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रविवार को देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा रविवार को देवदूत प्रार्थना का पाठ करते संत पापा 

माता मरियम विश्वास एवं उदारता की आदर्श

आगमन काल के चौथे रविवार की धर्मविधि कुँवारी माता, मरियम पर प्रकाश डालती है जो दुनिया के मुक्तिदाता, येसु को जन्म देने का इंतजार कर रही थी। हम उनपर गौर करें, वे विश्वास एवं उदारता की आदर्श हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 24 दिसम्बर 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 24 दिसम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

आगमन काल के चौथे रविवार की धर्मविधि कुँवारी माता, मरियम पर प्रकाश डालती है जो दुनिया के मुक्तिदाता, येसु को जन्म देने का इंतजार कर रही थी। हम उनपर गौर करें, वे विश्वास एवं उदारता की आदर्श हैं। हम अपने आप से पूछें कि इंतजार के इस महीना में मेरा सोच क्या था? इसका उत्तर आज के सुसमाचार पाठ में मिलता है। जहाँ मरियम की कहानी है जो अपनी कुटुम्बनी इलिजाबेथ से भेंट करने जाती है। (लूक. 1: 39-45). गाब्रिएल दूत ने संदेश में बतलाया था कि इलिजाबेथ गर्भवती है "देखिए, बुढ़ापे में आपकी कुटुम्बिनी एलीजबेथ के भी पुत्र होने वाला है। अब उसका, जो बाँझ कहलाती थी, छठा महीना हो रहा है।" (लूक. 1: 26.36).

धन्य हैं आप, जिन्होंने यह विश्वास किया

तब कुँवारी जिन्होंने ईश्वर की योजना अनुसार येसु को गर्भ में धारण किया था, वह शीघ्र ही गलिलिया के नाजरेथ से पहाड़ी प्रदेश यूदा के लिए चल पड़ी और अपनी कुटुम्बनी एलिजाबेथ से भेंट की।

सुसमाचार बतलाता है कि "उसने जकरियस के घर में प्रवेश कर एलीजबेथ का अभिवादन किया।" (पद. 40) संत पापा ने कहा कि बदले में एलिजाबेथ का अभिवादन ''आप नारियों में धन्य हैं और धन्य है आपके गर्भ का फल! मुझे यह सौभाग्य कैसे प्राप्त हुआ कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आयीं?" से स्पष्ट होता है कि वह माँ बनने के लिए निश्चय ही खुश थी। (पद.42-43) और एलिजाबेथ ने तुरन्त उसके विश्वास की सराहना की, "और धन्य हैं आप, जिन्होंने यह विश्वास किया कि प्रभु ने आपसे जो कहा, वह पूरा हो जायेगा!'' (पद.45)

संत पापा ने कहा कि यहाँ स्पष्ट पता चलता है कि मरियम को पूरा विश्वास था जबकि एलिजाबेथ के पति जकारियस को संदेह, जिसने स्वर्गदूत के संदेश पर विश्वास नहीं किया और जिसके कारण योहन के जन्म तक गूँगा बना रहा।

ईश्वर के साथ हमारी मुलाकात विश्वास का परिणाम

यह दृश्य हमें मनुष्य का ईश्वर के साथ मुलाकात के रहस्य को एक विशेष आलोक में समझने में मदद देता है। एक मुलाकात जो अद्भुत कौतुक के बैनर तले नहीं, बल्कि विश्वास और उदारता के नाम पर किया जाता है। जकारिया जिसने संदेह किया तथा विश्वास नहीं कर सका, वह बहरा और गूँगा बनकर रह गया। संत पापा ने कहा कि लम्बे मौन के दौरान विश्वास में बढ़ने के लिए, विश्वास के बिना हम ईश्वर की सांत्वाना भरे शब्दों से वंचित रह जाते हैं, साथ ही, अपने भाई बहनों के लिए भी सहानुभूति एवं आशा के शब्दों का उच्चारण करने में असमर्थ हो जाते हैं। हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं कि जो लो विश्वास नहीं करते अथवा जिनका विश्वास कम है, जब वे पीड़ित लोगों से मुलाकात करते हैं, तब वे सिर्फ हालत की बात करते किन्तु उनके हृदय तक नहीं पहुँचते हैं क्योंकि उनके पास उतनी शक्ति नहीं होती। उनके पास शक्ति का अभाव है क्योंकि वे विश्वास नहीं करते और विश्वास नहीं करने के कारण उनके शब्द हृदय तक नहीं पहुँच पाते हैं।

 विश्वास उदारता द्वारा पोषित होता है

दूसरी ओर, विश्वास उदारता द्वारा पोषित होता है। सुसमाचार लेखक बतलाते हैं कि "मरियम उठी और शीघ्रता से चल पड़ी।" (पद. 39)  संत पापा ने कहा कि वह शीघ्रता से चल पड़ी किन्तु उसमें चिंता अथवा परेशानी की कोई बात नहीं थी और वह शांति पूर्व जल्दी से चली गयी। "शीघ्र चल पड़ना" दूसरों के प्रति चिंता को दर्शाता है वह घर पर रहकर अपने बेटे के जन्म की तैयारी कर सकती थी किन्तु वह अपने से बढ़कर दूसरों की मदद करती है। यह दिखलाता है कि उसने अपने गर्भ में जिस प्रभु को धारण किया था, वह उनकी शिष्य बन चुकी थी। इस तरह येसु के जन्म की घटना की शुरूआत उदारता के कार्य से होती है। सच्ची उदारता हमेशा ईश्वर के प्रेम का फल होता है।

"खुद" को नहीं बल्कि भाई बहनों की आवश्यकता को केंद्र में

मरियम का एलिजाबेथ से मुलाकात करने की घटना का वर्णन जिसको हमने सुसमाचार में सुना है हमें ख्रीस्त जयन्ती को अच्छी तरह मनाने में मदद देता है। हमें विश्वास एवं उदारता में बढ़ने हेतु प्रेरित करता है। प्रेरित करने का कार्य पवित्र आत्मा का है जो प्रेम का आत्मा है जिसने कुँवारी मरियम के गर्भ को निषेचित किया तथा जिसने उनकी वृद्ध कुटुम्बनी की सेवा करने का निमंत्रण दिया। यह प्रेरणा आनन्द से भर देता है जब हम दो माताओं के बीच मुलाकात को देखते हैं। वे आनन्द से प्रभु की स्तुति करते हैं जिन्होंने छोटे लोगों को जो उन पर विश्वास करते हैं महान वरदान प्रदान किया है।

धन्य कुँवारी मरियम हमारे लिए एक बहिर्मुखी क्रिसमस मनाने की कृपा प्राप्त करे जो बिखरा हुआ न हो और न ही "खुद" को बल्कि येसु को केंद्र में रखे। उन भाई बहनों पर ध्यान दे जिन्हें मदद की आवश्यकता है। तभी हम प्रेम के लिए स्थान छोड़ सकेंगे जो हमारे बीच आने के लिए आज भी शरीरधारण करना चाहते हैं।

इतना कहन के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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24 December 2018, 14:57