संत पापा युवाओं का अभिवादन करते हुए संत पापा युवाओं का अभिवादन करते हुए 

अच्छाई न करना बुराई है

संत पापा फ्रांसिस ने देवदूत प्रार्थना के पूर्व दिये गये संदेश में युवाओं को अच्छे कार्य करने हेतु प्रेरित किया।

वाटिकन सिटी-दिलीप संजय एक्का

वाटिकन सिटी, सोमवार 13 अगस्त 2018 (रेई) संत पापा फ्राँसिस ने 13 अगस्त को संत पेत्रुस महागिरजा घर के प्रांगण में देवदूत प्रार्थना हेतु जमा हुए इटली के हज़ारों युवाओं, विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो और बहनों, सुप्रभात।
आज के दूसरे पाठ में संत पौलुस हमारा आहृवान करते हुए कहते हैं, “पवित्र आत्मा ने मुक्ति के दिन के लिए आप लोगों पर अपनी मोहर लगा दी है। आप उसे दुःख नहीं दीजिए।”(एफि.4.30) संत पापा ने विश्वासी समुदाय से प्रश्न करते हुए कहा कि हम अपने आप से पूछें कि हम कैसे पवित्र आत्मा को दुःख पहुँचाते हैं। हमने बपतिस्मा और दृढ़करण संस्कार में आत्मा का पान कराया गया है अतः उस आत्मा को दुःखित नहीं करने हेतु हमें बपतिस्मा संस्कार में मिले कृपादानों के अनुरूप निरंतर जीने की जरूरत है जो कि दृढ़करण संस्कार में हमारे लिए नवीकृत किया गया है। संत पापा ने जोर देते हुए कहा कि हम यह न भूलें कि हमें इसे दिखावे हेतु नहीं वरन सुसंगत रुप में जीने की जरूरत है। उन्होंने इस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बपतिस्मा की प्रतिज्ञा दो मुख्य बातों की ओर हमारा ध्यान आकर्षित कराती है बुराई का परित्याग और अच्चाई से हमारा जुड़ाव।

बुराई के परित्याग का अर्थ

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि बुराई का परित्याग करने का अर्थ हमारे लिए लोभ-लालचों, पाप और शैतान को “न” कहना है। इसे हम और अधिक ठोस रुप में कहें तो इसका अर्थ मृत्यु की संस्कृति को “न” कहना है जो हमें जीवन की सच्ची खुशी से असत्य की ओर ले जाती है जो झूठी चीजों, दिखावा, धोखाधड़ी, अन्याय और दूसरों के प्रति घृणा में व्यक्त होती है। हमें इन सारी बातों को “नकारने” की जरूरत है। बपतिस्मा में नया जीवन जो हमें ईश्वर की ओर से मिला है जहाँ हम पवित्र आत्मा को अपने जीवन में क्रियाशील पाते हैं उस व्यवहार का परित्याग करता है जो अपनी भावनाओं के कारण समाज में विभाजन और मनमुटाव कि स्थिति उत्पन्न करती है। यही कारण है कि संत पौलुस हमें इस बात के लिए सचेत करते हुए कहते हैं कि हम अपने हृदय से कटुता,उत्तेजना, क्रोध, लड़ाई-झगड़ा,परनिन्दा और हर तरह की बुराई अपने बीच में से दूर करें। (एफि.4.31) संत पापा ने कहा कि संत पौलुस के द्वारा कही गयी ये छः बातें या बुराइयाँ हमारे जीवन में पवित्र आत्मा से आने वाली खुशी का दमन करती है, यह हमारे हृदय को जहरीला बनाती है और यह ईश्वर तथा पड़ोसी के विरूद्ध अभिशाप बनता है।
संत पापा ने कहा कि यह हमारे लिए प्रार्याप्त नहीं है कि हम एक अच्छा ख्रीस्तीय होने के लिए अपने को बुरे कार्य करने से बचाये रखें। हमारे लिए यह आवश्यक है कि हम अपने को अच्छी चीजों से संयुक्त रखें और अपने जीवन में अच्छा कार्य करें। यहाँ संत पौलुस हमें आगे कहते हैं “हम एक दूसरे के प्रति दयालु तथा सहृदय बनें,एक दूसरे को क्षमा करें जैसे ईश्वर ने हमें ख्रीस्त में क्षमा कर दिया है।” हमने बहुत बार इस बात को सुना है, “मैं किसी को दुःख नहीं देता”। हम यह मानते हैं कि ऐसा व्यक्ति अपने में संत के समान है। संत पापा ने विश्वासी समुदाय से पूछा, “यह अच्छी बात है, लेकिन क्या हम सही हैंॽ कितने ही लोग हैं जो अपने जीवन में बुराई नहीं करते लेकिन वे अपने जीवन में अच्छे कार्य भी नहीं करते हैं और उनका जीवन उदासीनता में व्यतीत होता है वे अपने में कुनकुने रहते हैं। हमारा यह व्यवहार सुसमाचार के विपरीत होता है। यह युवाओं के व्यवहार के विपरीत है जो अपने स्वभाव में ऊर्जावान, उन्मुख और साहसिक होते हैं। संत पापा ने युवाओं का आहृवान करते हुए कहा, यदि आप इस बात को याद करते हैं तो हम एक साथ मिलकर बोलें, “बुराई न करना अच्छी बात है लेकिन अच्छाई न करना बुराई है।” ये हमारे लिए संत अल्बेर्तो हूर्तादो के शब्द हैं।

