संत पापा फ्रांसिस डबलिन के मरिया प्रो- महागिरजाघर में संत पापा फ्रांसिस डबलिन के मरिया प्रो- महागिरजाघर में 

विवाह मानव के लिए अनोखा उपहार

संत पापा फ्रांसिस ने डबलिन के मरिया प्रो-महागिरजागर में विवाहितों और विवाह की तैयारी कर रहे नव वर-वधुओं को अपना संदेश दिया

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शानिवार, 25 अगस्त 2018 (रेई) संत पापा फ्रांसिस ने डबलिन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन डबलिन के संत मरिया प्रो. महागिरजाघर में विवाहितों और विवाह के पवित्र सूत्र में बंधने की तैयारी कर रहे नव वर-वधुओं को संबोधित किया।
संत पापा ने कहा कि संत मरिया प्रो-महागिरजाघर में अब तक असंख्य विवाह के समारोह का आयोजन हुआ है। यहाँ कितने ही जोड़ों ने अपने प्रेम को व्यक्त करते हुए इस पवित्र स्थल में ईश्वर के आशीर्वाद को ग्रहण किया है। “विवाहितों और मंगेतरों, प्रेम की संस्कारीय यात्रा के विभिन्न पायदानों में, आप सभों से मेरी यह मुलाकात अत्यन्त ही खुशी का क्षण है।”

अपने से बड़ों की सुनना

संत पापा ने भिन्सेंट और तेरेसा को उनकी 50वीं वैवाहिक और पारिवारिक जीवन के अनुभवों का साक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए धन्यवाद दिया। “मैं आप दोनों का शुक्रगुजार हूँ क्योंकि आप ने अपने वचनों द्वारा न केवल आयरलैंड वरन् पूरे विश्व के नये विवाहित पीढ़ी और विवाह के सूत्र में बांधने की तैयारी कर रहे वर-वधूओं को प्रोत्साहित करते हुए भावी चुनौतियों से आगाह कराया है।” अपने से बड़ों, अपने दादा-दादियों को सुनना हमारे लिए कितना महत्वपूर्ण है। हम उनके वैहाहिक जीवन के अनुभवों से जो संस्कार की कृपा द्वारा पुष्ट हुई है अपने लिए बहुत कुछ सीख सकते हैं। “मित्रता और प्रेम के जीवन” में एक साथ बढ़ते हुए आपने न केवल ढ़ेर सारी खुशियों का वरन् निश्चित रुप से दुःखों का भी अनुभव किया है। आप जीवन की स्मृतियों के संग्रहक हैं और हमें सदैव आप के विश्वास भरे साक्ष्य की जरूरत है। यह युवा दंपतियों के लिए एक बहुमूल्य निधि बनती है जिसके फलस्वरुप वे अपने जीवन को जोश और आशा की नजरों से...लेकिन थोड़ी घबराहट में देखते हैं।
संत पापा ने उन सभी दंपतियों का भी धन्यवाद अदा किया जिन्होंने उनसे कई सवाल पूछें, जिनका उत्तर देना सहज नहीं था। ईश्वरीय योजना में अपने प्रेम की यात्रा शुरू करने वाले और जीवन भर एक-दूसरे के प्रति निष्ठा में बने रहने की चाह रखने वाले डेनिस और सिनयाद ने संत पापा से पूछा कि वे कैसे दूसरों को इस बात पर गौर करने हेतु मदद कर सकते हैं कि विवाह एक साधारण रिवाज नहीं वरन् एक बुलाहट है, एक विवेक पूर्ण जीवनभर का चुनाव जहाँ हम एक दूसरे की सेवा और सुरक्षा करते हुए इसका रसास्वादन करते हैं।

क्षणभंगुर दुनिया में हमारी अनश्वर खोज

संत पापा ने इसके उत्तर में कहा कि निश्चय ही हमें अपने में इस बात को स्वीकार करने की जरुरत है कि हमारे जीवन में आज कोई भी चीज लम्बें समय तक टिकी नहीं रहती है। “जब हमें भूख या प्यास लगती है तो हम खा सकते हैं लेकिन मेरे अनुभव की तृप्ति एक दिन तक भी नहीं टिकती है।” हमारी नौकरी है जिसे हम अपनी इच्छा के विरूद्ध खो सकते हैं या हमें दूसरे व्यावसाय को चुना पड़ सकता है। हम दुनिया का अनुसरण नहीं कर सकते हैं जो सदैव बदली रहती है जहाँ लोग हमारे जीवन में आते और चले जाते हैं, जहाँ हम एक दूसरे से प्रतिज्ञा करते लेकिन बहुधा उसे तोड़ देते या पूरा नहीं करते हैं। संत पापा ने कहा कि शायद आप ने मुझे एक मूलभूल सावल पूछा है, “क्या कोई ऐसी कीमती वस्तु है जो सदैव बनी रहती हैॽ क्या प्रेम हीॽ आज की दुनिया में हम अपने को सहज ही “अस्थायी संस्कृति” क्षणभंगुर दुनिया में पाते हैं। इस क्षणभंगुर संस्कृति में हम “सदैव कायम” रहने वाली बात का कैसे अनुभव कर सकते हैंॽ

