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देवदूत प्रार्थना के दौरान चिलचिलाती धूप में लोग देवदूत प्रार्थना के दौरान चिलचिलाती धूप में लोग 

येसु में विश्वास, प्रेरितिक कार्य का बल

रोटियों और मछलियों का चमत्कार पिता ईश्वर की ओर से हम मानव के लिए दिया गया एक बहुत बड़ा उपहार है जो कि स्वयं येसु ख्रीस्त हैं

वाटिकन सिटी-दिलीप संजय एक्का

वाटिकन सिटी, रोमवार 06 अगस्त 2017 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने अपने रविवारीय देवदूत प्रार्थना के पूर्व, विश्व के विभिन्न देशों से संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित हुए हजारों विश्वासियों और तीर्थयात्रियों को संबोधित करते हुए कहा, प्रिय भाइयो एवं बहनों सुप्रभात।

येसु  पिता ईश्वर के उपहार

हमने विगत सप्ताह के रविवारीय धर्मविधि पाठों में येसु के करूणामय रूप को देखता है जो भीड़, अपने पीछे आने वालों और अपनी शिक्षा को सुनने वाले की जरूरतों की चिंता करते तथा उन्हें पूरा करते हैं। आज के सुसमाचार में हम परिदृश्य को बदला हुआ पाते हैं। यह वही भीड़ है जिनकी भूख मिटाने हेतु येसु ने खाने की व्यवस्था की थी जो पुनः येसु की खोज में उनके पीछे आते और येसु से मिलते हैं। येसु के लिए यह प्रर्याप्त नहीं की लोग उनकी खोज करें वरन वे चाहते हैं कि वे उन्हें जाने। येसु चाहते हैं कि भीड़ द्वारा उनका खोजा जाना उन्हें उनकी भौतिक आवश्यकताओं की शीघ्रता से प्राप्ति के परे जाने में मदद करे। संत पापा ने कहा कि येसु हमारे लिए भौतिक जरूरत की वस्तुओं से बढ़कर एक और अधिक महत्वपूर्ण चीज ले कर आते हैं जो हमारे दैनिक जीवन की चिताओं, खाने-पीने,पहनने-ओढ़ने और अपने जीवन के कैरियर की क्षितिज्ञ से बृहृद है। इसलिए वे अपने अनुयायियों की ओर मुड़ते और उनसे कहते हैं, “तुम चमत्कार देखने के कारण मुझे नहीं खोजते बल्कि इसलिए कि तुम रोटियाँ खा कर तृप्त हो गये हो।” यह लोगों को अपने में विचार करने हेतु बाध्य करता है कि वे सिर्फ चमत्कारों का लाभ न उठायें वरन उन चमत्कारों के अर्थ पर भी चिंतन  करें। संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि वास्तव में, रोटियों और मछलियों का चमत्कार पिता ईश्वर की ओर से हम मानव के लिए दिया गया एक बहुत बड़ा उपहार है जो कि स्वयं येसु ख्रीस्त हैं।

येसु “जीवन की रोटी”

येसु ख्रीस्त हमारे लिए “जीवन की सच्ची रोटी” हैं। वे अपने जीवन के द्वारा न केवल हमारे शरीर की भूख मिटाते वरन हमें आध्यात्मिक भोजन प्रदान करते हुए हमारी आत्मा को भी पोषित करना चाहते हैं जो हमारे जीवन की भूख मिटाती है। इसी कारण वे लोगों से आहृवान करते हैं कि वे नश्वर भोजन के लिए नहीं बल्कि उस भोजन के लिए परिश्रम करें जो अनन्त जीवन तक बन रहता है। यह वह भोजन है जिसे येसु ख्रीस्त हमें प्रतिदिन प्रदान करते हैं जो हमारे लिए उनका शब्द, उनका शरीर और लोहू है। संत पापा ने कहा कि भीड़ येसु के निमंत्रण को सुनती है लेकिन वे उनके वचनों के अर्थ को नहीं समझ पाते हैं जैसा कि हमारे साथ भी बहुधा होता है। वे येसु से पूछते हैं,“ईश्वर की इच्छा पूरी करने के लिए हमें क्या करना चाहिएॽ” भीड़ यह सोचती है कि उन्हें चमत्कारों, जैसे कि रोटियों के चमत्कार को देखने और समझने हेतु उन्हें नियमों का अनुपालन करने का निर्देश दिया जा रहा है। यह हमारे लिए सधारणतः एक प्रलोभन की बात होती है कि हम अपने धर्म को संहिता के नियमों तक ही सीमित कर लेते हैं। हम ईश्वर के साथ अपने संबंध को मालिकों और सेवकों के बीच के संबंध तक सीमित कर देते हैं, सेवक को अपने स्वामी के निर्देशानुसार कार्य करने की जरूरत है जिससे की वह उसका कृपाप्रात्र बन रहे। संत पापा फ्रांसिस ने इस बात पर जोर देते हुए कहा, “हम सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं।” इसीलिए भीड़ यह जानना चाहिए है कि येसु वह कौन-सा कार्य, चमत्कार कर सकते हैं जो ईश्वर की नजरों में अच्छा लगे। लेकिन येसु उनकी आशा के विपरीत एक जबाव देते हैं, “यह ईश्वर का कार्य है जिससे तुम उस में विश्वास करो जिसने मुझे भेजा है।” आज ये शब्द हमारे लिए भी घोषित किये जाते हैं। ईश्वर के कार्य, उन कामों को “पूरा” करने में निहित नहीं है लेकिन यह हमें येसु ख्रीस्त में “विश्वास” करने की मांग करता है जो पिता ईश्वर द्वारा हमारे लिए दुनिया में भेजे गये हैं। संत पापा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इसका अर्थ यह है येसु ख्रीस्त में हमारा विश्वास हमें ईश्वर के कार्यों को पूरा करने में मदद करता है। यदि हम अपने जीवन में प्रेम पूर्ण संबंध में बने रहते हुए ईश्वर पर विश्वास करते हैं तो हम अच्छे कार्यों के पूरा करते हैं जिसके द्वारा सुसमाचार की सुंग्ध हमारे पड़ोसियों के लिए अच्छे और भले कार्यों के रुप में पूरी होती है जो कि हमारी सहायता की आशा करते हैं।

ईश्वर से हमारा संबंध

संत पापा ने कहा कि येसु हमें इस बात की याद दिलाते हैं कि यदि हम अपने जीवन में रोटी के लिए चिंतित हैं तो हमें उससे भी एक महत्वपूर्ण बात अर्थ ईश्वर से अपना संबंध स्थापित करने की जरूरत है। हमें अपने विश्वास को उनमें मजबूत करना है जो हमारे लिए “जीवन की रोटी” हैं जो हमारी सच्चाई की भूख, न्याय और हमारे प्रेम की भूख को मिटाने हेतु आते हैं।

संत पापा फ्रांसिस ने कहा कि आज हम रोम के महागिरजाघर संत मरिया मेजर, रोमन सालुस पोपोली के समर्पण की याद करते हैं, माता मरियम हमें अपने विश्वास में बढ़ने हेतु मदद करे जिससे हम अपने को ईश्वर के हाथों में सुपुर्द कर सकें जहाँ से हमारे लिए अपने जीवन को खुशी पूर्वक जीने की कृपा मिलती है। इतना कहने के बाद संत पापा ने विश्वासियों और तीर्थयात्रियों के साथ मिलकर देवदूत प्रार्थना का पाठ किया।

 

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06 August 2018, 14:57