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देवदूत प्रार्थना के पूर्व संदेश देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के पूर्व संदेश देते संत पापा 

सिनॉड सुनने का समय था, संत पापा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 28 अक्टूबर को संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

आज प्रातः संत पेत्रुस महागिरजाघर में हमने धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की समाप्ति का ख्रीस्तयाग अर्पित किया जो युवाओं को समर्पित थी। पहला पाठ जो नबी येरेमियाह के ग्रंथ से लिया गया था (येरे.31,7-9) इस समय खास रूप से प्रेरित करता है क्योंकि ये आशा के शब्द हैं जिनको ईश्वर अपने लोगों को प्रदान करते हैं। सहानुभूति के शब्द जो इस सच्चाई पर आधारित हैं कि ईश्वर अपने लोगों के पिता हैं, वे उन्हें प्यार करते तथा अपने पुत्र-पुत्रियों के समान उनकी देखभाल करते हैं। (पद. 9) वे उनके सामने भविष्य के एक क्षितिज, एक सुलभ एवं संभव मार्ग को खोल देते हैं जिसपर अंधे एवं लंगड़े, गर्भवती एवं प्रसूता स्त्रियाँ यानी कठिनाई में पड़े लोग भी चल सकते हैं। आशा उन विज्ञापनों के समान मोहिनी नहीं है जिनमें सबकुछ सुन्दर और स्वस्थ दिखाया जाता है बल्कि सच्चे लोगों के लिए एक प्रतिज्ञा है। हमारे समान लोगों के लिए ईश्वर की आशा एक प्रतिज्ञा है।

सिनॉड के दौरान धर्माध्यक्षों का अनुभव

संत पापा ने कहा कि ईश्वर का यह वचन, सिनॉड के दौरान हमने जो महसूस किया उसे अच्छी तरह व्यक्त करता है। यह सहानुभूति एवं आशा का समय था। जिसमें मेहनत करना पड़ा और थकान का अनुभव भी हुआ। यह सबसे बढ़कर सुनने का समय था। सुनना, वास्तव में समय, ध्यान, मन एवं हृदय के खुलेपन की मांग करता है। यह समर्पण सभी युवाओं के लिए तसल्ली बन गया था क्योंकि हमारे बीच युवाओं की, उनके अनुभवों एवं सहयोगों के साथ एक सक्रिय एवं प्रेरणादायक उपस्थिति थी। सिनॉड धर्माध्यक्षों के साक्ष्यों द्वारा नई पीढ़ी की कई वास्तविकताएँ सिनॉड में पहुँची, कहा जा सकता है कि हर कोने से, हर महादेश से तथा मानव एवं संस्कृति के विभिन्न परिस्थितियों से बातें रखी गयीं।

सुनने से लाभ

संत पापा ने कहा, सुनने के इस खास मनोभाव के साथ हमने सच्चाई को जानने तथा हमारे समय के चिन्ह को समझने की कोशिश की। ईश्वर के वचन एवं पवित्र आत्मा के प्रकाश में एक सामूहिक निर्णय लिया गया। यह एक अति सुन्दर उपहार है जिसको प्रभु ने काथलिक कलीसिया को प्रदान किया है, अर्थात् बिलकुल भिन्न वास्तविकताओं से आवाजों एवं चेहरों को एक साथ लाने तथा उनकी व्याख्या करने की कोशिश की गयी, जो घटना की समृद्धि एवं जटिलता को हमेशा सुसमाचार के प्रकाश में देखता है।

इस तरह इन दिनों, हमने विचार-विमार्श किया कि कई चुनौतियों के बावजूद हम किस तरह एक साथ आगे बढ़ सकते हैं, खासकर, डिजिटल दुनिया, पलायन की परिस्थिति, शरीर एवं यौन की भावना तथा युद्ध एवं हिंसा की स्थिति के बीच।

सिनॉड के फल

अब इस परिश्रम का फल तैयार हो रहा है जैसा कि फसल के बाद पीपा में अंगूर का रस होता है। युवाओं पर सिनॉड अंगूर के एक अच्छे फसल के समान रहा जो उत्तम दाखरस की उम्मीद प्रदान की। संत पापा ने सिनॉड के फलों के बारे बतलाते हुए कहा, "मैं सिनॉड के प्रथम फल के बारे कहना चाहता हूँ कि यह उस प्रणाली का उदाहरण है जिसको उसकी तैयारी के समय से ही लिया गया है। धर्माध्यक्षीय धर्मसभा की कार्य प्रणाली, जिसका मुख्य उद्देश्य एक दस्तावेज का मसौदा तैयार करना नहीं बल्कि युवाओं एवं वयोबृद्धों को सुनने एवं निर्णय लेने के लिए, एक साथ होना एवं काम करना है ताकि उस प्रेरिताई तक पहुँचा जा सकें जो सच्चाई का प्रत्युत्तर देता है।

माता मरियम से प्रार्थना

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "हम इसके लिए धन्य कुँवारी मरियम की मध्यस्थता का आह्वान करें जो कलीसिया की माता हैं। हम उन्हें सिनॉड की महासभा के उपहार के लिए, ईश्वर के प्रति धन्यवाद को अर्पित करें। हमने जो अनुभव किया है वे उसे निर्भय होकर समुदाय के दैनिक जीवन में बांटने हेतु हमें मदद करे। पवित्र आत्मा अपने सामर्थ्य से उस परिश्रम के फल को बढ़ाये ताकि हम विश्व के सभी युवाओं के साथ आगे बढ़ सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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29 October 2018, 16:03