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बेनेडिक्टाईन मठवासियों से मुलाकात करते संत पापा बेनेडिक्टाईन मठवासियों से मुलाकात करते संत पापा 

बेनेडिक्टाईन द्वारा अतिथियों के स्वागत की संत पापा ने की प्रशंसा

संत पापा फ्राँसिस ने शनिवार 8 सितम्बर को अंतरराष्ट्रीय बेनेडिक्टाईन संगोष्ठी के 120 प्रतिभागियों से वाटिकन के लोकसभा परिषद भवन में मुलाकात की। विश्वभर की बेनेडिक्टाईन धर्मबहनें 8वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में भाग लेने हेतु इस सप्ताह रोम में एकत्रित हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "आज संसार में अनेक लोग हैं जो अपने जीवन में कोमलता, दया, करूणा तथा ख्रीस्त को स्वीकार करने पर चिंतन करना चाहते हैं। उनके लिए आप ईश्वर के कोमल साधन के रूप में बहुमूल्य साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।"

उन्होंने कहा, "आपकी संगोष्ठी विश्वभर की बेनेडिक्टाईन मठवासियों एवं धर्मबहनों को एक साथ लाने का सुन्दर अवसर है ताकि आप एक साथ का अनुभव करते हुए संत बेनेडिक्ट के मनोभाव पर चिंतन एवं प्रार्थना कर सकें जो 15 सौ वर्षों बाद आज भी सजीव एवं निष्ठावान बनना हुआ है। मैं आपकी संगोष्ठी के दौरान आध्यात्मिक रूप से आपके करीब हूँ।"

अतिथियों का स्वागत

संगोष्ठी की विषयवस्तु है "सभी का स्वागत ख्रीस्त की तरह किया जाए।" संत पापा ने कहा कि इस विषयवस्तु ने बेनेडिक्टाईन ऑर्डर को अतिथ्यों का स्वागत करने के बुलावे को विशेष अभिव्यक्ति प्रदान की है जो येसु के उस कथन का पालन है जिसमें वे कहते हैं, "मैं परदेशी था और तुमने मेरा स्वागत किया।"

उन्होंने कहा कि विभिन्न धर्मों के लोगों का स्वागत करने के द्वारा वे ख्रीस्तीय एकतावर्धक वार्ता एवं अंतरधार्मिक वार्ता में सहयोग देते हैं क्योंकि बेनेडिक्टाईन गृह स्वागत, प्रार्थना एवं उदार आतिथ्य के स्थान के रूप में जाना जाता है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस विषयवस्तु पर चिंतन करने और अपने अनुभवों को एक-दूसरे को बांटने के द्वारा वे अपने विभिन्न मठों में सुसमाचार प्रचार के नये रास्तों को पा सकेंगे।

प्रार्थना का महत्व 

संत पापा ने बेनिडिक्टाई ऑर्डर के आदर्श वाक्य "ओरा एत लवोरा" (प्रार्थना एवं कार्य) का स्मरण दिलाते हुए कहा कि उनके जीवन के केंद्र में प्रार्थना है। प्रतिदिन पवित्र यूखारिस्त एवं कलीसिया की प्रार्थनाएं, उन्हें कलीसिया के जीवन से जोड़ती हैं। कलीसिया के अनुरूप बोलने और सांस लेने के द्वारा वे अपनी प्रार्थनाओं में सुदृढ़ बनती हैं। प्रशंसा की प्रार्थना, सारी मानव जाति एवं सृष्टि की आवाज को अभिव्यक्त करती है। धन्यवाद की प्रार्थना प्रभु के अनगिनत प्रार्थनाओं के लिए धन्यवाद ज्ञापन है। पीड़ितों, गरीबों एवं कठिनाइयों में पड़े लोगों के लिए निवेदन की प्रार्थना की जाती है। अन्याय, युद्ध एवं हिंसा से बचने तथा अपनी प्रतिष्ठा को देख पाने के लिए मध्यस्थ प्रार्थना चढ़ायी जाती है। संत पापा ने कहा कि वे व्यक्तिगत रूप से लोगों से मुलाकात नहीं कर पाते किन्तु विश्वास तथा ख्रीस्त के शरीर में वे उनकी बहनें हैं। उनकी प्रार्थनाओं के मूल्य का भले ही कोई हिसाब न हो किन्तु यह सबसे कीमती उपहार है। ईश्वर हमेशा दीनता एवं करुणा के भाव से हृदय से की गई प्रार्थनाओं को सुनते हैं।

पर्यावरण की देखभाल, प्रेम एवं सम्मान का साक्ष्य

संत पापा ने पर्यावरण की विशेष देखभाल के लिए उन्हें धन्यवाद दिया तथा प्रोत्साहन दिया कि वे प्रकृति की देखभाल के अपने तरीके एवं सेवाओं को बनायें रखें ताकि ईश्वर के अनोखे कार्यों की प्रशंसा अधिक लोग कर सकें।

उनके सामुदायिक जीवन पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा कि वे आपसी प्रेम एवं सम्मान का साक्ष्य देते हैं। वे विभिन्न जगहों एवं अगल-अगल अनुभवों के साथ आते हैं किन्तु एक-दूसरे को स्वीकार करते हुए एक साथ जीते हैं जो पहला चिन्ह है कि हम सभी ईश्वर की संतान हैं। उनकी विभिन्नता में एकता हमारी दुनिया के लिए ईश्वर की आशा को व्यक्त करती है, यह शांति, आपसी स्वीकृति एवं भाईचारापूर्ण प्रेम से बने एकता को दर्शाता है।

कलीसिया एवं माता मरियम के प्रतीक

संत पापा ने सभी धर्मबहनों से कहा कि अच्छाई, विश्वास, उदारता तथा कलीसिया की माता मरियम के अनुसरण द्वारा वे कलीसिया के बहुमूल्य उपहार हैं। उन्होंने कहा कि वे कलीसिया एवं माता मरियम के प्रतीक हैं अतः जो लोग उन्हें देखते हैं वे उनमें माता कलीसिया एवं ईश्वर की माता मरियम को देख सकें।    

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17वीं शताब्दी में बना बेनेडिक्टाईन गिरजाघर
08 September 2018, 12:59