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बोयनोस आयरिस के स्कूल को संत पापा संदेश देते हुए बोयनोस आयरिस के स्कूल को संत पापा संदेश देते हुए 

बोयनोस आयरिस के स्कूल को संत पापा का वीडियो संदेश

दूसरों से मिलन हेतु हमें अपनी पहचान को जानने की आवश्यकता है। हम अपनी पहचान न खोयें, इसे न छुपायें क्योंकि जीवन मौज-मस्ती नहीं वरन एक गम्भीर मुद्दा है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 29 अक्टूबर 2018 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने बोयनोस आयरिस के स्कूलों को अपना वीडियो संदेश प्रेषित करते हुए अपनी पहचान को बनाये रखने का आहृवान किया।

उन्होंने अपने संदेश में कहा कि पहचान अपने में कठिन है। हम अपने आप से पूछे कि मैं कौन हूँ, जो अपने में एक अति महत्वपूर्ण सवाल है। ईश्वर के सामने, दूसरों के सामने, अपने लिए मैं कौन हूँॽ यह सवाल हमारे जीवन को एक अर्थ प्रदान करता है। मैं कौन हूँ और मेरे जीवन का अर्थ क्या हैॽ संत पापा ने कहा कि यह एक दिन का सवाल नहीं वरन, हम हमेशा अपने आप से पूछें कि मैं कौन हूँ।

हमारी पहचान हमारे परिवार, देश और समुदाय से

संत पापा ने जोर देते हुए कहा कि हमारी पहचान हमारी सांख्यिकी में नहीं जिसे हमने जमा किया है। यह हमारे द्वारा जमा किये गये सूचना और नेट में नहीं है। हम अपने में विकास करने वाले प्राणी हैं जो अपने इतिहास और अपनी शैली के अनुरूप बढ़ते हैं। हम अपने जीवन के लेखक और पाठक हैं और इतना ही नहीं हम ईश्वर के सपने हैं जिसे हम अपनी विश्वसीनयता में दूसरों के साथ बांटते हैं। हम अपने में व्यक्तिगत रुप से निष्ठावान हैं। हमारी पहचान की कोई प्रयोगशाला नहीं है। उन्होंने कहा लेकिन हर एक की पहचान का एक इतिहास है। अपने इतिहास के कारण हम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारी पहचान हमारे परिवार, देश और समुदाय से आती है। आप अपनी पहचान के बारे में तब तक नहीं कह सकते जब तक आप यह नहीं जानते कि आप कहाँ से आते हैं। हमारा यह संबंध हमें अपने आप से परे जाने में मदद करता है जो हमसे बड़ा है।

अपनी जड़ों को न भूलें

संत पापा ने युवाओं को सचेत करते हुए कहा कि जब हम अपनी जड़ों को भूल जाते तो हम अपनी पहचान को खो देते हैं। हमारी पहचान हमें अपने को दूसरे के पास व्यक्त करने में मदद करती है जिसके फलस्वरुप हम वार्ता में प्रवेश करते हैं। हमारी जड़ें कहाँ हैंॽ हम कहाँ से आते हैंॽ हमारे लोगों की संस्कृति क्या हैॽ इन सारे सवालों का उत्तर हमें पहचान प्रदान करती है क्योंकि इनके बिना हम मूर्त रुप में नहीं हैं। हाँ हमारी पहचान पत्र हो सकते हैं लेकिन वह तो सिर्फ कार्ड मात्र है जो हमारे विकास में सहायक नहीं होता। संत पापा ने युवाओं से कहा कि हम अपने जीवन का अवलोकन करें। हम अपने को अपनी जड़ों से संयुक्त रखें जो हमें अपने में मूल्यवान बनाती है।

हमारी पहचान संबंध बनाये रखने में

हमारी पहचान संबंध बनाये रखने में है। आप इसका ख्याल रखें। आप अपनी सदस्यता की देख-रेख करें। आप इसे बिक्री न करें। आप के अन्दर जो है आप उसे ऩ खोयें क्योंकि वही आप को एक पहचान प्रदान करती है।

संत पापा ने सभी संयोजकों का धन्यवाद अदा करते हुए पुनः विद्याथियों से कहा कि आप अपने को दूसरे के पास खोलने से न डरें। आप अपनी कहानियों को दूसरों के साथ बांटें और दूसरों को सुनते हुए अपने जीवन की कहनी को नवीन बनायें।

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01 November 2018, 17:30