विवाह की सुन्दरता
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
संत पापा ने सुसमाचार पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "इस रविवार का सुसमाचार पाठ (मार. 10,2-16) विवाह पर येसु की बातों को प्रस्तुत करता है। घटना की शुरूआत फरीसियों की फटकार से होती है जो येसु की परीक्षा लेते हुए उनसे प्रश्न करते हैं "क्या अपनी पत्नी का परित्याग करना एक पुरूष के लिए उचित है?" (पद.2-4) संत पापा ने कहा कि येसु सबसे बढ़कर, पिता से मिलने वाली प्रज्ञा एवं अधिकार के साथ मूसा के नियम की सच्चाई को प्रकट करते हैं, "हृदय की कठोरता के कारण ही उन्होंने यह आदेश लिखा।" यह छूट हमारे अहंकार से उत्पन्न त्रुटियों का प्रतिरोध करने के लिए है जो सृष्टिकर्ता के असली मनोभाव के अनुरूप नहीं है।"
ईश्वर ने नर-नारी बनाया
तब येसु उत्पत्ति ग्रंथ का हवाला देते हुए कहते हैं, "सृष्टि के आरम्भ से ही ईश्वर ने उन्हें नर-नारी बनाया। इस कारण पुरूष अपने माता-पिता को छोड़ेगा और वे दोनों एक शरीर हो जायेंगे।" (पद. 6-7) अतः उन्होंने कहा, "ईश्वर ने जिसे जोड़ा है उसे मनुष्य अलग न करे।" (पद. 9) सृष्टिकर्ता की योजना में ऐसा नहीं है कि पुरूष किसी महिला से विवाह करे और चीजें सही तरीके से न चलने पर, उसका परित्याग कर दे। नहीं वह ऐसा नहीं कर सकता है, बल्कि स्त्री और पुरूष एक-दूसरे को पहचानने के लिए बुलाये जाते हैं ताकि वे एक-दूसरे के पूरक बन सकें एवं वैवाहिक जीवन में एक-दूसरे की मदद कर सकें।
विवाह की प्रतिष्ठा की रक्षा प्रेमपूर्ण निष्ठा पर आधारित
संत पापा ने कहा, "येसु की यह शिक्षा बिल्कुल स्पष्ट है तथा निष्ठा पर आधारित प्रेम संबंध के रूप में, विवाह की प्रतिष्ठा की रक्षा करता है। विवाह में दम्पतियों को जो चीज संयुक्त रखता है वह है ख्रीस्त की कृपा से पोषित, पारस्परिक आत्मदान। दूसरी ओर, जब दम्पतियों में व्यक्तिगत रूचि एवं आत्म संतुष्टि प्रबल हो जाती है तब उनका संबंध कायम नहीं रह सकता।"
कलीसिया दर्द भरी एवं थकाऊ रास्ते पर चल रहे लोगों के साथ
सुसमाचार का यह पृष्ट हमें बड़ी यथार्थता से स्मरण दिलाती है कि पुरूष और स्त्री जो प्रेम एवं संबंध की अनुभूति को जीने के लिए बुलाये जाते हैं, यदि वे कड़वाहट का मनोभाव अपनाते हैं तो यह उन्हें संकट में डाल देता है। येसु परित्याग करने एवं उन सभी चीजों की अनुमति नहीं देते हैं जो संबंध को नष्ट कर सकते हैं। वे ऐसा इसलिए करते हैं ताकि ईश्वर की योजना को पुष्ट किया जा सकें जिसमें मानव संबंध की शक्ति एवं सुन्दरता निहित है। कलीसिया जो हमारी माता एवं शिक्षिका है और जो लोगों के आनन्द एवं कष्ट में सहभागी होती है, परिवार की सुन्दरता को सुदृढ़ करने में कभी नहीं थकती, जैसा कि सुसमाचार एवं परम्परा द्वारा प्रदान किया गया है। वह उन लोगों के प्रति ममतामय सामीप्य प्रकट करती है जो टूटे संबंधों के अनुभव के साथ जी रहे हैं अथवा दर्द भरी एवं थकाऊ रास्ते पर चल रहे हैं।
ईश्वर की दया एवं क्षमा हमारे हर घाव की चंगाई
विश्वासघाती लोगों अर्थात् हमारे प्रति ईश्वर का कार्य, हमें सिखलाता है कि प्रेम के घाव को ईश्वर अपनी दया एवं क्षमा से चंगाई प्रदान कर सकते हैं। अतः इन परिस्थितियों में कलीसिया शीघ्र दण्ड न दे कर, विपरीत, कई दुःखद वैवाहिक असफलताओं का सामना करते हुए, प्रेम, उदारता एवं करुणा में जीने हेतु बुलायी गयी महसूस करती है ताकि घायल एवं खोये हुए हृदयों को प्रभु के पास वापस ला सके।
संत पापा ने विश्वासियों को माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "हम माता मरियम की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें कि वह दम्पतियों को ईश्वर के वरदान द्वारा अपने संबंध को जीने एवं नवीकृत करने में सदा सहायता दे।"
इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय क साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।
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