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डबलिन स्थित फोइनिक्स पार्क में संत पापा का ख्रीस्तयाग डबलिन स्थित फोइनिक्स पार्क में संत पापा का ख्रीस्तयाग  

परिवार की बुलाहट में प्रभु के प्रति निष्ठा को नवीकृत करें

संत पापा फ्राँसिस ने आयरलैंड में अपनी प्रेरितिक यात्रा के अंतिम चरण में डबलिन स्थित फोइनिक्स पार्क में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। प्रवचन में उन्होंने संत योहन रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

संत पापा ने कहा, "परिवारों के विश्व सम्मेलन के अंत में, हम एक परिवार के रूप में प्रभु की मेज के चारों ओर एकत्रित हैं। हम ईश्वर को उनके सभी आशीषों के लिए धन्यवाद देते हैं जिनको हमने अपने परिवारों में प्राप्त किया है, अपनी बुलाहट को पूरी तरह जीने, जैसा कि संत तेरेसा ने कहा है, कलीसिया के हृदय में प्रेम, के लिए हम अपने आपको समर्पित करते हैं।"

सभी अच्छइयों का स्रोत पवित्र आत्मा

प्रभु और एक-दूसरे के साथ मिलन के इस बहुमूल्य समय में, यह अच्छा है कि हम थोड़ी देर रूक कर, हमने जो अच्छी चीजें प्राप्त की हैं उसके स्रोत पर चिंतन करें। आज के सुसमाचार में येसु इस आशीर्वाद के उदगम को प्रकट करते हैं जब वे अपने शिष्यों को शिक्षा देते हैं। इस शिक्षा के कारण कई लोग परेशान और उलझे हुए थे और कुछ लोग इसे कठोर शिक्षा समझकर स्वीकार करने में संघर्ष भी कर रहे थे क्योंकि यह इस संसार की प्रज्ञा के विपरीत थी। उनके प्रत्युत्तर में प्रभु उन्हें कहते हैं, "जो शिक्षा मैंने तुम्हें दी है वह आत्मा और जीवन है।" (यो. 6:63). 

संत पापा ने कहा कि पवित्र आत्मा के वरदान की प्रतिज्ञा के साथ ये शिक्षा, उन लोगों के लिए जीवन की परिपूर्णता है जो उसे विश्वास के साथ ग्रहण करते हैं। प्रभु सभी अच्छाइयों के स्रोत, प्रभु का आत्मा की ओर इंगित करते हैं जिसको हमने अनुभव किया है तथा विगत  दिनों में मनाया है जो दुनिया में, हमारे हृदयों, परिवारों एवं पल्लियों में लगातार नवीन सांस भरता है।

प्रोत्साहन के स्रोत बनें

हमारे पारिवारिक जीवन का हर नया दिन एवं हर नई पीढ़ी, नये पेतेकोस्त की प्रतिज्ञा को साकार करता है, एक पारिवारिक पेंतेकोस्त, पवित्र आत्मा के आगमन को लाता है जिसको येसु ने हमारे सहायक, परामर्शदाता एवं प्रोत्साहक के रूप में भेजा है।  

हमारे विश्व को प्रोत्साहन की बहुत अधिक आवश्यकता है जो ईश्वर की कृपा एवं प्रतिज्ञा से प्राप्त होती है। पारिवारिक जीवन के इस समारोह के एक फल के रूप में आप अपने घर लौटकर, दूसरों के लिए प्रोत्साहन के स्रोत बनें, उनके साथ येसु के अनन्त जीवन के वचन को बांटें। इस तरह आपका परिवार सभी लोगों के लिए सुसमाचार का प्रचार करने का एक सौभाग्यशाली स्थल एवं महत्वपूर्ण माध्यम बनेगा विशेषकर, उन लोगों के लिए जो बंजर भूमि एवं गुलामी के घर को पीछे छोड़कर, आशा एवं स्वतंत्रता के प्रतिज्ञात देश में जीना चाहते हैं। (योशुआ 24:17)

विवाह प्रेम का बंधन, जो आत्म-बलिदान की मांग करता 

संत पापा ने प्रवचन में एफिसियों के नाम संत पौलुस के पत्र से लिए गये दूसरे पाठ पर चिंतन किया जिसमें वे बतलाते हैं कि विवाह उस रहस्य में सहभागी होना है जिसमें ख्रीस्त का अपनी दुल्हिन कलीसिया के साथ अमर निष्ठा है। (एफे. 5:32) फिर भी कुछ लोगों के लिए यह शिक्षा कठोर लग सकती है क्योंकि प्रेम में जीते हुए जैसा कि ख्रीस्त ने हमें प्रेम किया, आत्म-बलिदान की मांग करता है, यह सर्वोत्तम एवं अनन्त प्रेम में जन्म लेने हेतु मर जाना है। केवल वही प्रेम हमारी दुनिया को पाप, स्वार्थ, लालच और वंचितों के प्रति उदासीनता की जंजीरों से बचा सकता है। येसु ख्रीस्त से हमने इसी प्रेम को सीखा है। जिन्होंने हमारे विश्व में एक परिवार के माध्यम से शरीरधारण किया। जिनका ख्रीस्तीय परिवार की हर पीढ़ी में साक्ष्य ने, ईश्वर का दुनिया के साथ मेल-मिलाप करने की हर बाधा को तोड़ दिया है तथा हमें एक मानव परिवार में न्याय, पवित्रता एवं शांति के साथ जीने के योग्य बनाया है।

