वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी, पौलो रूफीनी वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी, पौलो रूफीनी 

युवाओं के साथ सपने देखना कलीसिया की चाह

वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी पॉलो रूफीनी ने धर्माध्यक्षीय धर्मसभा से संबंधित प्रथम प्रेस विज्ञाप्ति में कहा कि कलीसिया युवाओं के साथ सपने देखना चाहती है।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

उन्होंने कहा कि युवाओं के संबंध में इस धर्माध्यक्षीय धर्मसभा में अब तक कुल 25 हस्तक्षेप हो चुके हैं जिसका मुख्य बिन्दु “युवाओं के साथ चलने हेतु कलीसिया को निरंतर उनके साथ सपने देखना है।” वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी और धर्मसभा हेतु सूचना प्रसारण के लिए संचार सभापति स्वरुप नियुक्त रूफीनी ने उक्त बातें धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की विषयवस्तु, “युवा, विश्वास और बुलाहटीय आत्मपरिक्षण” के संबंध में कही।

कलीसिया द्वारा आत्मनिरिक्षण और विश्वासनीयता

रूफीनी ने संवाददाताओ को कई मुद्दों के बारे में जानकारी दी जो मानव जीवन का स्पर्श करती है, विशेष कर बर्बाद करने की प्रवृति,प्रभावशीलता और कामुकता के साथ-साथ प्रवासन और बुलाहट। उन्होंने कहा,“इनमें सबसे अर्थपूर्ण हमारी बुलाहट है जो आध्यात्मिकता के आयाम पर हमारे जीवन को अति सुन्दर बनाता है, जहाँ हम ईश्वर के साथ अपने संबंध को पाते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने “कलीसिया की विश्वासनीयता” के बारे में कहा। वाटिकन संचार विभाग के अधिकारी रूफीनी ने इस बात पर भी जोर दिया कि वर्तमान समय में हमें क्षमाशीलता पर ध्यान देने की जरूरत है केवल “दुर्राचार” को लेकर नहीं बल्कि उस समय के लिए भी जब “कलीसिया ने अपने को निष्ठापूर्ण ढ़ंग से प्रस्तुत नहीं किया है”। उन्होंने संत पापा फ्रांसिस के निर्देश, हर एक प्रस्तुति और हस्तक्षेप उपरांत तीन मिनट का मौन, के प्रति अपनी सहमति जताई। प्रेस विज्ञाप्ति के दौरान उपस्थित अन्य प्रतिनिधियों ने भी संत पापा ने इस निर्देंश का समर्थन किया जो आत्म-परिक्षण और विषयवस्तुओं को आत्मसात करने में मदद करती है। ला चीभीता कैथोलिका के संचालक अंतोनियो अस्पदारो ने कहा, “धर्मसभा संसद भवन नहीं है बल्कि यह हमारे लिए आत्मचिंतन और आध्यात्मिक स्थल है जहाँ हम विचारों पर वाद-विवाद नहीं करते हैं।”  

निरंतरता और सुस्पष्टता

क्वैलमेस के धर्माध्यक्ष ने इस बात को सुस्पष्ट किया कि धर्माध्यक्षीय धर्मसभा “कलीसिया के लिए एक अवसर है” जहां हम “युवा लोगों” को सुनते हैं जो हमारे लिए ईश्वर की “एक आशीष” को लेकर आती है। हमारा सुनना उनकी शांति को भी समझने में हमारी मदद करती है। यह अवसर हमें इस बात के लिए प्रेरित करे कि कलीसिया के रुप में हम युवाओं को सुव्यवस्थित करते हुए उन्हें सहायता और प्रोत्सहित करें, जो हमारे लिए “युवाओं और येसु ख्रीस्त के बीच मिलन” का अवसर होगा। उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षगण, पुरोहित वास्तव में इस मित्रता में एक सेतु का कार्य करते हैं। हमें युवाओं को यह याद दिलाने का जरूरत है कि उनका जीवन बहुमूल्य है और वे अपने जीवन यात्रा में अकेले नहीं हैं। मिलान काथलिक महाविद्यालय की प्रध्यापिक कियारा जियाकारडी ने धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की सुस्पष्टता और साक्षा पर जोर दिया जो युवाओं को सुनने हेतु हमें तैयार करता है। वियातनाम से युवा प्रतिभागी ने धर्मसभा में अपनी सहभागिता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि युवा के प्रति कलीसिया का खुलापन उन्हें जीवन के प्रति आशावान बनायेंगा औऱ वे कठिनाई के बावजूद अपने जीवन में आगे बढ़ पायेंगे।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

05 October 2018, 16:20