प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो के साथ मुलाकात करते संत पापा प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो के साथ मुलाकात करते संत पापा 

संत अंद्रेयस के पर्व पर ऑर्थोडोक्स कलीसिया को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने 30 नवम्बर को कुस्तुनतुनिया के ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो को संत अंद्रेयस के पर्व दिवस पर शुभकामनाएँ प्रेषित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शुक्रवार, 30 नवम्बर 2018 (रेई)˸ "कुस्तुनतुनिया के ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के संरक्षक प्रेरित संत अंद्रेयस के पर्व दिवस पर, मैं बड़ी खुशी के साथ आपके प्रति गहरी स्नेह की भावना व्यक्त करता हूँ, साथ ही, आपको अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन देता हूँ, ख्रीस्त में प्यारे भाई...।"

यह अभिवादन संत पापा फ्राँसिस ने 30 नवम्बर को कुस्तुनतुनिया के ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया के प्राधिधर्माध्यक्ष बरथोलोमियो को संत अंद्रेयस के पर्व दिवस पर प्रेषित किया।

परम्परा के अनुसार 29 जून को संत पेत्रुस एवं संत पौलुस के पर्व दिवस पर रोम में तथा 30 नवम्बर को इस्ताम्बुल में संत अंद्रेयस के पर्व दिवस पर प्रतिनिधि एक-दूसरे को पर्व की शुभकामनाएँ आदान-प्रदान करते हैं। आज के इस पर्व दिवस पर, ख्रीस्तीय एकता को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल कुर्ट कोच रोम के प्रतिनिधियों की आगुवाई कर रहे हैं।

कार्डिनल कूर्ट कोच ने पूजन-विधि समारोह के अंत में संत पापा फ्राँसिस के संदेश को कलीसिया के सामने पढ़कर प्रस्तुत किया।

रोम की कलीसिया एवं कुस्तुनतुनिया की कलीसिया के बीच आदान-प्रदान

कुस्तुनतुनिया की ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया का अभिवादन करते हुए संत पापा ने संदेश में कहा है कि "इन विशेष पर्वों पर, रोम की कलीसिया एवं कुस्तुनतुनिया की कलीसिया के प्रतिनिधियों के बीच आदान-प्रदान एक आनन्दमय परम्परा बन गयी है तथा यह दो परमधर्मपीठों के बीच गहरे संबंध को व्यक्त करती है। सदियों की आपसी नसमझी, विभिन्नताओं एवं चुप्पी ने इस समझ के साथ समझौता कर लिया है। पवित्र आत्मा जो एकता की आत्मा है उसने हमें भाईचारा पूर्ण वार्ता हेतु प्रेरित किया है। संत पापा फ्राँसिस ने याद दिलाया कि इस संबंध की शुरूआत प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस एवं संत पापा पौल षष्ठम ने की थी तथा कलीसियाओं के बीच एकता के संबंध की उपस्थिति को पहचानने में मदद दी थी।

विश्व के प्रति दोनों कलीसियाओं की बुलाहट

संत पापा ने गौर किया कि आपसी भिन्नता के बावजूद हमारी कलीसियाओं ने प्रेरितों की परम्परा, प्रथम कलीसियाई महासभा की शिक्षा तथा कलीसिया के धर्माचार्यों के विचारों को सुरक्षित रखा है। दोनों कलीसियाओं ने विश्व के प्रति जिम्मेदारी हेतु आवश्यक बुलाहट को पहचाना है जिसके लिए बपतिस्मा प्राप्त सभी सदस्य बुलाये जाते हैं कि हम सुसमाचार का प्रचार करें। यही कारण है कि आज हम लोगों के बीच शांति की खोज, हर प्रकार की दासता को रोकने, मानव की प्रतिष्ठा एवं सम्मान की रक्षा करने तथा सृष्टि की देखभाल हेतु एक साथ कार्य कर रहे हैं।

50 वर्षों की यात्रा

ईश्वर की सहायता से वार्ता एवं मुलाकातों द्वारा विगत 50 वर्षों की यात्रा में हमने एक होने का एहसास किया है यद्यपि अभी तक यह पूर्ण नहीं हुआ है। पूर्ण रूप से एक होने की कोशिश सबसे बढ़कर येसु ख्रीस्त की उस इच्छा का प्रत्युत्तर है जिन्होंने पास्का की पूर्व संध्या, प्रार्थना की थी कि उनके सभी शिष्य एक हो जाएँ। (यो. 17:21)

संत पाप ने संदेश में कहा है कि एकजुट होकर हम अधिक प्रभावशाली ढंग से हमारे समय के कई लोगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकते हैं, विशेषकर, जो गरीबी, भूखमरी, बीमारी एवं युद्ध से पीड़ित हैं।   

संत पापा ने मध्यपूर्व में शांति हेतु बारी में 7 जुलाई को आयोजित प्रार्थना में भाग लेने के लिए प्राधिधर्माध्यक्ष के प्रति आभार प्रकट किया, जिसमें विभिन्न कलीसियाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। उन्होंने कहा कि उस क्षेत्र में संकटपूर्ण परिस्थिति में जी रहे भाई-बहनों के लिए एक साथ सहानुभूति रखना, सांत्वना का एक बड़ा स्रोत है।   

ख्रीस्तीय एकता आशा का चिन्ह

एक ऐसी दुनिया जो संघर्ष के कारण घायल है, ख्रीस्तीय एकता आशा का चिन्ह है जिसे अधिक दृश्यमान रूप से प्रतिबिम्बित होना चाहिए। संदेश में संत पापा ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि मेल-मिलाप एवं शांति के स्रोत प्रभु, सभी ख्रीस्तियों को एक मन एवं एक-दूसरे के प्रति स्नेह की भावना प्रदान करे। इसी के लिए हम ईश्वर द्वारा बुलाए गये हैं ताकि हम उनके आशीर्वाद के सहभागी हो सकें।

संत पापा ने समस्त काथलिक कलीसिया की ओर से, प्रेरित संत पेत्रुस एवं संत अंद्रेयस की मध्यस्थता द्वारा कुस्तुनतुनिया ग्रीक ऑर्थोडोक्स कलीसिया को अपनी प्रार्थनाओं का आश्वासन दिया तथा ख्रीस्त की शांति की शुभकामनाएँ दीं। 

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30 November 2018, 13:58