आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा आमदर्शन समारोह के दौरान संत पापा  

येसु का जीवनः हमारी निष्ठा का आधार

बुधवारीय आमदर्शन समारोह में संत पापा फाँसिस ने तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को निष्ठावान बनने की शिक्षा दी।

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार, 24 अक्टूबर 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने अपने बुधवारीय आमदर्शन समारोह के अवसर पर संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्रांगण में विश्व के विभिन्न देशों से आये हुए तीर्थयात्रियों और विश्वासियों को ईश्वर की दस आज्ञाओं पर अपनी धर्मशिक्षा माला को आगे बढ़ते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों, सुप्रभात।

संहिता की दस आज्ञाओं पर अपनी धर्मशिक्षा के अंतर्गत आज हम छःवीं आज्ञा पर पहुंचते हैं जिसका आयाम मानवीय जीवन की भावना और यौन क्रिया से हैं, जो हमें कहता है, “व्यभिचार मत करो”।

यह हमें निष्ठावान बने रहने का आहृवान करता है। वास्तव में निष्ठा और वफादारी के अभाव में कोई भी मानवीय संबंध अपने में सच्चा नहीं हो सकता है।

हमारे प्रेम का प्रकटीकरण

हमारा प्रेम “सुविधाजनक स्थिति” तक सीमित हो कर नहीं रहता बल्कि यह अपने को अपनी सुविधाओं से परे व्यक्त करता है, जहाँ हम अपने को शर्तहीन दूसरे के लिए देते हैं। इसके बारे में धर्मशिक्षा करती है,“प्रेम निश्चितता की चाहता करता, यह अपने में तबतक नहीं होता सकता “जबतक यह अभिव्यक्त न हो”(1646)। निष्ठा मानवीय जीवन के संबंध की वह विशेषता है जो मानव को स्वतंत्र, परिपक्व और उत्तरदायी बनाता है। एक मित्र अपने इन्हीं गुणओं के कारण हमें अपनी मित्रता की मिसाल पेश करता है क्योंकि वह जीवन की हर परिस्थितियों में हमारे साथ मित्र बना रहता है यदि ऐसा नहीं होता तो वह हमारा सच्चा मित्र नहीं। येसु हमारे लिए अपने सच्चे प्रेम को व्यक्त करते हैं। येसु अपने पिता के साथ प्रेमपूर्ण संबंध से जुड़े हुए हैं और अपने उसी गुण के कारण वे हमारे साथ एक निष्ठावान मित्र के रुप में पेश आते हैं। वे हमारे प्रति निष्ठावान बने रहते हैं यहाँ तक उस क्षणों में भी जब हम गलतियाँ करते और केवल अपनी ही भलाई तक सीमित हो कर रह जाते, यहाँ तक की हम उनकी मित्रता के योग्य नहीं रह जाते हैं।

शर्तहीन प्रेम का महत्व

संत पापा ने कहा कि मानव को उसके जीवन में शर्तहीन प्रेम की आवश्यकता है। वह व्यक्ति जिसके जीवन में इस प्रेम की कमी होती वह अपने में अधूरा रह जाता है यद्यपि बहुधा उसे इसका ज्ञान नहीं होता है। मानव अपने हृदय के इस खालीपन को कई रुपों में भरने का प्रयास करता है। वह अपने जीवन में तोलमोल करता और एक तरह से छिछला जीवनयापन करता है क्योंकि उसने अपने जीवन में शर्तहीन प्रेम का रसास्वादन नहीं किया है। इस तरह हम “प्रेम” को कच्चा और अपरिपक्वा संबंध के रुप में उसके जीवन में पाते हैं। वह अपने जीवन में किसी वस्तु की खोज करता है जो उसे यह एहसास दिलाती है कि उसके द्वारा जीवन का प्रकाश प्रदीप्त हो रहा है लेकिन यह उसमें एक भ्रमक स्थिति है।

संत पापा ने कहा कि हमारी शारीरिक सुन्दरता जो हमें ईश्वर की ओर से एक उपहार स्वरुप मिला है हमें दूसरे के साथ एक सच्चा और निष्ठा पूर्ण संबंध स्थापित करने में मदद करता है। संत पापा योहन पौलुस द्वितीय इसके संबंध में कहते हैं, “मानव अपनी पूर्ण परिपक्वता में एक दूसरे के साथ सहज संबंध स्थापित करने हेतु बुलाया गया है जिसके फलस्वरुप वह अपने हृदय की भावनाओं का आत्म-परीक्षण करता है”। हम अपने शरीर पर विजय होते हैं जब हम “अपनी दृढ़ता और निरंतरता” में अपने शरीर के अर्थ को समझने का प्रयास करते हैं।” (धर्मशिक्षा,12 नवम्बर 1980)

