खोज

देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस देवदूत प्रार्थना करते पोप फ्राँसिस  

दुनिया के दूषण से बचने के लिए सावधान रहे, संत पापा

वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 2 सितम्बर को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

इस रविवार को हम पुनः एक बार, संत मारकुस रचित सुसमाचार (मार. 7,1-8.14-15.21-23) से पाठ शुरू करें। येसु हम सभी विश्वासियों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय प्रस्तुत करते हैं, यह विषय है किसी भी दुनियावी दूषण या कानूनी औपचारिकता से ईश वचन के प्रति आज्ञाकारिता की प्रमाणिकता।"

कहानी की शुरूआत आपत्ति से होती है। सदुकी और फरीसी, येसु के चेलों द्वारा परम्परागत रीतियों का पालन नहीं किये जाने पर, येसु के प्रति आपति जताते हैं। इस प्रकार वे येसु का एक गुरू के रूप में उनकी विश्वसनीयता और उनके अधिकार पर सवाल उठाते हैं, क्योंकि वे कहते हैं, ''आपके शिष्य पुरखों की परम्परा के अनुसार क्यों नहीं चलते? वे क्यों अशुद्ध हाथों से रोटी खाते हैं?" तब ईसा कहते हैं, ''इसायस ने तुम ढोंगियों के विषय में ठीक ही भविष्यवाणी की है। जैसा कि लिखा है- ये लोग मुख से मेरा आदर करते हैं, परन्तु इनका हृदय मुझ से दूर है। ये व्यर्थ ही मेरी पूजा करते हैं; और ये जो शिक्षा देते हैं, वे हैं मनुष्यों के बनाये हुए नियम मात्र।" (पद, 6-7)

ढोंगी शब्द का प्रयोग क्यों?

संत पापा ने कहा, "येसु के ये शब्द, स्पष्ट एवं दृढ़ हैं। "ढोंगी" शब्द सबसे कठोर विशेषण है जिसका प्रयोग वे सुसमाचार में धर्मगुरूओं, सहिंता के पंडितों तथा सदुकियों के सम्बोधन में करते हैं। वास्तव में, येसु सदुकियों एवं फरीसियों को उनकी गलती से अवगत कराना चाहते हैं। उनकी गलती क्या है? उनकी गलती है ईश्वर की इच्छा के विपरीत चलना, मानवीय परम्पराओं के पालन के लिए ईश्वर की आज्ञाओं की अवहेलना करना। यहाँ येसु की प्रतिक्रिया कड़ी है क्योंकि इसमें ईश्वर एवं मनुष्यों के बीच संबंध, तथा धार्मिक जीवन की प्रमाणिकता की सच्चाई में एक बड़ा खतरा है। एक ढोंगी झूठा होता है वह सच्चा नहीं होता।

प्रभु का निमंत्रण

संत पापा ने विश्वासियों को सचेत करते हुए कहा कि आज भी प्रभु हमें निमंत्रण देते हैं कि हम मूल तत्व से बढ़कर आकृति को महत्व देने के खतरे से बचें। वे हमें बार-बार निमंत्रण देते हैं कि हम विश्वास के सच्चे केंद्र, ईश्वर के प्रति प्रेम एवं पड़ोसियों के प्रति प्रेम को पहचानें, औपचारिकता एवं कर्मकाण्ड के ढोंगीपन से अपने आप को शुद्ध करें।   

प्रेरित याकुब के पत्र का हवाला देते हुए संत पापा ने कहा कि आज का यह सुसमाचार पाठ संत याकुब के पत्र द्वारा पुष्ट होता है जो कहते हैं कि एक सच्चे धर्मी को किस तरह होना चाहिए। "हमारे ईश्वर और पिता की दृष्टि में शुद्ध और निर्मल धर्माचरण यह है- विपत्ति में पड़े हुए अनाथों और विधवाओं की सहायता करना और अपने को संसार के दूषण से बचाये रखना।"( याकूब 1. 27)

अनाथ एवं विधवाओं की सहायता 

अनाथ एवं विधवाओं की सहायता करने का अर्थ है दूसरों का परोपकार करना जिसकी शुरूआत, सबसे अधिक जरूरतमंद, कमजोर एवं हाशिये पर जीवनयापन करने वाले लोगों से होती है। वे ही लोग हैं जिनकी चिंता ईश्वर विशेष रूप से करते हैं और हमें भी ऐसा करने की आज्ञा देते हैं। संत पापा ने कहा, "अपने को संसार के दूषण से बचाये रखने" का अर्थ यह नहीं है कि हम अपने आपको दूसरों से अलग कर लें अथवा अपने को वास्तविकता से बंद कर लें। यह बाह्य नहीं बल्कि आंतरिक मनोभाव है। इसका अर्थ है सचेत रहना जिससे कि हमारे सोच एवं कार्य, दुनियावी चीजों द्वारा दूषित न हों। वे दुनियावी चीजें हैं, घमंड, लालच, मिथ्य अभिमान आदि। वास्तव में, जो स्त्री अथवा पुरूष घमंड, लालच और मिथ्य अभिमान में जीता किन्तु दूसरी ओर खुद को धर्मी दिखलाता एवं दूसरों की निंदा करता है वह ढोंगी है।

आत्मजाँच करने की सलाह

संत पापा ने आत्मजाँच करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम अंतःकरण की जाँच करें और देखें कि हम ईश वचन का स्वागत किस तरह करते हैं। जब हम उसे रविवार को ख्रीस्तयाग में सुनते हैं तब क्या हम उसे दोचिताई या छिछले मन से सुनते हैं, यदि हम ऐसा करते हैं तब यह हमें मदद नहीं करेगा। वास्तव में, हमें ईश वचन का स्वागत उपजाऊ भूमि की तरह खुले मन और हृदय से करना चाहिए, ताकि हम इसे अपने दैनिक जीवन में आत्मसात कर सकेंगे और अधिक फल उत्पन्न कर पायेंगे।" येसु कहते हैं कि ईश्वर का वचन गेहूँ के दाने के सदृश्य है, जो हमारे ठोस कार्यों द्वारा विकसित होता है। इस प्रकार ईश वचन हमारे हृदय एवं कार्यों को शुद्ध करता है और ईश्वर तथा पड़ोसियों के साथ हमारा संबंध ढोंगपन से मुक्त हो जाता है। संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना की कि वे अपने उदाहरणों एवं निवेदनों के माध्यम से हमें सहायता दें कि हम प्रभु को सदा हृदय से सम्मान दें सकें एवं भाई बहनों की भलाई के ठोस चुनाव द्वारा, उन्हीं के प्रति प्रेम का साक्ष्य दे सकें।

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

03 September 2018, 13:16