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संत पापा की भेंट,येसु का दुःखभोग धर्म समाजियों से संत पापा की भेंट,येसु का दुःखभोग धर्म समाजियों से 

प्रेरिताई में हमारी सृजनात्मकता

संत पापा फ्रांसिस ने सोमवार को येसु का दुःखभोग धर्म समाज की आमसभा में भाग ले रहे पुरोहितों को संबोधित करते हुए उन्हें अपना संदेश दिया।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

अपने संदेश में संत पापा ने कहा कि इन दिनों आपके चिंतन की विषयवस्तु “कृतज्ञता,प्रेरिताई और आशा” है जिसके अनुरूप आप अपने समर्पित और प्रेरिताई जीवन का ऩवीनीकरण कर रहे हैं। धर्मसमाज के अधिकारी का चुनाव करने के साथ आप अपने दैनिक जीवन के अनुभवों के आधार पर अपने सामुदायिक जीवन को नया बनाने की चाह रखते हैं और इसके लिए आप आत्म-जांच की प्रेरितिक प्रक्रिया में सम्मिलित हैं।

आदर्श

संत पापा ने कहा कि आप के संस्थापक का आदर्श वाक्य है, “येसु ख्रीस्त का प्रेम हमारे हृदयों में सदैव बना रहे”। संत विन्सेंट मरिया स्त्राम्बी जो आपके संस्थापक की जीवनी के प्रथम लेखक हैं, इस संबंध में लिखते हैं, “ऐसा प्रतीत होता है कि ईश्वर ने पुरोहित पौलुस को विशेष रूप से चुना,जिससे वे लोगों को इस बात की शिक्षा दे सकें कि येसु को अपने हृदय में कैसे खोजने की जरूरत है।” क्रूस के संत पौलुस की चाह यही थी कि समुदाय प्रार्थना का स्कूल हो, जहां आप ईश्वर का अनुभव कर सकें। उन्हें अपनी पवित्रता को न केवल जीवन के अधंकार और उदासी भरे क्षणों में जीया बल्कि उसे आनंद और शांतिमय तरीके से जीया, जिसका आभास उनसे मुलाकात करने वालों ने की।

ईश्वरीय प्रेम सुन्दर और महान

संत पापा ने कहा,“आप की प्रेरिताई का केन्द्र-विन्दु ईश्वर का प्रेम है जिसे आप के संस्थापक “ईश्वर का सबसे महान और अति सुन्दर कृति” की संज्ञा देते हैं। (द्वितीय पत्र, 499) आप के व्रत आप के जीवन समर्पण में इस बात की याद दिलाती है, जहाँ आप अपने को येसु के क्रूस कदमों में रखते जहाँ से चंगाई और मेल-मिलाप करने वाला प्रेम हमारे लिए प्रवाहित होता है। “मैं आप को प्रोत्साहित करता हूँ कि आप आध्यात्मिक चंगाई और मेल-मिलाप के प्रेरित बनें जो आज दुनिया हेतु अति आवश्यक है जो कि अतीत और वर्तमान के घावों से चोटिल है। आप का संविधान आप को  “लोगों के बीच, जो अति गरीब और अपने में परित्यक्त हैं सुसमाचार और नव-सुसमाचार का प्रचार करने को कहता है।” (संवि. 70) लोगों के साथ आप की निकटता, आध्यात्मिक निर्देशन और मेल-मिलाप के संस्कार का निर्देशन आप का कीमती साक्ष्य है। कलीसिया को उनकी जरुरत है जो कोमलता में अपने प्रेरितिक कार्यों को करते और लोगों पर दोषारोपण लगाये बिना उनका स्वागत करते हैं।

कलीसिया अपने में इस बात का अनुभव करती है कि उसे अपने से बाहर निकलने की जरूरत है जिसके फलस्वरुप वह सीमांतों तक जा सके जहाँ कोई नहीं पहुँचता है। आप का प्रेरिताई इस संदर्भ में विश्व की वर्तमान चुनौतियों जैसे कि प्रवासन, संप्रदायिकता औऱ डिजिटल दुनिया को अपने में सम्माहित करता है। आप इन परिस्थितियों में ईश्वर को लाने का प्रयास करते हैं जहाँ हम लोगों के बीच उन्हें अनुपस्थित पाते हैं।

प्रेरितिक कार्य की मांग

विश्व के परिवर्तनशील परिवेश में आज आप को अपनी सर्तकतापूर्ण उपस्थिति में समय की मांग के अनुरूप पवित्र आत्मा की उपस्थिति को प्रकट करने की जरूरत है। नये परिवेश में नये प्रतिउत्तर की आवश्यकता है। क्रूस के संत पौलुस समय की मांग और परिस्थिति के अनुरुप सृजनात्मक थे जैसे वे संविधान में कहते हैं, "ईश्वर का प्रेम बहुत सरल है और खुद को शब्दों में नहीं बल्कि उसे उदारहणों और प्रेमपूर्ण कार्यों में प्रकट करता है।"(XVI) आप का जीवन आदर्श आप की रचनात्मक निष्ठा में लोगों के लिए व्यक्त होगी जो विश्वस में ख्रीस्त के नाम पर दुःख झेलते हैं।

धर्म समाज का योगदान

संत पापा ने कहा कि आप के धर्मसमाज ने पवित्रता की कई मिसाल पेश की है। हम युवा संत ग्रबियेल के प्रति कृतज्ञता के भाव अर्पित करते हैं येसु ख्रीस्त के अनुसरण में उऩका आनंदमय मनोभाव आज के युवाओं को प्रेरणा प्रदान करता है। आप के धर्मसमाज के संत और धन्य आप के प्रेरिताई का साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं। सरलता में आप के दिये गये संदेश आज भी क्रूसित येसु के प्रेम को मानव समाज में प्रकट करते हैं। बहुत से युवा जो येसु की खोज कर रहे हैं यह उनके लिए आशा और साहस का स्रोत बनता है क्योंकि येसु ख्रीस्त व्यक्तिगत रुप सें हम सभों से प्रेम करते हैं। आप के प्रेरितिक कार्य कलीसिया के लिए सदा प्रेरणा का कारण बने औऱ आप सदा क्रूसित येसु और उनके नाम पर दुःख सह रहे लोगों के निकट रहें।

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22 October 2018, 16:05