सिनॉड में सम्बोधित करते संत पापा सिनॉड में सम्बोधित करते संत पापा 

सिनॉड आदान-प्रदान का समय, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने बुधवार 3 अक्टूबर को युवाओं पर वाटिकन में हो रही 15वीं धर्माध्यक्षीय धर्मसभा (सिनॉड) की शुरूआत करते हुए सिनॉड के प्रतिभागियों को सम्बोधित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "धर्माध्यक्षीय धर्मसभा जिसकी हम शुरूआत कर रहे हैं, यह एक आदान-प्रदान का समय है, आदान-प्रदान करने के लिए साहस एवं खुलापन तथा विनम्रता के साथ सुनने की आवश्यकता होती है। सिनॉड में विचार-विमर्श होनी चाहिए, खासकर, उन लोगों के बीच जो इसमें भाग ले रहे हैं।"

मौन की आवश्यकता

संत पापा ने इस बात पर जोर दिया कि सिनॉड आत्मपरीक्षण हेतु एक कलीसियाई प्रयोग है, एक आंतरिक मनोभाव जो विश्वास पर आधारित है। इस सभा में हर पाँच भाषण के बाद मौन का समय होगा जिससे कि प्रतिभागी उन बातों पर चिंतन कर पायेंगे जिनको वे भाषण में सुनते हैं।

सुनने का महत्व

सुनने का महत्व संत पापा के भाषण का मुख्य बिन्दु था। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी कलीसिया बननी है जो सुनती और यात्रा करती है। हमें अपने पूर्वाग्रह एवं रूढ़िवादी विचारधारा को छोड़ देना चाहिए, विशेषकर, उन्होंने याजकवाद की मुसीबत एवं आत्मनिर्भरता के विषाणु से सावधान रहने की चेतावनी दी।

ईश्वर का समय

संत पापा ने स्मरण दिलाया कि कलीसिया आज समस्याएँ झेल रही है उसके बावजूद हमारा विश्वास हमें बतलाता है कि यह "कैरोस" (निर्णय या कार्रवाई) का समय है, ईश्वर का समय जिसमें प्रभु हमसे मुलाकात करने आते हैं, हमें प्रेम करने तथा पूर्ण जीवन प्रदान करने।

संत पापा ने कहा, "धर्माध्यक्षीय धर्मसभा हमारे हृदय को जागृत करे। मुलाकात पीढ़ियों के बीच आशा उत्पन्न करे। हम भविष्य के साथ समय व्यतीत करें ताकि इस सिनॉड से न केवल हम दस्तावेज ले जा सकें बल्कि सबसे बढ़कर, ठोस प्रेरितिक प्रस्ताव ले सकें जो सिनॉड के उद्देश्य को पूर्ण करेगा।"  

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04 October 2018, 15:33