देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा देवदूत प्रार्थना के दौरान संत पापा  

स्तेफन हमें क्षमादान की शिक्षा देते हैं

ख्रीस्त जयंती की खुशी हमारे हृदयों में अभी भी उमड़ रही है। येसु ख्रीस्त के जन्म की यह अद्भुत घटना हमारे लिए निरंतर खुशी का कारण है जो दुनिया के लिए शांति लेकर आती है। इस उमंग और खुशी के महौल में आज हम संत स्तेफन का त्योहार मनाते हैं जो कलीसिया के प्रथम शहीद उपयाजक हैं।

 दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 26 दिसम्बर 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने 26 दिसम्बर को, संत स्तेफन कलीसिया के प्रथम शहीद के पर्व दिवस पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए हज़ारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को  संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाई और बहनो, सुप्रभात।

ख्रीस्त जयंती की खुशी हमारे हृदयों में अभी भी उमड़ रही है। येसु ख्रीस्त के जन्म की यह अद्भुत घटना हमारे लिए निरंतर खुशी का कारण है जो दुनिया के लिए शांति लेकर आती है। इस उमंग और खुशी के महौल में आज हम संत स्तेफन का त्योहार मनाते हैं जो कलीसिया के प्रथम शहीद उपयाजक हैं। यह हमारे लिए विचित्र प्रतीत हो सकता है कि येसु के जन्म की खुशी के महौल में हम संत स्तेफन की याद करते हैं क्योंकि बेतलेहेम में आनंद और येरुसलेम में स्तेफन को पत्थरों से मारा जाना अपने में दो विरोधाभास घटनाएं हैं। वास्तव में, ऐसा नहीं है क्योंकि बालक येसु ईश्वर के पुत्र हैं जो मानव बन कर धरती में आये जो क्रूस पर अपने प्राणों का बलिदान अर्पित करते हुए सारी मानव जाति को बचायेंगे। इस समय हम उनके बारे में चिंतन करते हैं जो कपड़ों में लिपटे चरनी में रखे गये हैं। अपनी मृत्यु के बाद उन्हें पुनः छलटी की पट्टियों में लपेट कर क्रब में रखा जायेगा।


आनन्द और शहादत

संत स्तेफन कलीसिया के प्रथम शहीद हैं जो अपने स्वामी के पद चिन्हों का अनुसरण करते हैं। वे येसु की तरह अपने हत्यारों के पापों को क्षमा करते हुए अपने प्राण ईश्वर के हाथों में अर्पित करते और अपनी शहादत को प्राप्त करते हैं। जब उन्हें पत्थर मारा जा रहा था तब उन्होंने कहा, “प्रभु येसु, मेरी आत्मा को ग्रहण कीजिए।” (प्रेरि.7.59) उनके ये शब्द येसु के उन शब्दों से मेल खाते हैं जिसे उन्होंने क्रूस पर से उच्चरित किया, “हे पिता, मैं अपनी आत्मा तेरे हाथों में सौंप देता हूँ।” (लूका.23,46) स्तीफन के मनोभाव जो निष्ठापूर्वक येसु का अनुसरण करते हैं हम सभों को इस बात हेतु निमंत्रण देते हैं कि हम अपने जीवन की सारी बातों को जो ईश्वर की ओर से हमारे लिये आती हैं चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक, हमें विश्वास में ग्रहण करने की जरुरत है। हमारा जीवन न केवल हमारी खुशी के क्षणों में वरन् हमारी कठिनाइयों और हानिकारक परिस्थिति में भी महत्वपूर्ण है।

ईश्वर पर भरोसा

संत पापा ने कहा कि हमारा विश्वास, हमारे जीवन की कठिन परिस्थितियाँ हमें अपने विश्वास में विकास करने का अवसर प्रदान करते हैं जहाँ हम अपने भाई-बहनों से संग एक नया संबंध स्थापित करते हैं। इस तरह हम अपने को ईश्वर के हाथों में अर्पित करते हैं जिन्हें हम एक पिता के रुप में अपने बच्चों के लिए अच्छाइयों से भरा हुआ पाते हैं।

अपनी अत्यंत दुःखद परिस्थिति में भी स्तेफन क्षमादान के मनोभाव से येसु ख्रीस्त का अनुसरण करते हैं। वे अपने प्रताड़ित करने वालों को श्राप नहीं देते वरन् उनके लिए विन्ती करते हैं, “तब वह घुटने टेक कर ऊंचे स्वर से बोला, “प्रभु, यह सब पाप इन पर मत लगा।” (प्रेरि.7.60) हम उनके क्षमादान से शिक्षा ग्रहण करने हेतु सदा बुलाये जाते हैं।

हमेशा क्षमा देना

क्षमा देना हमारे हृदय को विस्तृत करता है, इसके द्वारा हम अपने को दूसरों के साथ बांटते हैं जो हमें अमन और चैन प्रदान करती है। प्रथम शहीद स्तेफन हमें हमारे व्यक्तिगत जीवन में संबंधों को लेकर, हमारे विद्यालयों, कार्यस्थल, पल्ली और विभिन्न समुदायों के लिए मार्ग दिखलाते हैं। क्षमादान और दया का तर्क सदैव हमारे लिए विजय और आशा के क्षितिज को खोलती है। लेकिन क्षमादान को हम प्रार्थना के द्वारा अपने में विकसित करते हैं जो हमें अपनी निगाहें येसु ख्रीस्त पर क्रेन्दित रखने में सहायता देती है। स्तेफन अपने हत्यारों को इसलिए क्षमा करने के योग्य बने क्योंकि वे पवित्र आत्मा से परिपूर्ण थे, उन्होंने अपनी आंखों को स्वर्ग की ओर उठाया जो ईश्वर के लिए खुले थे। प्रार्थना के द्वारा उन्हें दुःख सहते हुए शहीद होने की शक्ति मिली। संत पापा ने कहा कि हमें निरंतर पवित्र आत्मा से प्रार्थना करने की जरूरत है जिससे वे हमें सहनशीलता का उपहार प्रदान करें जो हमें भय, कमजोरियों और तुष्टियों से मुक्ति दिलाता है।

उन्होंने कहा कि हम माता मरिया और संत स्तेफन की मध्यस्थता से प्रार्थना करें, उनकी प्रार्थना हमें अपने ईश्वर से संयुक्त रहने में मदद करेगी, विशेषकर, मुश्किल की घड़ी में और हम दूसरों को अपने जीवन में क्षमा कर पायेंगे।

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26 December 2018, 14:53