आयरलैंड के मिशनरी

संत पापा ने कहा कि इस सुसमाचार का साक्ष्य देना आसान नहीं है। ख्रीस्तियों द्वारा झेली जा रहीं आज की चुनौतियाँ, आयरलैंड की कलीसिया के आरम्भिक दिनों में सामना की गयी चुनौतियों से कम नहीं हैं। उन्होंने कहा, मैं संत कोलम्बस की याद करता हूँ जिन्होंने अपने छोटे दल के साथ सुसमाचार के प्रकाश को यूरोप में उसके अंधकारमय एवं सांस्कृतिक विघटन के समय में लाया।

उनकी असाधारण मिशनरी सफलता जो एक खास प्रणाली पर आधारित थी किन्तु उनमें पवित्र आत्मा की विनम्रता एवं मुक्त करने वाली विनयशीलता थी। यह ख्रीस्त के प्रति उनकी निष्ठा का दैनिक साक्ष्य था, जिसने उन हृदयों को जीत लिया जो ईशवचन की कृपा की प्यासी थी एवं जिसने यूरोप की संस्कृति को जन्म लेने में मदद दिया। यह साक्ष्य ईश्वर के पवित्र और वफादार लोगों के लिए आध्यात्मिक और मिशनरी नवीनीकरण का चिरस्थायी स्रोत बना हुआ है।

सुसमाचार प्रचार में चुनौतियों से न घबरायें

उन्होंने कहा कि यद्यपि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो सुसमाचार से दूर भागते हैं जो उसकी कठोर शिक्षा पर सदा भुनभुनाते रहते हैं। फिर भी, संत कोलम्बस एवं उनके सहयोगियों की तरह, जिन्होंने बर्फीले जल एवं समुद्री तूफानों का सामने करते हुए येसु का अनुसरण किया, हम उदासीनता की बर्फीले नजरों अथवा शत्रुता की तूफानी हवाओं से कभी निराश न हों, बल्कि विनम्रता पूर्वक स्वीकार करें कि यदि हम अपने आप में ईमानदार हैं तो हम भी येसु की शिक्षा में कड़ाई का अनुभव करेंगे। जिन्होंने हमें दुःख दिया उन्हें क्षमा देना कितना कठिन है, विस्थापितों एवं अजनबियों को स्वीकार करना, निराशा, तिरस्कार अथवा धोखा की घड़ी को स्वीकार करना कितना मुश्किल है जो हमारी स्वतंत्रता की भावना को प्रभावित करती है किन्तु यही वह समय है जिनके बारे में प्रभु हमसे पुछेंगे, क्या तुम भी चले जाना चाहते हो? पवित्र आत्मा की शक्ति से, जो हमें साहस प्रदान करते हैं तथा प्रभु के साथ हम उत्तर दे सकते हैं, "हम विश्वास करते और जानते हैं कि आप ईश्वर के भेजे हुए परमपावन पुरुष हैं।'' (यो. 6:69). हम भी प्रभु की उपासना करना चाहते हैं, क्योंकि वही हमारा ईश्वर है। (योशुआ 24:18)

हर ख्रीस्तीय एक मिशनरी 

बपतिस्मा एवं दृढ़ीकरण संस्कार द्वारा, प्रत्येक ख्रीस्तीय मिशनरी बनने के लिए भेजा गया है। पूरी कलीसिया ही भेजी जाने के लिए बुलायी गयी है ताकि वह अनन्त जीवन के वचन को दुनिया के अंतिम छोर तक ले जा सके।

संत पापा ने प्रार्थना की कि यह समारोह हम प्रत्येक को सुसमाचार के आनन्द, परिवार के सुसमाचार को दुनिया के आनन्द के रूप में बांटने हेतु सुदृढ़ करे।  

उन्होंने सभी परिवारों का आह्वान करते हुए उन्हें परिवार की बुलाहट में प्रभु के प्रति निष्ठा को नवीकृत करने की सलाह दी तथा संत पैट्रिक की मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना की कि ख्रीस्त हममें, हमारे पीछे, हमारे आगे, हमारे अगल-बगल, हमारे नीचे और ऊपर हो। पवित्र आत्मा की शक्ति एवं आनन्द से हम दृढ़तापूर्वक कह सकें, "प्रभु हम किसके पास जाएँ, आप ही के शब्दों में अनन्त जीवन है।” (यो. 6:68)

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फोइनिक्स पार्क में ख्रीस्तयाग
26 August 2018, 16:34