प्रार्थना करते हुए संत पापा प्रार्थना करते हुए संत पापा 

संत पापा द्वारा दुर्व्यवहार संकट में एकजुटता और तपस्या की मांग

विश्व भर के ख्रीस्त विश्वासियों के नाम पत्र में संत पापा ने याजकों और धर्मसंघियों के सत्ता के दुरुपयोग और विवेक के दुरुपयोग के कारण एक बड़ी संख्या में नाबालिगों पर हुए यौन दुर्व्यवहार और पीड़ा को एक बार फिर से स्वीकार किया और दुर्व्यवहार संकट से उबरने के लिए प्रार्थना और तपस्या की मांग की।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 20 अगस्त 2018 (रेई) :"यदि एक अंग को पीड़ा होती है, तो उसके साथ सभी अंगों को पीड़ा होती है।" (1कुरि. 12:26)। संत पौलुस के इन वचनों को लेते हुए संत पापा फ्राँसिस ने विश्व भर के ख्रीस्त विश्वासियों के नाम पत्र में कहा, “मैं याजकों और धर्मसंघियों के सत्ता और विवेक के दुरुपयोग के कारण एक बड़ी संख्या में नाबालिगों पर हुए यौन दुर्व्यवहार और पीड़ा को एक बार फिर से स्वीकार करता हूँ।

संत पापा फ्राँसिस ने विशेष रूप से, अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में ग्रैंड जूरी द्वारा जारी एक रिपोर्ट को संदर्भित किया, जिसमें उन्होंने लिखा, "लगभग सत्तर वर्षों की अवधि से याजकों के हाथों कम से कम एक हज़ार लोग यौन दुर्व्यवहार के शिकार हुए। उन्होंने शक्ति और विवेक का दुरुपयोग किया है।"

संत पापा ने इस विषय में लिखा कि दुर्व्यवहार के कारण "घाव" कभी मिट नहीं सकते हैं और इन अत्याचारों की निंदा करने और मृत्यु की इस संस्कृति को उखाड़ फेंकने के लिए हमें मजबूत होने की आवश्यकता है।"

छोटे बच्चों की परवाह नहीं

अपने पत्र में संत पापा ने स्वीकार किया है कि कलीसिया दुर्व्यवहार के संकट को पर्याप्त रूप से निपटने में असफल रहा है। संत पापा ने कहा, "शर्म और पश्चाताप के साथ, हम एक याजकीय समुदाय के रूप में स्वीकार करते हैं कि हम वहाँ नहीं थे, जहां हमें होना चाहिए था। हम सही समय पर अपना उत्तरदायित्व निभाने में असफल रहे जिसके  कारण हमने बहुतों के जीवन को गंभीर रुप से चोट और नुकसान पहुँचाया है। हमने छोटे बच्चों की परवाह नहीं की, हमने उन्हें छोड़ दिया।"

संत पापा यौन पीड़ितों के प्रति संवेदना और एकात्मकता दिखाने की मांग की है।"इस तरह की एकजुटता हमसे मांग करती है कि हम उस व्यक्ति की निंदा करते जो दूसरों की अखंडता को खतरे में डाल देते हैं। "यह एकजुटता है," जो हमें भ्रष्टाचार के सभी रूपों, विशेष रूप से आध्यात्मिक भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए आह्वान करता है।"

[ Read Also ]

संत पापा इस बात पर भी जोर देते हुए लिखा कि कलीसिया ने "शून्य सहनशीलता" नीति के कार्यान्वयन हेतु जरूरी "कार्रवाइयों और प्रतिबंधों" को लागू करने में देरी की है, लेकिन उनका "विश्वास है कि" उन कार्रवाइयों और प्रतिबंधों से वर्तमान और भविष्य में देखभाल की संस्कृति को "गारंटी देने में मदद मिलेगी।"

मनपरिवर्तन, प्रार्थना और उपवास

संत पापा फ्राँसिस ने सभी बपतिस्मा प्राप्त ख्रीस्तियों को "कलीसियाई और सामाजिक परिवर्तन" का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया है। यह परिवर्तन "व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर मन-परिवर्तन" की मांग करती है। संत पापा ने हृदय परिवर्तन का अनुभव करने हेतु प्रार्थना और उपवास करने का आह्वान किया। संत मत्ती के सुसमाचार में “प्रार्थना और उपवास" के माध्यम से  शैतान को वश में करने की बात कही गई है। “प्रार्थना और उपवास के सिवा किसी और उपाय से अपदूतों की यह जाति निकाली नहीं जा सकती।"

पूरी कलीसिया से एक प्रतिक्रिया

संत पापा इस बात पर ज़ोर देते हैं कि वर्तमान संकट पूरी कलीसिया से प्रतिक्रिया की मांग करती है। "नतीजतन, एकमात्र तरीका है कि हमें इस बुराई का जवाब देना है जिसने इतने सारे जीवन को अंधेरे में डाल दिया है। हमें एक शरीर के रुप में दुःख का अनुभव करते हुए एक साथ सक्रिय रुप से उपवास और प्रार्थना में भाग लेना है, तभी हमारे और दूसरों के पापों की क्षमा मिलेगी।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

20 August 2018, 16:41