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जापान का एक गिरजाघर जापान का एक गिरजाघर 

बंद पड़े गिरजाघरों के उचित उपयोग हेतु संत पापा का आग्रह

संत पापा फ्राँसिस ने सम्मेलन में प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे गिरजाघरों को बंद न करें, बल्कि परिस्थिति के अनुसार इनके समुचित प्रयोग हेतु एक आमंत्रण के रूप में देखें।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

रोम,शुक्रवार 30 नवम्बर 2018 (वाटिकन न्यूज, रेई): संस्कृति हेतु गठित परमधर्मपीठीय सममेलन ने ग्रेगोरियन यूनिवर्सिटी के सहयोग से “पूजा की जगहों को रद्द करने और कलीसियाई सांस्कृतिक विरासत के एकीकृत प्रबंधन” पर 29 और 30 नवम्बर को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया है।

संत पापा ने “पूजा की जगहों को रद्द करने और कलीसियाई सांस्कृतिक विरासत के एकीकृत प्रबंधन” सम्मेलन के प्रतिभागियों से कहा,“क्या ईश्वर अब यहाँ वास नहीं करते?” संत पापा फ्राँसिस ने संत पापा पौल छठे को याद किया, जिन्होंने इस बात की पुष्टि की  कि दस्तावेजों की देखभाल करना मसीह की उपासना की देखभाल करने के बराबर है। एक चरवाहे के रूप में, संत पापा पौल छठे "संस्कृति के मूल्यों के प्रति बहुत संवेदनशील थे।"

संत पापा ने कहा कि संत पापा जॉन पॉल द्वितीय भी "कला और सांस्कृतिक संपत्ति की प्रेरितिक प्रासंगिकता के प्रति विशेष रूप से सावधान रहते थे," क्योंकि वे "मानव इतिहास और कलीसिया के जीवन में ईश्वर की उपस्थिति की विभिन्न तरीकों से" गवाही देते हैं।

उपासना के उपकरण

संत पापा फ्राँसिस "धार्मिक सौंदर्यशास्त्र के लिए अधिक स्पष्ट रूप से सामाजिक अभिव्यक्ति" देते हुए प्रतिभागियों से कहा कि हम मानते हैं कि सांस्कृतिक विरासत "पवित्र धर्मविधि का हिस्सा है, सुसमाचार और दान के अभ्यास" का हिस्सा है, ये "चीजें" आराधना के साधन हैं। इन वस्तुओं को विश्वासी आराधना के लिए स्थायी और आवश्यक मानते हैं जो अपनी भूमिका को खोने के बाद भी खत्म नहीं होती।"

"कलीसियाई सांस्कृतिक संपत्ति समुदाय के विश्वास के गवाह हैं जिन्होंने उन्हें सदियों से संजोये रखा है और उन्हें "सुसमाचार का साधन" बनाया है।

अनुकूल बनाने का संकेत

संत पापा फ्राँसिस ने सम्मेलन में प्रतिभागियों से आग्रह किया कि "उन्हें इस बात की चिंता नहीं करनी है जो गिरजाघर कुछ साल पहले जरुरी था आज उसकी जरुरत नहीं है। आज समय की नजाकत को देखते हुए हमें इसे परिस्थिति के अनुकूल बनाने की आवश्यकता है। संत पापा ने प्रेरितिक पत्र  'एवांजेलि गौडियम' को उद्धृत करते हुए कहा, "समय को प्राथमिकता देने का मतलब है, रिक्त स्थान रखने के बजाय प्रक्रिया शुरू करने के बारे में विचार करना।"

अंत में, संत पापा ने कहा, "सम्मेलन निश्चित रूप से सुझाव देगा कि धर्माध्यक्षों द्वारा लिये गए हर अंतिम निर्णय, "ख्रीस्तीय समुदाय और नागर समुदाय के साथ विचार-विमर्श और बातचीत का फल" होना चाहिए। उनहोंने सम्मेलन के प्रतिभागियों को याद दिलाया कि मकाबियों के पहले ग्रंथ में इस बात की चर्चा है कि "येरूसालेम को मुक्त कर दिया गया था और मूर्तिपूजकों ने मंदिर को अपवित्र किया था। मंदिर को मुक्त करने वालों ने एक भविष्यवक्ता के आने का इन्तजार किया जो उन्हें बताये कि मंदिर के साथ क्या किया जाये।"

प्रत्येक गिरजाघर के इतिहास में ईश्वर

संत पापा ने कहा कि प्रत्येक गिरजाघर का निर्माण, केवल उनकी तकनीकी या आर्थिक रुपरेखा के संदर्भ में होना चाहिए ... गिरजाघर इस बात की गवाही को आगे बढ़ाये कि "अतीत में आपने ईश्वर की उपस्थिति का स्वागत किया है।"

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30 November 2018, 15:17