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लातविया के आगलोना स्थित मरियम तीर्थ पर लातविया के आगलोना स्थित मरियम तीर्थ पर 

कठिनाई से हासिल स्वतंत्रता को संजोये रखें, उसकी रक्षा करें

सन्त पापा फ्रांसिस ने, 30 वर्षों पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए, लातविया के लोगों से सोमवार को आग्रह किया कि कठिनाई से प्राप्त तथा अनेक लोगों के रक्त से सिंचित स्वतंत्रता की वे रक्षा करें तथा उसे अपने हृदय में संजोये रखें।

जूलयट जेनेवीव क्रिस्टफर-वाटिकन सिटी

रीगा, मंगलवार, 25 सितम्बर 2018 (रेई, वाटिकन रेडियो): सन्त पापा फ्रांसिस ने, 30 वर्षों पूर्व सोवियत संघ से अलग हुए, लातविया के लोगों से सोमवार को आग्रह किया कि कठिनाई से प्राप्त तथा अनेक लोगों के रक्त से सिंचित स्वतंत्रता की वे रक्षा करें तथा उसे अपने हृदय में संजोये रखें.

काथलिक कलीसिया के परमधर्मगुरु सन्त पापा फ्राँसिस विगत शनिवार आरम्भ लिथुआनिया, लातविया एवं एस्तोनिया की प्रेरितिक यात्रा के अन्तिम चरण में पहुँच चुके हैं. शनिवार व रविवार लिथुआनिया में, सोमवार का दिन लातविया में तथा मंगलवार का दिन एस्तोनिया में व्यतीत कर वे मंगलवार देर सन्ध्या पुनः रोम लौट रहे हैं. 

स्वतंत्रता और स्वाधीनता के महत्व को पहचानें

बाल्कन के इन तीनों देशों ने 100 वर्ष पूर्व रूसी राजतंत्र से स्वतंत्रता पाई थी तथा सन् 1940 में सोवियत संघ ने इन पर कब्ज़ा कर लिया था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी की नाज़ी सेना ने इन देशों को अपने अधिकार में ले लिया था और फिर सन् 1991 तक ये सोवियत संघ के गणतंत्र रहे थे. सन्त पापा फ्राँसिस ने सोमवार को रीगा में कहा कि लातविया के त्रासदिक इतिहास से यहाँ के लोगों को स्वतंत्रता और स्वाधीनता के महत्व को पहचानना सीखना चाहिये. 

रीगा में स्वतंत्रता स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए सन्त पापा फ्राँसिस ने कहा, "यदि आज हम जश्न मना सक रहे हैं, तो यह उन सब लोगों के कारण है जिन्होंने दमनचक्र को समाप्त करने के लिये अपने प्राणों की आहुति दे दी तथा भविष्य के लिए दक दरवाजा खोल दिया, आपको उसकी रक्षा की ज़िम्मेदारी दी गई है. "

द्वितीय विश्व के युद्ध के दौरान नाज़ियों ने लातविया के कम से कम 70.000 यहूदियों को मौत के घाट उतार दिया था तथा उसके बाद सोवियत सेना ने लगभग 60,000 लोगों को साईबिरिया निर्वासित कर दिया था.

रूस में हालिया घटनाओं ने नई घबराहट उत्पन्न कर दी जिसके साथ बाल्कन के लिथुआनिया, लातविया एवं एस्तोनिया तीनों देश भूमि सीमा साझा करते हैं. ये तीनों यूरोपीय संघ और नेटो के सदस्य हैं. लातविया के राष्ट्रपति ने सन्त पापा का अभिवादन करते हुए कहा था, "20 वीं शताब्दी में बाल्टिक राज्यों की नियति एक जीता जागता प्रमाण है कि विभाजित यूरोप केवल पीड़ा का कारण बनता है".

सन्त जेम्स महागिरजाघर में वयोवृद्धों से मुलाकात

रीगा के सन्त जेम्स महागिरजाघर में वयोवृद्धों से मुलाकात के अवसर पर सोमवार को सन्त पापा फ्रांसिस ने अत्याचारों एवं उत्पीड़न के बावजूद अपने विश्वास को सुदृढ़ बनाये रखने के लिये लातविया के लोगों की भूरि-भूरि प्रशंसा की. उन्होंने कहा, "लातविया के लोग युद्ध की वीभत्सता, राजनैतिक दमन, उत्पीड़न एवं निर्वासन की पीड़ा के समक्ष भी सुदृढ़ बने रहे तथा उन्होंने अपने विश्वास को बरकरार रखा."

सोमवार सन्ध्या रीगा में आगलोना की ईश माता मरियम को समर्पित तीर्थ स्थल पर सन्त पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तयाग अर्पित कर प्रवचन किया. लातवियाई लोगों से सन्त पापा ने कहा कि मरियम हमें रास्ता दिखाती है कि हम किस प्रकार उत्पीड़ितों, शोषितों एवं हाशिये पर जीवन यापन करनेवाले लोगों की ज़रूरतों को पूरा करें. मरियम को हम अपना आदर्श मानें और उन्हीं से अपने दैनिक जीवन में मार्गदर्शन प्राप्त करें.

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25 September 2018, 11:05