अल्बानिया के लोगों को सम्बोधित करते संत पापा अल्बानिया के लोगों को सम्बोधित करते संत पापा 

अल्बानिया के प्रतिनिधियों को संत पापा का संदेश

संत पापा ने अल्बानिया के राष्ट्रीय शहीद जोर्जियो कास्त्रियोता स्कांद्रेबेग की 550वीं शहादत के अवसर पर देश के प्रतिनिधियों से मुलाकात करते हुए उन्हें संबोधित किया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

अल्बानिया का इतिहास अपने में प्रचीन और गौरवशाली रहा है। यह अपनी अद्वितीय औऱ सजीव परांपरा तथा अपनी सभ्यता के कारण यूरोप का एक अभिन्न अंग रहा है। आज हम इस धरती पुत्र जोर्जियो कास्त्रियोता की याद करते हैं जिन्होंने अपने आध्यात्मिक मूल्य और ख्रीस्तीयता की रक्षा  हेतु अपने प्राणों का बलिदान चढ़ाया। उसकी वीरता अल्बानिया को एक सांस्कृतिक पहचान प्रदान करती है जो राष्ट्र के लिए निष्ठा और समर्पण की उत्तम निशानी है।

कास्त्रियोता के कार्य का महत्व आपके देश के झण्डे में परिलक्षित होता है जहाँ हम दो चीलों के सिर को लाल झण्डे में पाते हैं। देश के नायक की मृत्यु के उपरान्त बहुत से अल्बानियाई इटली की ओर पलायन किया, विशेषकर, कलाब्रिया औऱ सिसली के प्रांतों में जिसके फलस्वरुप लुंग्रो, पियाना के अल्बानियाई और ग्रोटाफेराटा कलीसिया की स्थापना हुई।

आज हमारे बीच आरबेरेश अर्थात् इतालो-अल्बानियाई समुदाय की उपस्थिति, उनकी भाषा और परांपरा जो वर्षों पूर्व उन्हें मिला है हमें स्कांद्रेबेग की याद दिलाती है जो हमारे लिए अल्बानियाई नायक को एक सेतु की भांति पेश करता है जिसके फलस्वरुप हम अपने मूल को कायम रखते हैं।

संत पापा ने कहा कि अतीत की आपकी यह गौरवपूर्ण यादगारी आप के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर हो जहाँ आप अपने समर्पण को देश, संस्थान और हर नागरिक के लिए नवीन बना सकें जिससे सभों का विकास हो। यह युवाओं को अपने देश से प्रवासित न होने और उन्हें अपने कौशल को अपने देश, नागरिकों और समाज के विकास हेतु अर्पित करने में मदद करे।

19वीं सदी के लेखक पाशको वासा ने इसे आध्यात्मिक पहचान के रुप में रेखांकित किया जो सम्पूर्ण अल्बानिया वासियों को एकता के सूत्र में पिरो कर रखती है। यह उन्हें अन्य सभी समुदायों और धर्मों के संग शांति और एकता में जीवन यापन करने हेतु प्रेरित करता है जो वर्तमान समय में सहयोगिता और भ्रातृत्व की मिसाल बन गई है।

संत पापा ने अल्बानिया की अपनी प्रेरितिक यात्रा के अनुभवों को साझा करते हुए कहा, “अल्बानिया में काथलिकों, आर्थोडोक्स तथा मुस्लिम समुदाय के बीच आपसी सम्मान औऱ विश्वास के महौल को देखना अपने में एक कीमती उपहार को पाने जैसा है और यह हमारे लिए समय की मांग है।” यह हमारे बीच एक ठोस कार्यशीलता की बात व्यक्त करती है जिसके लिए हम सभी अपनी ओर से सृजनात्मक सहयोग देते हैं। यह हमारे मध्य वार्ता के अवसर उत्पन्न करता जिससे फलस्वरुप हम एकदूसरे के ज्ञान और सम्मान में प्रवेश करते और देश में सच्ची शांति को बनाये रखने हेतु सहयोग प्रदान करते हैं।

संत पापा ने कृतज्ञतापूर्ण हृदय से शहीद की याद करते हुए कोलकता की संत मदर तेरेसा की मध्यस्थता द्वारा देश में शांति और कृपा हेतु प्रार्थना की।

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19 November 2018, 16:46