पानी का जार लेकर आती एक बच्ची पानी का जार लेकर आती एक बच्ची 

अस्वास्थ्यकर पेय जल 21वीं सदी के लिए शर्म की बात

संत पापा फ्राँसिस ने "सार्वजनिक वस्तुओं की व्यवस्था, सभी से लिए स्वच्छ पेयजल की पहुँच" विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को एक संदेश भेजा जो रोम में 8 नवम्बर को आयोजित किया गया था।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 8 नवम्बर 2018 (रई) एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन परमधर्मपीठीय उर्बानियन विश्वविद्यालय में समग्र मानव विकास हेतु गठित परमधर्मपीय परिषद् के तत्वधान में फ्रांस, इटली, मोनाको और संयुक्त राज्य अमेरिका में परमधर्मपीठ के दूतावासों के साथ सहयोग से किया गया था।

अपने संदेश में संत पापा फ्राँसिस ने कहा कि विश्व के विभिन्न हिस्सों के लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है और अक्सर कई लोग अस्वास्थ्यकर पेय जल के सेवन से मृत्यु के शिकार हो जाते हैं। "21वीं सदी में मानवता के लिए यह एक बड़े शर्म की बात है।" उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से कई देशों में जहाँ लोगों के लिए पेयजल उपलब्ध नहीं है वहाँ हथियार और गोला बारूद की कोई कमी नहीं है जो परिस्थिति को अधिक गंभीर बना रही है।  

भ्रष्टाचार एवं आर्थिक लाभ

संत पापा ने कहा कि बहुधा स्वच्छ जल की मांग पर, भ्रष्टाचार एवं आर्थिक लाभ अधिक प्रबल हो जाते हैं। उन्होंने सम्मेलन के प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे पर तात्कालिकता, इच्छा और दृढ़-संकल्प की आवश्यकता पर जोर दे पायेंगे। 

परमधर्मपीठ एवं कलीसिया स्वच्छ जल हेतु समर्पित

संत पापा ने कहा कि परमधर्मपीठ एवं कलीसिया सभी के लिए स्वच्छ जल की पहुँच के प्रति प्रतिबद्ध है। उसका समर्पण कई प्रयासों में परिलक्षित होता है, खासकर, बुनियादी ढांचे के निर्माण, प्रशिक्षण और रक्षा में। पर्याप्त मानव विज्ञान वास्तव में, जिम्मेदार और सहायक जीवन शैली के लिए अनिवार्य है एक वास्तविक पारिस्थितिकी के लिए, साथ ही पीने के पानी तक पहुंच की मान्यता के लिए, मानव गरिमा से आने वाले अधिकार के रूप में और इसलिए एक वस्तु के रूप में पानी की अवधारणा परस्पर विरोधी है।"

प्यासे व्यक्ति में ईश्वर का प्रतिरूप

विश्वास के मनोभाव से, हर प्यासे व्यक्ति में हम ईश्वर के प्रतिरूप को देखते हैं। हम संत मत्ती रचित सुसमाचार पाठ में पढ़ते हैं, "जब मैं प्यासा था तुमने मुझे पिलाया।" सम्मेलन में विभिन्न धर्मों एवं कलीसियाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं, इस पर गौर करते हुए संत पापा ने कहा कि पानी की दोहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक आयाम को कभी तिरस्कार नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि यह सामाजिक संरचना, सह-अस्तित्व और सामुदायिक संगठन के निर्माण का केंद्र है। 

संत पापा ने अपने संदेश में सम्मेलन के प्रतिभागियों को निमंत्रण दिया कि वे मुख्य धार्मिक परम्पराओं में जल के प्रतीक पर ध्यान दें। उन्होंने अपील की कि वे इस संसाधन पर चिंतन करें, जिसके बारे आसीसी के संत फ्राँसिस ने लिखा है- यह अत्यन्त उपयोगी, बहुत मानवीय, मूल्यवान एवं शुद्ध है।

 

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08 November 2018, 16:25