ईश्वरीय प्रेम जीवन का आधार

वैवाहिक जीवन हमसे इस बात की मांग करता है कि हम सतर्कतापूर्वक अपने समर्पित जीवन में अपने संबंध की गुणवत्ता का आत्म-परीक्षण करें। वैवाहिक जीवन में समर्पित लोगों को अपने में यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि उनके जीवन में ईश्वर की उपस्थिति, जो उन्हें जीवन में आगे बढ़ने हेतु मदद करते, जो उन्हें यह घोषित करने हेतु सहायता देते हैं, “ईश्वर की कृपा से मैं सदा आपके प्रति निष्ठावान बना रहूंगा।” दंपति अपने जीवन में अपनी ख्याति या आशा के आधार पर,“सुख और दुःख में, स्वाथ्य्य और बीमारी में” एक दूसरे के प्रति निष्ठावान बने रहने की प्रतिज्ञा को कायम नहीं रख सकते हैं। उनके लिए यह जरूरी है कि वे अपने को ईश्वर के निष्ठावान प्रेम में आधारित रखें।

विवाह की तैयारी महत्वपूर्ण

संत पापा ने कहा कि इसके लिए हमें चाहिए कि विवाह संस्कार में प्रवेश करने के पहले हम इसकी तैयारी अच्छी तरह करें। उन्होंने कहा, “मैं विवाह संस्कार के दीक्षार्थियों से कहना चाहूँगा कि हम जीवन भर प्रेम से खेलते हैं, हम इस प्रेम से मजाक न करें।” हमारे पल्लियों में “विवाह की तैयारी” हेतु तीन या चार सम्मेलनों  का आयोजन अपने में काफी नहीं है। संत पापा ने कहा कि यह विवाह की तैयारी हेतु प्रर्याप्त नहीं है यह एक झूठी तैयारी है। पल्ली पुरोहित, धर्माध्यक्ष जो इस तरह की तैयारी का आयोजन करते हैं वे इसके जिम्मेदार हैं, यह उनकी जवाबदेही है। संत पापा ने कहा कि विवाह की तैयारी हेतु समय देने की आवश्यकता है। यह कोई औपचारिक क्रिया नहीं, यह एक संस्कार है। इसके लिए हमें एक अच्छे प्रशिक्षक की जरूरत है।

निष्ठा जीवन का मार्ग 

निष्ठा हमारे लिए जीवन का एक मार्ग है। हम अपनी निष्ठा में कार्य करते हैं, ईमानदारी से बातें करते और अपनी निष्ठा के कारण अपने जीवन के बोली-वचन, सोच और कार्य में सत्य बने रहते हैं। निष्ठा भरा जीवन अपने को सभी रुपों में व्यक्त करता है जहाँ हम एक व्यक्ति को सभी परिस्थितियों में विश्वासी और भरोसेमंद पाते हैं।

संत पापा ने कहा कि लेकिन जीवन की इस सुन्दर परिस्थिति तक पहुंचने हेतु मानवीय स्वभाव काफी नहीं है। हमारे लिए यह जरूरी है कि ईश्वरीय निष्ठा हमारे जीवन का अंग बने, हमें प्रभावित करे। संहिता की छठी आज्ञा हमें ईश्वर की ओर अपनी निगाहें फेरने का आहृवान करती है जो अपनी निष्ठा में हमारे व्याभिचारी हृदय को दूर करते और हमें एक ईमानदार हृदय प्रदान करते हैं। हम केवल ईश्वर में अपने लिए शर्तहीन प्रेम को पाते हैं जो बिना विचारे, बिना रुके हमें अपने प्रेम से भरते रहते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि हमारे लिए निष्ठा उनकी मृत्यु और पुनरूत्थान से आती है। उनके शर्तहीन प्रेम से हमारे आपसी संबंध में निरंतरता आती है। येसु ख्रीस्त, पिता ईश्वर और पवित्र आत्मा के साथ हमारा संयुक्त रहना, हमें अपने जीवन में एक दूसरे के साथ एकता में बने रहने औऱ निष्ठापूर्ण जीवन जीने में मदद करता है।

इतना कहने के बाद संत पापा फ्रांसिस ने अपनी धर्मशिक्षा माला का अंत किया और सामुदायिक हे पिता हमारे प्रार्थना का पाठ करते हुए सभों को अपने प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।

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24 October 2018, 14:43