खोज

जर्मनी में आप्रवासियों के विरुद्ध दक्षिणपंथी प्रदर्शन जर्मनी में आप्रवासियों के विरुद्ध दक्षिणपंथी प्रदर्शन  

ज़ेनोफोबिया, नस्लवाद पर सम्मेलन के प्रतिभागियों को सम्बोधन

सन्त पापा फ्राँसिस ने ज़ेनोफोबिया, नस्लवाद एवं राष्ट्रवाद पर सम्मेलन में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को अपना सन्देश प्रदान कर कहा कि आप्रवासियों के विरुद्ध बढ़ती घृणा के प्रति उदासीन नहीं रहा जा सकता।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, गुरुवार, 20 सितम्बर 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): वाटिकन में गुरुवार को सन्त पापा फ्राँसिस ने ज़ेनोफोबिया, नस्लवाद एवं राष्ट्रवाद पर सम्मेलन में भाग लेनेवाले प्रतिभागियों को अपना सन्देश प्रदान कर कहा कि आप्रवासियों के विरुद्ध बढ़ती घृणा के प्रति उदासीन नहीं रहा जा सकता.

रोम में विश्वव्यापी आप्रवास के सन्दर्भ में ज़ेनोफोबिया, नस्लवाद एवं राष्ट्रवाद पर 18 से 20 सितम्बर तक एक सम्मेलन जारी रहा जिसमें संयुक्त राष्ट्र संघ , यूरोपीय कलीसियाओं की समिति, विभिन्न ख्रीस्तीय सम्प्रदायों, एकतावर्द्धक ख्रीस्तीय कलीसियाओं तथा अन्य धर्मों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. 20 सितम्बर को प्रतिभागियों ने सन्त पापा फ्रांसिस से मुलाकात की.

समाज में बढ़ती असहिष्णुता के प्रति चेतावनी

सन्त पापा ने कहा, "हम ऐसे समय में जीवन यापन कर रहे हैं जब नस्लीय, राष्ट्रीय एवं धार्मिक संबद्धता के कारण अपने से भिन्न व्यक्तियों एवं समूहों के विरुद्ध सन्देह, भय, अवमानना ​​और यहाँ तक कि घृणा के भाव तूल पा रहे हैं. यह भावना भी प्रबल हो रही है कि नस्लीय, सांस्कृतिक एवं धार्मिक आधार पर हमसे भिन्न लोग समाज के जीवन में पूरी तरह से भाग लेने के योग्य नहीं हैं."

उन लोगों को भी सन्त पापा ने फटकार बताई  जो प्रवासियों के प्रति अविश्वास के वातावरण का फायदा उठाकर उनका शोषण करते हैं तथा उनसे दासों की तरह काम करवाते हैं. सन्त पापा ने कहा कि मेज़बान देशों में अवैध और अनियमित आप्रवासियों का शोषण करनेवालों को अपने अन्तःकरण की जाँच करने की आवश्यकता है.

उन्होंने कहा, "इन गम्भीर तथ्यों के समक्ष हम उदासीन नहीं रह सकते. हम सब, बुलाये गये हैं कि हम अपनी-अपनी विभिन्न भूमिकाओं में प्रत्येक मानव व्यक्ति की प्रतिष्ठा और गरिमा को प्रोत्साहित करें."

शिक्षकों, प्राध्यापकों एवं मीडियाकर्मियों से अपील

शिक्षकों तथा प्राध्यापकों का सन्त पापा ने आह्वान किया कि वे स्कूलों , महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों में शारीरिक एवं सांस्कृतिक विविधता को स्वीकार करने तथा समस्त व्यक्तियों की मानव प्रतिष्ठा का सम्मान करने की अपने छात्रों को शिक्षा प्रदान करें. पत्रकारों एवं मीडिया में कार्यरत लोगों भी सन्त पापा का ने आह्वान किया कि वे सत्य को तोड़-मरोड़ कर न प्रस्तुत करें तथा अपने लेखों आदि  द्वारा लोगों में घृणा भाव को बढ़ावा न दें बल्कि विविधता के प्रति उदारता का सन्देश प्रसारित करें. 

धार्मिक नेताओं का दायित्व

सन्त पापा ने कहा, "नस्लवाद एवं जातिवाद के नवीन प्रकारों के समक्ष धार्मिक नेताओं का भी मिशन महत्वपूर्ण हो उठता है . उनका दायित्व है कि वे अपने लोगों के बीच जीवन के नैतिक मूल्यों का प्रसार करें तथा प्रत्येक व्यक्ति की गरिमा पर आधारित जीवन की पवित्रता के प्रति सम्मान को प्रोत्साहन प्रदान करें."

यह कहते हुए कि सभी ईश्वर की सृष्टि हैं सन्त पापा ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में दूसरों में अपने भाई और बहन के दर्शन करना हमारा दायित्व है. उन्होंने कहा, "येसु ख्रीस्त में यह भ्रातृत्व प्रेम, उदारता के कार्य तथा एकात्मता में परिणत होता है. दीन हीनों में हम येसु के दर्शन करें, आप्रवासियों और अजनबियों में उन्हें पहचाने तथा उन्हें अपने भाई-बहन स्वीकार करें ."

 

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 September 2018, 11:14