खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

आशा के संदेशवाहक बनें, स्पेन के धर्मसमाजियों से संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने स्पेन के धर्मसमाजी सम्मेलन की 25वीं आमसभा के प्रतिभागियों को संदेश भेजा तथा निमंत्रण दिया कि वे आशा के संदेशवाहक बनें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, मंगलवार, 14 नवम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज़)˸ संत पापा फ्राँसिस ने स्पेन के धर्मसमाजी सम्मेलन की 25वीं आमसभा के प्रतिभागियों को संदेश भेजा तथा निमंत्रण दिया कि वे आशा के संदेशवाहक बनें।

संत पापा ने मंगलवार को एक संदेश भेजकर स्पेन के स्त्री एवं पुरूष धर्मसमाजियों को, "विनम्र दृढ़ता" के साथ आशा के संदेशवाहक बनने की सलाह दी।

उन्होंने कहा, "प्रभु हमें निरंतर प्रेम एवं विस्मय का संदेश देने के द्वारा आशा प्रदान करते हैं जो कभी-कभी हमें गुमराह कर देता है किन्तु यह हमें हमारी बंद मानसिकता एवं आध्यात्मिकता से बाहर निकलने में भी मदद करता है।"

आशा के स्त्री-पुरूष

उन्होंने कहा कि स्पेन में समर्पित स्त्री एवं पुरूष के मिशन को बेहतर करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जानी चाहिए। कलीसिया को आवश्यक है नबी की, आशा के स्त्री और पुरूष की। उन्होंने कहा कि कुछ अनिश्चितताओं एवं चिंताओं के बावजूद समर्पित जीवन अवसरों, उत्साह एवं जोश से भरा है।

युवाओं के साथ चलें

संत पापा फ्राँसिस ने स्पेन के धर्मसमाजियों को यह भी निमंत्रण दिया कि वे युवाओं के बीच सुसमाचार का प्रचार करने की चुनौतियों का सामना करें तथा उन्हें प्रभु के पुकार को सुनने में मदद दें। संत पापा ने कहा कि कलीसिया को साहसी धर्मसमाजियों की आवश्यकता है जो नये रास्तों को खोल सकें तथा बुलाहट के सवाल को एक मौलिक ख्रीस्तीय विकल्प के रूप में प्रस्तुत कर सकें।

उन्होंने कहा कि समर्पित जीवन का अर्थ है, पवित्रता के रास्ते पर चलना। हम दया के कार्यों को अथक रूप से करने के लिए बुलाये गये हैं। यहाँ हीरो बनने अथवा दूसरों का आदर्श बनने का कोई सवाल नहीं है बल्कि उन लोगों का साथ देना है जो पीड़ित हैं जो वैकल्पिक रास्ते की तलाश कर रहे हैं। अपनी गरीबी को स्वीकार करना, साथ ही साथ प्रभु एवं उनके प्रेम पर भरोसा रखना है।

संत पापा ने अपने संदेश में स्पेन के धर्मसमाजियों को निमंत्रण दिया कि वे कलीसिया के साथ एवं कलीसिया के लिए जीयें, अपने आराम के क्षेत्र से बाहर निकलें, पीड़ित एवं निराश लोगों के लिए सुसमाचार की ज्योति प्रदान करें। समय बदल चुका है और उसके साथ हमारे प्रत्युत्तर को भी बदलना है।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

14 November 2018, 15:57