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ईराक एवं सीरिया के लिए बेहतर भविष्य सुनिश्चित करें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने शुक्रवार 14 सितम्बर को, वाटिकन स्थित कार्डिनल मंडल भवन में ईराक, सीरिया एवं पड़ोसी देशों में सेवारत काथलिक उदारता संगठनों के 150 सदस्यों से मुलाकात की जो ईराक, सीरिया एवं पड़ोसी देशों में संकट पर, कलीसिया के प्रत्युत्तर का समन्वय करने वाली सभा में भाग ले रहे हैं। इस वर्ष की सभा में विस्थापितों एवं शरणार्थियों की समस्याओं पर भी विचार किया जाएगा।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों को सम्बोधित कर कहा, “उस प्रांत में कई सालों से हिंसात्मक संघर्ष चल रहा है तथा सीरिया, ईराक और पड़ोसी देशों की स्थिति अत्यन्त चिंताजनक बनी हुई है। मैं प्रत्येक दिन अपनी प्रार्थनाओं में प्रभु के सामने वहाँ की कलीसियाओं एवं उन देशों के प्रिय लोगों की याद करता हूँ ताकि उनकी आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद दिया जा सके।”

ख्रीस्तियों का अस्तित्व गायब हो जाने के खतरे

संत पापा ने सभा के प्रतिभागियों को मानवीय सहायता पहुँचाने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा, "आप इन लोगों की जरूरतों को बेहतर ढंग से समझने और उन्हें सहायता पहुँचाने के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।" उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि उन क्षेत्रों में जहाँ से सुसमाचार की ज्योति प्रस्फूटित हुई थी, अब ख्रीस्तियों का अस्तित्व गायब हो जाने के खतरे में है। अतः अन्य कलीसियाओं के साथ, परमधर्मपीठ उन ख्रीस्तीय समुदायों के भविष्य को सुनिश्चित करने का प्रयास कर रही है। पूरी कलीसिया उन भाई बहनों की ओर विश्वास से देख रही है तथा प्रार्थनामय सामीप्य एवं ठोस उदारता द्वारा उन्हें प्रोत्साहन देती है कि वे हिंसा के अंधकार में न खो जाएं बल्कि आशा की ज्योति जलाये रखें। प्रेम का साक्ष्य जिसके द्वारा कलीसिया कमजोर एवं गरीब लोगों से आरम्भ कर, उनके रूदन को सुनती एवं उनका प्रत्युत्तर देने का प्रयास करती है, वह वर्तमान में प्रकाश का स्रोत एवं आशा का बीज बने, जो भविष्य में फल उत्पन्न कर सके।

एक साथ काम करने हेतु कलीसियाओं से अपील

संत पापा ने सभी सदस्यों को प्रोत्साहन देते हुए कहा, "ईश्वर की कृपा से हम भविष्य के लिए एक साथ कार्य करें। मैं आप सभी को प्रोत्साहन देता हूँ जो कलीसिया के नाम पर कार्य करते हैं, बच्चों को शिक्षा देने, युवाओं को रोजगार दिलाने, वयोवृद्धों एवं मानसिक रूप से बीमार लोगों के करीब रहने के कार्यों को जारी रखें, हृदय के घावों को भी न भूल जाएँ जिसको चंगा करने के लिए कलीसिया बुलाई गयी है, जहाँ अपराध है वहाँ क्षमा लायें, और जहाँ झगड़ा है वहाँ प्रेम।"  

संत पापा ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह संकट के शिकार लोगों की आवश्यकताओं को अनदेखा न करे और सबसे बढ़कर शांति स्थापित करने एवं युद्ध का अंत करने हेतु कार्य करने पर खास ध्यान दे।

विस्थापितों सुरक्षित घर लौटने में सहायता

संत पापा ने विस्थापितों की याद करते हुए कहा कि हम उन कारणों के लिए अपनी आँखें बंद नहीं कर सकते, जिसने लाखों लोगों को अत्यन्त दुःख के साथ अपना घर छोड़ने को मजबूर किया है। उन्होंने पुनः अंतरराष्ट्रीय समुदायों को प्रोत्साहन दिया कि वे अपनी प्रतिबद्धता को नवीकृत करें ताकि विस्थापित लोगों को सुरक्षित अपने घर लौटने में मदद दिया जा सके। उनकी सुरक्षा एवं भविष्य को सुनिश्चित किया जा सके। यह तभी संभव हो सकता है जब उन बच्चों के आँसूओं को पोंछा जा सकेगा, जिनके पास खंडहर, मृत्यु एवं विनाश के अलावा कुछ नहीं है, ताकि विश्व अपनी प्रतिष्ठा को पुनः प्राप्त कर सके। उन्होंने कहा कि इस संबंध में मैं उदारता संगठन के प्रयासों की सराहना करता हूँ जो विभिन्न देशों के शरणार्थियों के प्रतिनिधि के रूप में यहाँ उपस्थित हैं। संत पापा ने संत असीसी की प्रार्थना को दुहराते हुए कहा, "प्रभु मुझे शांति का मार्ग बना, जहाँ अंधकार है वहाँ प्रकाश ला सकूँ।" उन्होंने उन्हें प्रकाश एवं शांति का माध्यम बनने का प्रोत्साहन दिया।   

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14 September 2018, 15:57