देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

पृथ्वी पर स्वर्ग का पूर्वाभास है यूखारिस्त

रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व संत पापा फ्राँसिस ने यूखारिस्त पर येसु के उपदेश पर चिंतन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 20 अगस्त 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 19 अगस्त को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया। देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

ईसा का उपदेश

इस रविवार का सुसमाचार पाठ (यो. 6,51-58) कफरनाहूम के सभागृह में येसु के उपदेश के दूसरे भाग को प्रस्तुत करता है जिसके ठीक पहले उन्होंने पाँच रोटियों और दो मच्छलियों के चमत्कार द्वारा एक विशाल जनसमूह को खिलाया था। उन्होंने अपने आपको जीवन की रोटी बतलाया था, "स्वर्ग से उतरी हुई वह जीवन्त रोटी मैं हूँ। यदि कोई वह रोटी खायेगा, तो वह सदा जीवित रहेगा। जो रोटी में दूँगा, वह संसार के लिए अर्पित मेरा मांस है।''(पद. 51)

लोगों की प्रतिक्रिया

संत पापा ने कहा, "यह पाठ निर्णायक है तथा श्रोताओं में प्रतिक्रिया उत्पन्न करता है जो आपस में वाद-विवाद करते हैं, ‘‘यह हमें खाने के लिए अपना मांस कैसे दे सकता है?'' जब बांटी गयी रोटी के चिन्ह का सच्चा अर्थ सामने आया, जो आत्मत्याग है, खुद का बलिदान है, तब नसमझी उत्पन्न हो गयी। उनके प्रति उन सभी लोगों में तिरस्कार की भावना उत्पन्न हो गयी जो थोड़ी देर पहले उन्हें विजयी राजा के रूप में देखना चाहते थे। तब येसु को लोगों की नजरों से छिपना पड़ा था क्योंकि वे उन्हें राजा बनाना चाहते थे।   

येसु का आह्वान

येसु ने कहा, ‘‘यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा।" (पद. 53) संत पापा ने कहा, "मांस के साथ यहाँ रक्त भी है। मांस और रक्त बाईबिल की भाषा है जो सच्ची मानवता को दर्शाती है। जनसमूह एवं शिष्य समझ जाते हैं कि येसु उन्हें अपने साथ एक होने के लिए निमंत्रण देते हैं, उनका पान करने, उनके स्वभाव को धारण करने एवं दुनिया के लिए अर्पित उनके जीवन में सहभागी होने के लिए। वास्तव में, येसु का यह बलिदान विजय एवं मरीचिका से बढ़कर, जिसमें वे अपने आप को हमारे लिए अर्पित कर देते हैं।

येसु का शरीर, जीवन की सच्ची रोटी

जीवन की यह रोटी, ख्रीस्त के शरीर एवं रक्त का संस्कार है जो हमें यूखारिस्त के माध्यम से मुफ्त में प्रदान किया गया है। वेदी के चारो ओर एकत्रित होकर हम उन्हें प्राप्त करते हैं जो हमें पोषित करता और हमारी प्यास, आज एवं अनन्त काल के लिए बुझाता है। जब कभी हम पवित्र यूखारिस्त में भाग लेते हैं हम पृथ्वी पर स्वर्ग का पुर्वाभास करते हैं क्योंकि यूखरिस्तीय भोजन से, येसु के शरीर एवं रक्त द्वारा हम सीखते हैं कि अनन्त जीवन क्या है। संत पापा ने कहा कि अनन्त जीवन प्रभु के लिए जीना है जो कहते हैं, "जो मेरा मांस खाता और मेरा रक्त पीता है, उसे अनन्त जीवन प्राप्त है और मैं उसे अन्तिम दिन पुनर्जीवित कर दूँगा।" यूखारिस्त हमें ढांचा प्रदान करता है क्योंकि तब हम सिर्फ अपने लिए नहीं जीते बल्कि प्रभु और अपने भाई-बहनों के लिए जीते हैं। आनन्द एवं अनन्त जीवन प्राप्त करना हम पर निर्भर करता है कि हम यूखारिस्त में ग्रहण किये गये सुसमाचारी प्रेम को किस तरह फलदायक बनाते हैं।

येसु उस समय की तरह आज भी हम प्रत्येक से कहते हैं, "यदि तुम मानव पुत्र का मांस नहीं खाओगे और उसका रक्त नहीं पियोगे, तो तुम्हें जीवन प्राप्त नहीं होगा।" (पद. 53)

पवित्र परमप्रसाद ख्रीस्त का जीवित शरीर

संत पापा ने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "भौतिक भोजन नहीं किन्तु एक जीवित एवं सजीव रोटी ही ईश्वर के जीवन को प्रस्तुत करता है। जब हम पवित्र परमप्रसाद ग्रहण करते हैं तब हम ईश्वर के जीवन को ही ग्रहण करते हैं। इस जीवन को प्राप्त करने के लिए यह आवश्यक है कि हम सुसमाचार तथा भाई-बहनों के प्रेम से पोषित किये जाएँ। अपने शरीर एवं रक्त द्वारा पोषित करने हेतु येसु के निमंत्रण द्वारा हम भी सुसमाचार के उन श्रोताओं की तरह वाद-विवाद की आवश्यकता महसूस कर सकते हैं।" यह प्रलोभन तब आ सकता है जब हम अपने जीवन को दुनियावी नहीं किन्तु येसु के समान, उनकी शिक्षा के अनुसार आकार देने की कोशिश करते हैं। फिर भी येसु हमें अपने भोज में निमंत्रण देने से कभी नहीं थकते, जो स्वर्ग से उतरी हुई जीवन रोटी का भोज है। उनके भोजन से पोषित होकर हम ख्रीस्त के साथ पूर्ण रूप से संयुक्त हो जाते हैं और उनके मनोभाव एवं स्वभाव को धारण करते हैं। संत पापा ने ख्रीस्तयाग में भाग लेने का प्रोत्साहन देते हुए कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम मिस्सा में भाग लें तथा परमप्रसाद ग्रहण करें क्योंकि पवित्र परमप्रसाद ग्रहण करना, जीवित ख्रीस्त को ग्रहण करना है जो हमें बदल देते तथा हमें स्वर्ग राज्य के योग्य बनाते हैं।

ख्रीस्त के साथ संयुक्ति में माता मरियम से सहायता

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने हेतु प्रेरित करते हुए कहा कि धन्य कुँवारी मरियम, येसु ख्रीस्त के साथ संयुक्त होने के हमारे लक्ष्य को सुदृढ़ करे ताकि हम यूखारिस्त से पोषित होकर अपने भाई-बहनों के लिए रोटी बन सकें।     

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 August 2018, 14:12