संत पापा की चुनौती

संत पापा फाँसिस ने युवाओं के सामने एक चुनौती रखते हुए कहा कि मैं आप से आग्रह करता हूँ कि आप अच्छाई के नायक बनें। आप अपने जीवन में अच्छे कार्यों को करें। आप जब अपने जीवन में बुरे कार्य नहीं करते हैं तो अपने को अच्छा न समझें। हम में से प्रत्येक जो अच्छा कार्य कर सकता है लेकिन हम उन कार्यों को नहीं करते तो हम अपने में दोषी हैं। किसी से घृणा न करना अपने में काफी नहीं है, हमें उन्हें क्षमा करने की जरूरत है। किसी के विरूद्ध मनमुटाव के भाव न रखना अपने में प्रर्याप्त नहीं है हमें अपने शत्रुओं के लिए प्रार्थना करने की जरूरत है। यह हमारे लिए काफी नहीं कि हम किसी से अलगाव का कारण नहीं हैं लेकिन हमें अशांति की परिस्थिति में शांति स्थापित करने की जरूरत है। संत पापा ने कहा कि किसी की बुराई करना उचित नहीं है हमें उस स्थिति में विराम लाने की जरूरत है जहाँ हम किसी के बारे में बुरी बातों को सुनते हैं। हमें लोगों के बारे में चुगली करने से बाज आना है यह हमारे लिए अच्छा कार्य है। यदि हम बुराई का विरोध नहीं करते तो हम मौन रूप में उसे बढ़ावा देते हैं। हमें उन स्थानों में हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है जहाँ हम बुराई को फैलता हुआ पाते हैं क्योंकि बुराई का प्रसार वहाँ होता है जहाँ हम सहासी ख्रीस्तियों की कमी को पाते हैं जो प्रेम के मार्ग का अनुसारण नहीं करते हैं।

बुराई को “न” अच्चाई को “हाँ”

संत पापा ने युवाओं से कहा कि इन दिनों आप लोगों ने लम्बी पैदल यात्रा की है। आप इसके आदी हो गये हैं अतः मैं आप से कहता हूँ कि आप प्रेम के मार्ग में चलें। हम एक साथ मिलकर आगामी धर्माध्यक्षों की धर्मसभा के साथ चलें। कुंवारी माता मरियम अपनी मातृत्वमय विचवई द्वारा हमारी सहायता करें जिससे हम अपने रोज दिन के जीवन में, अपने कार्यों द्वारा बुराई को “न” कहते हुए अच्छाई को “हाँ” कह सकें। इतना कहने के बाद संत पापा ने युवाओं, विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ मिलकर देवदूत प्रार्थना का पाठ किया और सभों को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद प्रदान किया।
 

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13 August 2018, 16:00