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आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा  

ख्रीस्त जयंती का आश्चर्य

संत पापा फ्रांसिस ने बुधवारीय आमदर्शन समारोह में ख्रीस्त जयंती पर धर्मशिक्षा प्रदान की।

दिलीप संजय एक्क-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पापा पौल षष्टम के सभागार में विभन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को ख्रीस्त जयंती पर धर्मशिक्षा देते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

आज से छः दिन बाद हम ख्रीस्त जयन्ती मनायेंगे। सभी ओर ख्रीस्तमस ट्री, श्रृंगार और दीप हमें इस बात की याद दिलायी है कि इस साल भी त्योहार मनाया जायेगा। विज्ञापनों के द्वारा हमें सदा नये उपहारों को पाने का आश्चर्य दिया जा रहा है। संत पापा ने कहा, “लेकिन क्या ईश्वर ऐसे त्योहार से खुश होते हैंॽ वे किस तरह का त्योहार पसंद करते और हमें कौन-सा उपहार और आश्चर्य से भरते हैंॽ

आश्चर्य से भरा था प्रथम ख्रीस्त जयंती

आइए हम ईश्वर की चाह को जानने हेतु ख्रीस्त जयंती के प्रथम इतिहास की ओर दृष्टि डालें। वह ख्रीस्तमस  अपने में आश्चर्यों के भरा था। हम माता मरियम से शुरू करते हैं, जो योसेफ की दुल्हन बनने वाली थी जिसके पास स्वर्गदूत आते और उनके जीवन को बदल देते हैं। वह कुंवारी से माता बन जाती है। यह योसेफ से साथ भी होता है जो पिता बनने हेतु बुलाये जाते हैं। मरियम और योसेफ की मंगनी उपरांत उनके एक साथ रहने के पूर्व ही आशातीत एक पुत्र हमारे बीच आते हैं। योसेफ जो अपने में एक धर्मी व्यक्ति था मरियम को बदनाम नहीं करने के उद्देश्य से उसे चुपके से त्याग देने की बात सोच रहा था। इसी बीच एक दूसरी आश्चर्यजनक बात होती है, ईश्वर सपने में आकर योसेफ से अपने विचारों को बदले हेतु कहते और मरियम को अपने यहाँ लाने का संदेश देते हैं। इस भांति येसु का जन्म होता है और योसेफ अपने परिवार की देख-रेख करने की योजना बनाते हैं लेकिन पुनः सपने में उनसे यह कहा जाता है कि वह मिस्र देश को चला जाये। संत पापा ने कहा कि संक्षेप में कहा जाये तो ख्रीस्त जयंती हमारे जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन लाती है। उन्होंने कहा कि यदि हम ख्रीस्त जयंती को मनाना चहाते हैं तो हम अपने हृदय को खोलें और आश्चर्यचकित होने को तैयार रहें क्योंकि यह हमारे जीवन में हमारी आशाओं के परे परिवर्तन लाती है।

ख्रीस्त जयंती की रात आश्चर्य भरी

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तमस की रात हमारे लिए सबसे बड़ा आश्चर्य होता है जहाँ हम सर्वोच्च ईश्वर को छोटे बालक के रुप में पाते हैं। ईश्वरीय दिव्य वाणी को हम एक बालक के रुप में पाते हैं जो वास्तव में “शब्दविहीन” हैं। ईश्वरीय दिव्य शब्द अपने में “बोलने को असमर्थ” है। मुक्तिदाता के स्वागत हेतु उस समय के कोई अधिकारी या राज्यपाल वहाँ उपस्थित नहीं हैं। कुछ चरवाहे हैं जो रात पहर में अपना कार्य कर रहे होते जो स्वर्गदूतों के द्वारा आश्चर्यचकित किये जाने पर बालक को देखने हेतु शीघ्रता से दौड़ पड़ते हैं। किसने इसकी आशा की होगीॽ ख्रीस्तसम अप्रकाशित ईश्वर का त्योहार है जो हमारे तर्क और उम्मीदों को उल्ट देता है।

ख्रीस्तमस नये सदी की शुरूआत

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तमस इस तरह धरती पर स्वर्ग के आश्चर्य का स्वागत करना है। स्वर्ग के संदेश का धरती पर उतर आना धरती को बदल देता है। ख्रीस्त जयंती एक नये सदी की शुरूआत करती है जहाँ हम जीवन को योजनाबद्ध नहीं पाते वरन यह हमें अपने जीवन को अपने लिए नहीं, अपने स्वाद के अनुरूप नहीं वरन अपने जीवन को ईश्वर के लिए और ईश्वर के साथ जीने को प्रेरित करता है क्योंकि ख्रीस्तमस में हम ईश्वर को अपने साथ पाते हैं। वे हमार साथ रहते और हमारे साथ चलते हैं। ख्रीस्तमस हमें अपने आश्चर्यजनक नवीनता से झकझोर देती है। येसु का जन्म हमें आग रुपी गर्मी नहीं वरन् दिव्य कहानी हमें हिला कर रख देती है। ख्रीस्त जयंती घमंड पर नम्रता, प्रचुरता पर साधारण, शोरगुल के बदले शांति की प्रार्थना का प्रतिकार है जहाँ हम अपने को ईश्वर के साथ संयुक्त करते हैं।  

