बोस मठवासी समुदाय के संस्थापक एनत्सो बीयनकी के साथ संत पापा बोस मठवासी समुदाय के संस्थापक एनत्सो बीयनकी के साथ संत पापा 

बोस मठवासी समुदाय कलीसिया एवं समाज के लिए महत्वपूर्ण

बोस मठवासी समुदाय में नियम लिखे जाने के 50 साल पूरा होने पर संत पापा फ्राँसिस ने मठवासियों के साक्ष्य एवं कलीसिया तथा समाज में उनके फलप्रद उपस्थिति के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 13 नवम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ संत पापा फ्राँसिस ने सोमवार को बोस मठवासी समुदाय के संस्थापक एनत्सो बियानकी को कलीसिया एवं समाज में उनके फलप्रद उपस्थिति के लिए धन्यवाद दिया।

बोस मठवासी समुदाय की स्थापना सन् 1965 में, संयोग से, द्वितीय वाटिकन महासभा के समापन के दिन हुई थी। संत पापा ने कहा, "एक साधारण शुरूआत ने महत्वपूर्ण मिशन का रूप ले लिया है जिसने धर्मसमाजी जीवन के नवीनीकरण को प्रोत्साहन दिया है।"

बोस मठवासी समुदाय

इस समुदाय में आज विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय के 80 धर्मबंधु एवं धर्मबहनें हैं जो प्रार्थना एवं कार्य के जीवन को जीते हैं, वे प्रार्थना में ईश्वर की खोज करते विभिन्न ख्रीस्तीय समुदाय के 80 धर्मबंधु एवं धर्मबहनें हैं जो प्रार्थना एवं कार्य का जीवन जीते हैं, प्रार्थना में ईश्वर की खोज कतथा सुसमाचारी सलाहों- शुद्धता, निर्धनता एवं आज्ञापालन का व्रत लेते हैं।

प्रार्थना, मुलाकात एवं वार्ता का स्थल

संत पापा ने कहा, "कृपा की इस धारा में, आपके समुदाय ने ख्रीस्तीय समुदायों को एक साथ लाने हेतु रास्ता तैयार करने में अपनी एक विशिष्ठ पहचान बनायी है। यह प्रार्थना, मुलाकात एवं वार्ता का स्थान है जहाँ विश्वास एवं प्रेम की एकता है जिसके लिए येसु ने प्रार्थना की थी।"

संत पापा ने समुदाय के आतिथ्य सत्कार की प्रेरिताई की सराहना की जो सभी लोगों का स्वागत बिना किसी भेदभाव के करता है। उन्हें सुनता, सांत्वना प्रदान करता तथा युवाओं को आत्मजाँच करने में मदद देता है ताकि वे समाज में अपनी भूमिका को पहचान सकें।  

समकालीन चुनौतियाँ

संत पापा ने समुदाय के सदस्यों को प्रोत्साहन दिया कि वे आज के चुनौतीपूर्ण समय में सुसमाचारी प्रेम तथा सच्चे भाईचारापूर्ण एकता का साक्ष्य दें।

उन्होंने कहा, "समुदाय के बड़े बुजूर्ग युवाओं को प्रोत्साहन दें तथा युवा, बुजूर्गों से सीखें जो प्रज्ञा एवं धीरज के बहुमूल्य खजाने हैं।"  

संत पापा ने उन्हें छोटे, पिछड़े, तीर्थयात्री एवं परदेशियों पर ध्यान देने का आग्रह किया क्योंकि वे येसु के शरीर के सबसे कमजोर अंग हैं।

उन्होंने कामना की कि यह वर्षगाँठ प्रत्येक सदस्य के लिए कृपा का अवसर बने जहाँ वे अपनी बुलाहट एवं प्रेरिताई पर अधिक गहराई से चिंतन कर सकें। भाईचारा एवं उदारता का जीवन, समन्वय के घर में रहने का चिन्ह बने जहाँ सभी का स्वागत ख्रीस्त के रूप में का जा सके।

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13 November 2018, 14:47