अंतरपीढ़ी बातचीत के दौरान युवाओं को सम्बोधित करते संत पापा अंतरपीढ़ी बातचीत के दौरान युवाओं को सम्बोधित करते संत पापा 

"समय की प्रज्ञा को बांटना" पीढ़ियों के बीच संबंध

लोयोला प्रेस ने एक किताब प्रकाशित किया जिसमें वयोवृद्धों की प्रज्ञा, उनके अनुभवों एवं समाज को मौलिक योगदान देने के रूप में उनकी अंतर्दृष्टि पर प्रकाश डाला गया है। किताब की प्रस्तावना में संत पापा फ्राँसिस ने लिखा है कि वे युवाओं एवं बुजूर्गों के बीच एक संबंध स्थापित करने का आह्वान देते हैं ताकि नष्ट करने की संस्कृति का सामना करने में मदद मिल सके।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 अक्टूबर 2018 (वाटिकन न्यूज)˸ संत पापा फ्राँसिस ने प्रस्तावना में युवाओं एवं बुजूर्गों से कहा है कि वे संबंधों को मजबूत करें ताकि दुनिया को एक बेहतर स्थल बनाया जा सके।

युवा बुजूर्गों को सुनें

रोम के अगुस्तीनियनुम में किताब के विमोचन के दौरान सवालों का उत्तर देते हुए संत पापा ने युवाओं को निमंत्रण दिया कि वे अपने बुजूर्गों को सुनें तथा उनके साथ संबंध स्थापित करें ताकि नष्ट करने की संस्कृति, विस्थापितों एवं शरणार्थियों की दुर्दशा के प्रति उदासीनता तथा घृणा एवं असहिष्णुता बोनेवाली लोकप्रियता की अत्याधिक चाह पर विजय पाया जा सके।   

अगुस्तीनियनुम में "अंतरपीढ़ी बातचीत" के इस मौके पर लोयोला प्रेस द्वारा प्रकाशित तथा जेस्विट फादर अंतोनियो स्पादारो द्वारा लिखी किताब "शेरिंग दा विज़डम ऑफ टाईम" (समय की प्रज्ञा को बांटना) का विमोचन किया गया जो इस अवसर को अधिक अर्थपूर्ण बना दिया।

किताब में विश्वभर के वयोवृद्धों के अनुभव

किताब में कहानियों का संग्रह है जिन्हें विश्वभर के वयोवृद्धों से जमा किया गया है। किताब लिखने की प्रेरणा संत पापा फ्राँसिस से मिली थी जिन्होंने बरम्बार अपने विचारों को प्रकट किया था कि बुजूर्गों के साथ संबंध स्थापित करने के द्वारा ही युवा परम्परा की मिट्टी में जड़ गहरी कर सकते हैं। 175 पन्नों की यह किताब संत पापा के उस कथन पर भी प्रकाश डालती है जिसमें उन्होंने कहा है कि "प्रभु मुझसे कहना चाहते हैं कि युवाओं एवं बुजूर्गों के बीच एक नाता हो।"  

युवाओं को साथ देना आवश्यक

प्रस्तवना में संत पापा ने इस संबंध के बारे कहा है कि इसके लिए बुजूर्गों के अनुभवों को साझा करने, उनकी सलाहों को सुनने तथा नयी पीढ़ी के साथ मजबूत संबंध स्थापित करने पर जोर देने की आवश्यकता है। युवा जो भविष्य की तैयारी कर रहे हैं उन्हें मार्गदर्शन एवं समर्थन की जरूरत है।

"शेरिंग दा विज़डम ऑफ टाईम" में 30 देशों के बुजूर्गों की कहानियाँ एवं प्रज्ञा लिखे गये हैं। कहानियों को विषय अनुसार पाँच अध्यायों में विभाजित किया गया है – कार्य, संघर्ष, प्रेम, मृत्यु तथा आशा। हर अध्याय की शुरूआत संत पापा के चिंतन से किया गया है।

जबरन विस्थापन एवं शरणार्थी समस्या

किताब के विमोचन के दौरान संत पापा ने जबरन विस्थापन एवं शरणार्थी समस्याओं का जिक्र किया, जो आशा की यात्रा में जीवन गवाँ देते हैं। उन्होंने विधि-निर्माताओं एवं विश्व के नेताओं की जिम्मेदारी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे इसका समाधान निकालने की कोशिश करें ताकि युद्ध जैसी बुराइयाँ न दुहरायीं जाएँ क्योंकि लोकप्रियता का खतरा घृणा एवं असहिष्णुता को बढ़ावा देता है।

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24 October 2018, 16:13