ख्रीस्तमस की मांग

ख्रीस्त जंयती मनाना हमें येसु की तरह उनके बीच जाने की मांग करता है जो हमारी जरुरत के समय में आते हैं। यह हमें मरियम की तरह विश्वास में ईश्वर की बातों को नहीं समझने पर भी कि वे हमारे साथ क्या करने वाले हैं उनके प्रति दीन-हीन बने रहने की मांग करती है। यह हमें योसेफ की तरह होने की मांग करता है जो उठते और ईश्वर की इच्छा अनुसार कार्य करते हैं यद्यपि यह हमारी योजनाओं के अनुसार नहीं होती है। संत योसेफ को हम सुसमाचार में आश्चर्य के रुप में पाते हैं जो कभी नहीं बोलते हैं। हम सुसमाचार में उनके बारे कोई विवरण नहीं सुनते हैं लेकिन ईश्वर शांति में उनसे बातें करते हैं। वे उनकी निंद्रा में उनसे बातें करते हैं। ख्रीस्त जयंती हमें भौतिकतावाद के शोरगुल के बदले ईश्वर के शांतिमय वचनों का चुनाव करने को कहती है। यदि हम चरनी के सामने शांति में रहें तो ख्रीस्त जयंती हमें भी आश्चर्यचकित करेगी जिसे हमने पहले कभी नहीं देखा है। ख्रीस्तमस हमें चरनी के सामने शांति में खड़ा रहने का निमंत्रण देता है। संत पापा ने कहा कि आप थोड़ा समय निकल कर चरनी के सामने शांति में खड़ा हों और आप अपने में एक आश्चर्य को देख और सुन पायेंगे।

खेद की बात

हमारे लिए लेकिन खेद की बात यह है कि हम अपने लिए स्वर्गीय संदेश के बदले महोत्सव और दुनियावी चीजों का चुनाव करते हैं। यदि ख्रीस्तमस को हम केवल एक अच्छा पारंपरिक पार्टी के रुप में देखते तो मुक्तिदाता हमारे जीवन का क्रेन्द नहीं रह जाते हैं। हम उन्हें खो देते हैं। संत पापा ने सभों से अनुरोध करते हुए कहा, “कृपया हम ख्रीस्त जयंती को आधुनिक न बनायें, हम त्योहार को अपने से अलग न करें जैसे कि मुक्तिदाता के आगमन में हुआ था, “वे अपनों के बीच आये, लेकिन उनके अपनों ने उन्हें नहीं अपनाया।”(यो.1.11) अपने प्रथम अगमन पर येसु हमें इस बात से सचेत कराते हैं, “सावधान रहो, कहीं ऐसा न हो कि भोग-विलास, नशे और इस संसार की चिंताओं से तुम्हारा मन कुण्ठित हो जाये।”(लूका. 21.34) संत पापा ने कहा कि इन दिनों हम अपने को साल भर से अधिक व्यस्त पाते हैं। लेकिन येसु की चाह ठीक इसके विपरीत है। हम अपने जीवन की व्यस्ततम चीजों को कोसते हैं, दुनिया अपने में तेजी से भागती है। लेकिन येसु दुनिया को दोष नहीं देते हैं, वे हमें दुनिया में उलझने को नहीं कहते हैं वरन सर्तकता में सदा प्रार्थना करने का निर्देश देते हैं।

ख्रीस्तमस की अर्थपूर्णता

संत पापा ने कहा, “ख्रीस्तमस हमारे लिए तब अर्थपूर्ण होगा जब हम योसेफ की भांति शांति में बने रहेंगे, मरियम की तरह यह हम प्रभु से कहेंगे,“देख मैं प्रभु की दासी हूँ”, येसु की तरह हम अपने को उनके निकट लायेंगे जो अपने में अकेले हैं, चरवाहों की तरह अपने बाड़ों को छोड़ हम येसु से मिलने के लिए जायेंगे। हमारे लिए ख्रीस्तमस का अर्थ तब होगा जब हम बेतलेहेम की छोटी गुफा में प्रकाश को पायेंगे। यदि हम अपने को दुनिया की चमक में देखने का प्रयास करेंगे, अपने को उपहारों से भर देंगे, अपने लिए अच्छा भोज तैयार करेंगे लेकिन जो सबसे गरीब हैं, जो ईश्वर की तरह दिखते हैं क्योंकि ईश्वर ने अपने को गरीब बनाया, उनकी सेवा नहीं करेंगे तो यह हमारे लिए खीस्तमस नहीं होगा।  

इस तरह संत पापा फ्रांसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन के अंत में सभों को ख्रीस्त जयंती की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि येसु का आना हमें आश्चर्य से भर देता है। यह हमारे लिए अशांतिदायक आश्चर्य हो सकता है लेकिन यही ईश्वर की योजना है। यदि हम इसमें आनन्दित होते तो हम अपने को आश्चर्यचकित पायेंगे। हम सभों के हृदयों में आश्चर्यचकित होने की क्षमता छुपी है। हम इस ख्रीस्त जयंती में येसु के साथ आश्चर्यचकित हों।

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19 December 2018, 16:14