहने की आवश्यकता है।

येसु न्यायपूर्ण शासन करते हैं

संत पापा ने चिंतन हेतु प्रेरित करते हुए कहा, हमारे प्रार्थनामय इंतजार का क्षितिज क्या है? धर्मग्रंथ में नबियों की आवाज इसका संकेत देती है। निर्वासन में रह रहे लोग जो अपनी पहचान खोने की जोखिम में थे उन्हें येरेमियस ने कड़ी चेतावनी दी थी। हम ख्रीस्तीय जो ईश्वर की प्रजा हैं हम भी अपनी पहचान खोने की जोखिम उठाते हैं जब हम हमारे जीवन को गैर-विश्वासियों की तरह जीने लगते हैं। अतः हमें भी ईश्वर के उस वचन पर ध्यान देने की आवश्यकता है जिसका उच्चारण नबी करते हैं, "देखो, वे दिन आ रहे हैं जब मैं यूदा और इस्राएल के घराने के प्रति अपनी प्रतिज्ञा पूरी करूंगा।...मैं दाऊद के लिए एक धर्मी वंशज उत्पन्न करूँगा जो देश पर न्यायपूर्ण शासन करेगा।"(येरेमियस 33:14-15) और वह वंशज हैं येसु। वही येसु आ रहे हैं और हम उनका इंतजार कर रहे हैं।

ख्रीस्त की प्रतिज्ञा पर आशा बनाये रखने हेतु प्रार्थना

धन्य कुँवारी मरियम, जिन्होंने हमारे लिए येसु को प्रदान किया, वे इंतजार एवं प्रार्थना की नारी हैं, हमें अपने पुत्र येसु ख्रीस्त की प्रतिज्ञा पर आशा बनाये रखने हेतु सहायता करे। हमें यह महसूस कर पाने में सहायता दे कि इतिहास में यात्रा करने के द्वारा येसु हमेशा विश्वस्त बने रहे तथा मनुष्यों की गलती को माफ करने के द्वारा उन्होंने अपनी दया प्रकट की।  

इतना कहने के बाद संत पापा फ्राँसिस ने भक्त के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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03 December 2018, 15:22