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नये धर्माध्यक्षों से मुलाकत करते संत पापा नये धर्माध्यक्षों से मुलाकत करते संत पापा 

नये धर्माध्यक्षों को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार 13 सितम्बर को धर्माध्यक्षों के धर्मसंघ के सेमिनार में भाग लेने वाले धर्माध्यक्षों से मुलाकात की और उनसे कहा कि वे अपने विश्वासियों से बातचीत करें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने उन्हें सम्बोधित कर कहा कि वे ईश्वर द्वारा चुने गये हैं अतः उनसे जो मांग की जाती है उसे आधा देना नहीं है बल्कि अपने सम्पूर्ण समय को उन्हें समर्पित करना है। उन्होंने कहा कि धर्माध्यक्षों को उस समय भी जागरूक रहना है जब प्रकाश गायब हो जाता है अथवा ईश्वर अंधकार में छिप जाते हैं। जब पीछे लौटने का प्रलोभन तथा शैतान के बहकावे में पड़ने की नौबत आती है जो कहता है कि अभी समय नहीं आया है।

विश्वास में दृढ़

संत पापा ने कहा कि उस समय भी विश्वस्त बने रहना महत्वपूर्ण है जब दिन के धूप में धीरज कमजोर होने लगती है तथा हमारे उपायों पर हमारी थकान भरोसा करना छोड़ देती है। अपने मिशन की शुरूआत करने वाले धर्माध्यक्षों को संत पापा ने ईश्वर को अपने केंद्र में रखने की सलाह दी, क्योंकि वे ही हैं जो हमसे सब कुछ मांगते किन्तु बदले में  हमें परिपूर्ण जीवन प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें आपदाओं की कहानियों अथवा विनाश की भविष्यवाणी की ओर नहीं खिंच जाना चाहिए क्योंकि उनके लिए सचमुच महत्वपूर्ण है कि वे धीरज रखते हुए प्रभु की ओर अपना सिर उठाये रखें।

मानवता ईश्वर का मिशन

अपने संदेश में संत पापा ने ईश्वर के उन समर्पित लोगों पर भी गौर किया जो अपने कार्यों में मौन रूप से समर्पित होते हैं तथा वे जो कुछ भी अच्छा काम करते हैं उनको  प्रथम पृष्ठ पर प्रकाशित नहीं किये जाने पर भी धीरज बनाये रखते हैं। वे सुसमाचार की कृपा एवं दया पर विश्वास करते तथा उन लोगों के बीच साहस पूर्वक उसका प्रचार करते हैं जिनमें जीने, आशा रखने एवं प्रेम की सार्थकता की प्यास है।

संत पापा ने वर्तमान परिस्थितियों पर गौर करते हुए कहा कि वे उन बातों से सचेत हैं कि आज अकेलापन एवं परित्याग की भावना है, व्यक्तिवाद एवं दूसरों के विकास के प्रति उदासीनता प्रबल हो गयी है। उनका भाग्य उनके अंतःकरण को चुनौती नहीं देता और बहुधा बड़े उत्तरदायित्व वहन करने वाले लोग, अपनी जिम्मेदारी से मुकर जाते हैं। किन्तु हम ख्रीस्त के शरीर का त्याग नहीं कर सकते जिन्हें हमें सौंपा गया है, न केवल संस्कारों में जिसको हम तोड़ते बल्कि उन लोगों में भी जिनको हमें सौंपा गया है।

नयी अंगुरी

संत पापा ने रेखांकित किया कि कलीसिया का उदेश्य नयी अंगुरी प्रदान करना है जो ख्रीस्त हैं। हमें कोई भी वस्तु इस मिशन से विचलित नहीं कर सकता। उन्होंने कहा, "आपसे मुलाकात करने वाला हर व्यक्ति ईश्वर की सुन्दरता का स्पर्श कर सके, उनकी सुरक्षा महसूस करे और उनका पूर्ण सामीप्य का एहसास कर सके। पवित्रता का विकास तभी होता है जब व्यक्ति समझ जाता है कि ईश्वर हमारे कब्जे में नहीं हैं, उन्हें अपनी स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए बाड़ों की जरूरत नहीं होती और उनका स्पर्श कर कोई भी वस्तु उन्हें अशुद्ध नहीं कर सकती उलटे वे उन सभी चीजों को पवित्र कर देते हैं जिनका स्पर्श वे करते हैं। हमें न तो अपने सदगुणों का हिसाब देने की आवश्यकता नहीं है और न ही अपने संयम तथा व्यक्तिगत दैनिक व्यायाम की अथवा भोजन करने के तरीके की। पवित्रता का स्रोत है आनन्द के सुसमाचार में हमारी पहुँच।

संत पापा ने धर्माध्यक्षों से अपील की कि वे अपने विश्वासियों के सवालों का उत्तर दें, गुरूकुल छात्रों के प्रति विशेष ध्यान दें। उन्होंने कहा कि हम अपनी बुलाहट को नवीकृत किये बिना, उनकी ओर से आने वाली चुनौतियों का प्रत्युत्तर नहीं दे सकते। कई मामलों में यदि वे अपने अंदर के खालीपन को प्रकट नहीं कर पाते जिन्हें पोषित किये जाने की आवश्यकता होती है।

सच्ची पवित्रता

संत पाप ने नये धर्माध्यक्षों से कहा कि एक साथ मिलकर काम करना आवश्यक है किन्तु सच्ची पवित्रता वह है जिसको ईश्वर हममें पूरा करते हैं जब हम उनकी आत्मा के प्रति विनम्र होते और सुसमाचार के आनन्द की ओर लौटते हैं। संत पापा ने उन्हें निमंत्रण दिया कि वे कड़वाहट के साथ नहीं बल्कि सहर्ष आगे बढ़ें, परेशानी के साथ नहीं किन्तु शांत भाव से, दूसरों को सांत्वना प्रदान करें। प्रभु में विश्राम की खोज करें, भेड़ियों से घिरे होने पर भी अपने हृदय के दीपक को प्रज्वलित रखें क्योंकि उन्हें अपने रेवड़ की रक्षा करने का हिसाब देना होगा।

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13 September 2018, 17:18