मनिला में मानव अधिकार दिवस पर विरोध प्रदर्शन मनिला में मानव अधिकार दिवस पर विरोध प्रदर्शन 

मानव अधिकार पहले, भले ही धारा के विपरीत जाना पड़े,संत पापा

मानवाधिकार दिवस को चिह्नित करते हुए, संत पापा फ्राँसिस ने मानवाधिकारों पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को दिये गये एक संदेश में सभी नीतियों के केंद्र में मानवाधिकार को रखने का आग्रह किया।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 10 दिसम्बर 2018 (रेई) : परमधर्मपीठीय समिति के समग्र मानव विकास विभाग और परमधर्मपीठीय ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय के तत्वधान में 10 और 11 दिसम्बर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन "समकालीन दुनिया में मानवाधिकार: उपलब्धियां, अनुपस्थिति, अस्वीकृति", विषय पर संयुक्त राष्ट्र के मानव अधिकारों के विश्वव्यापी घोषणा के 70वीं सालगिरह एवं वियना घोषणा के कार्यक्रमों की कार्यवाही के 25 वर्षों को चिन्हित करने के लिए ग्रेगोरियन विश्वविद्यालय में सम्मेलन आयोजित किया गया है।

हर एक को समान मानवअधिकार

संत पापा फ्राँसिस के संदेश को परमधर्मपीठीय समिति के समग्र मानव विकास विभाग के अध्यक्ष कार्डिनल पीटर टर्कसन ने सम्मेलन में पढ़ सुनाया। अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि वे दो विभिन्न धटनाओं की याद में मनाये जा रहे समारोह से अवगत हैं, "राष्ट्रों का परिवार, हर इंसान की समान गरिमा को स्वीकार करता है।" संत पापा ने कहा कि ये अधिकार "विश्व्यापी, अविभाज्य, परस्पर निर्भर और आपस में जुड़े हुए हैं " और वे मानव के "शरीर और आत्मा की अविभाज्य एकता" के रूप में निहित हैं।

संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए हर व्यक्ति के सम्मान पर चिंतन करने का अवसर है कि समकालीन समाज में हर व्यक्ति के अधिकार का सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि "हमारे समुदायों के सबसे कमजोर सदस्यों का विशेष ध्यान देना चाहिए।" वास्तव में, हमारे समकालीन समाज में हमें कई विरोधाभासों का सामना करना पड़ता है जो हमें खुद से पूछने के लिए प्रेरित करता है कि क्या संयुक्त राष्ट्र की घोषणा " मान्यता प्राप्त, सम्मानित, संरक्षित और हर परिस्थिति में स्वीकार्य है?"

मानव गरिमा नकारा नहीं जा सकता

संत पापा ने कहा कि आज अन्याय के कई रूप "निरंतर मनोवैज्ञानिक दृष्टि से पोषित हैं और लाभ के आधार पर एक आर्थिक मॉडल द्वारा जो मनुष्य का शोषण करने, नजरअंदाज करने और यहां तक कि मार डालने में भी संकोच नहीं करता है।" जबकि कई लोग धनी हैं, कई अन्य लोग "अपनी गरिमा को अनदेखा होते देखते हैं, उनका तिरस्कार किया जाता है और उनके सबसे बुनियादी अधिकारों को अनदेखा या उल्लंघन किया जाता है।" संत पापा उन लोगों को नहीं भूल सकते जो सशस्त्र संघर्ष की त्रासदी के पीड़ित हैं, " बेईमान शरीर का व्यापार करने वाले व्यापारी, जो अपने भाइयों और बहनों के खून की कीमत पर धनी बनते हैं"।

संत पापा ने कहा कि, "हमारे संबंधित पदों के दायरे में हम सभी "साहस और दृढ़ संकल्प के साथ अपना योगदान" देने के लिए बुलाये गये हैं। "विशेष रूप से हम ख्रीस्तीय" जिनके लिए "न्याय और एकजुटता" एक विशेष अर्थ रखता है। सुसमाचार हमें "करुणा से आगे बढ़ने" के लिए आमंत्रित करता है जिससे हम अपने कमजोर भाइयों और बहनों की ओर देखें और "उनकी पीड़ा को कम करने हेतु ठोस प्रयास करें।"

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10 December 2018, 16:26