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यहूदी प्रार्थना हेतु जाते हुए यहूदी प्रार्थना हेतु जाते हुए 

विश्व के यहूदी प्रतिनिधियों से संत पापा की मुलाकात

संत पापा फ्रांसिस ने सोमवार को वाटिकन में विश्व के यहूदी प्रतिनिधियों से मुलाकात की।

दिपील संजय एक्का-वाटिकन सिटी

विभिन्न देशों के यहूदी प्रतिनिधिय़ों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि यह प्रथम अवसर है जब यहूदी प्रतिनिधि एक समुदाय के रुप में संत पापा से मुलाकात करने हेतु आये हैं जो मेरे लिए अत्यन्त खुशी का कारण है।

संत पापा ने उन्हें हाल ही में अपने यहूदी समुदाय से मिलन की बात कही जो लितुवानिया में 23 सितम्बर को सम्पन हुआ था। यह शोआह की यादगारी में समर्पित था जहाँ 75 साल पहले विलिनिया के यहूदी नगर को विध्वंस कर हजारों यहूदियों को मार डाला गया था। संत पापा ने कहा कि मैंने शहीदों की स्मृति स्थल की भेंट कर मृतकों के लिए सर्वशक्तिमान ईश्वर से प्रार्थना की। हमें इस होम बलि की याद करनी चाहिए क्योंकि यह अतीत की जीवंत यादगारी है। “हमारे लिए भविष्य तब नहीं रह जाता जब हम इतिहास के पन्नों की क्रूरतापूर्ण बातों को याद करते हुए उनकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए अपनी कोशिश न करते हों। ऐसा न करना हमारे मानवीय सम्मान को मृतप्राय कर देता है।”

शोआह की घटना के अलावे संत पापा ने रोम के यहूदी बस्ती की 75वीं और आस्ट्रिया, क्रिस्टॉलनच्ट की 80वीं बरसी की भी याद की जब यहूदियों के पूजन स्थल को नष्ट करते हुए उनपर जुल्म किये गये थे। संत पापा ने कहा कि धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार हमारा मैलिक अधिकार है जिसकी रक्षा सभी रुपों में की जानी चाहिए।

उन्होंने इस बात का खेद जताया कि धार्मिक विरोध के भाव हमारे बीच आज भी जारी हैं। संत पापा ने कहा कि मैंने इस तथ्य पर कई बार जोर दिया है कि ख्रीस्तियों के रुप में हम इस मनोभाव को अपने में धारण नहीं कर सकते हैं। “यह हमारे विश्वास और जीवन के विरूद्ध है।” उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हम धार्मिक विरोध और मानव समुदाय में इसकी रोकथाम हेतु अपनी प्रतिबद्धता में कार्य करने हेतु बुलाये जाते हैं।

संत पापा ने कहा,“मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि यहूदियों और ख्रीस्तियों के मध्य मित्रता के भाव हमेशा बने रहें। यह हमारी भ्रातृत्व और मुक्ति इतिहास पर आधारित है जहाँ हम एक दूसरे की चिंता करने हेतु बुलाये जाते हैं।” मैं आपके साथ मिलकर ईश्वर को हमारी मित्रता के लिए धन्यवाद देता हूँ। वर्तामान परिवेश में मानवता को बढ़ावा देने हेतु हम अन्तरधार्मिक वार्ता के लिए बुलाये गये हैं।”

उन्होंने इस संदर्भ में अजरबैजान में हुए दो वर्ष पूर्व अन्तरधार्मिक वार्ता की याद की जो “व्यक्तिगत संबंध और उत्तरदायी लोगों की ख्याति” पर आधारित था। इसकी विषयवस्तु थी “दूसरों के संग वार्ता और सभों के लिए प्रार्थना।” संत पापा ने कहा, “यही हमारा मार्ग है, जिसकी बदौलत हम घृणा की परिस्थिति में प्रेम, सतावट के बदले क्षमा के भाव, बिना थके शांति प्रदर्शित करते हैं।” “यह हिंसा या अचानक समाधान का समय नहीं बल्कि धैर्य में अपने को मेल-मिलाप हेतु देने का महत्वपूर्ण समय है।” यह हम सभों की एक अति महत्वपूर्ण बुलाहट है।

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05 November 2018, 15:44