विवाह अनोखी बात

संत पापा ने अपने सुझावपूर्ण उत्तर में कहा, “मानव के जीवन में फलहित होने वाली सभी चीजों में विवाह अनोखा है। इसका तात्पर्य प्रेम से है जो एक नये जीवन को जन्म देता है। ईश्वर से मिलने वाले जीवन के उपहार हेतु यह आपसी उत्तदायित्व के निर्वाहन की मांग करता है जहाँ हम एक निश्चित वातावरण में नये जीवन को विकासित होता पाते हैं। कलीसिया में विवाह का संस्कार विशेष रुप में ईश्वरीय अनंत प्रेम के रहस्य को वहन करता है। ख्रीस्तीय नर और नारी विवाह संस्कार में प्रवेश करने द्वारा ईश्वर की कृपा के भरे दिये जाते हैं जहाँ वे स्वतंत्र रुप से अपनी प्रतिज्ञा को एक दूसरे के लिए व्यक्त करते हैं। उनका मिलन इस तरह येसु ख्रीस्त और कलीसिया के बीच एक नई स्वर्गीय संस्कार की निशानी बनती है जहाँ येसु ख्रीस्त उनके बीच सदैव उपस्थिति रहते हैं। वे उन्हें एक दूसरे के साथ निष्ठा और अटूट एकता में बने रहने हेतु मदद करते हैं। (गैदियुम एत स्पेस 48) येसु ख्रीस्त का प्रेम एक चट्टान और संकट के समय एक आश्रय की भांति होता है यह विशेषकर उनमें शुद्ध और अनंत प्रेम के रुप में विकसित होता है।

ईश्वर का प्रेम हमारा स्वप्न

ईश्वर का प्रेम हमारे लिए और हमारे परिवार के लिए एक स्वप्न के समान है। संत पापा ने कहा कि आप इस इस बात को कभी न भूलें। ईश्वर के हृदय में हम सबों के लिए एक स्वप्न है जिसे वे हमें अपना बनाने को कहते हैं। अतः आप उस ख्वाब से न डरें। आप एक साथ मिलकर इसका आनंद ले जिससे आप आशा, साहस और क्षमा में एक दूसरे का साथ दे सकें, उस समय जब जीवन की राह उबड़-खाबड़ और कठिन जान पड़ती है। बाईबल में ईश्वर निष्ठा में अपने विधान की स्थापना करते हैं यद्पि चुनी हुई प्रजा अपने में कमजोर हो जाती है। वे हमें कहते हैं, “मैं तुम्हें कभी नहीं छोडूँगा मैं तुम्हें नहीं त्यागूँगा। (इब्रा. 13.5) पति और पत्नी के रुप में आप अपनी प्रतिज्ञा से हमेशा एक-दूसरे को प्रोषित करें और स्वप्न देखना कभी न छोड़ें।

माता–पिता विश्वास के प्रचारक

नव विवाहित दंपति स्टीफन और जार्डन ने संत पापा ने एक महत्वपूर्ण सवाल पूछा कि माता पिता कैसे विश्वास को अपने बच्चों को दे सकते हैं। संत पापा ने कहा कि आरयलैंड की कलीसिया बच्चों को स्कूलों और पल्लियों में धर्मशिक्षा के माध्यम विशेष रुप से तैयार करती है जो निश्चिय ही आवश्यक है। इसके बावजूद विश्वास में बढ़ने का सबसे महत्वपूर्ण स्थान परिवार है जहाँ माता-पिता अपने उदाहरणों द्वारा बच्चों को शिक्षा देते हैं। परिवार रूपी “घरेलू कलीसिया” में बच्चे निष्ठा, समर्पण और त्याग का अर्थ भांलि भाति सीखते हैं। वे अपने माता-पिता को एक दूसरे के साथ बातें करते, एक दूसरे की चिंता और सेवा करते हुए देखते हैं। वे उन्हें ईश्वर और कलीसिया को प्रेम करता हुआ देखते हैं। इस भांति बच्चे सुसमाचार की शुद्ध वायु को अपने जीवन में ग्रहण करते हैं। विश्वास “परिवार की मेज” से साधारण वार्ता और भाषा के द्वारा बच्चों में प्रसारित होता है।

जीवन द्वारा शिक्षा

संत पापा ने कहा, “आप एक परिवार के रुप में एक साथ प्रार्थना करें, अच्छी बातें बोलें और अच्छी चीजों को करें। हमारी माँ मरियम आपके परिवार का अंग हो। आप ख्रीस्तियों का त्योहार मनायें। आप समाज में उनके साथ अटूट एकता के साथ रहें जो कष्ट झेल रहे हैं और जो हाशिए पर हैं। आप जब इस सारी चीजों को अपने बच्चों के संग साझा करेंगे तो उनका हृदय धीरे-धीरे दूसरे के लिए उदारतापूर्ण प्रेम से भरता जायेगा। आप के बच्चे जब यह देखेंगे की उनके माता-पिता कैसे गरीबों और असहाय लोगों की सेवा और चिंता करते हैं तो वे स्वतः दुनिया की चीजों को एक दूसरे के साथ बांटना सीखेंगे। बच्चे आप के जीवन से ख्रीस्तीय जीवन को जीना सीखेंगे और आप विश्वास के प्रथम शिक्षक बनेंगे।

प्रेम की क्रांति लायें

संत पापा ने कहा कि गुण और सत्य की शिक्षा जिसे येसु ख्रीस्त हमें सिखलाते हैं दुनिया में प्रसिद्ध नहीं है। दुनिया हमें अकेले या दुःखी, परित्यक्त या बीमार, अजन्म या मृत्युशया में पड़े लोगों की चिंता किये बिना अपने में मजबूत और स्वत्रंत होने की शिक्षा देती है। हमारी दुनिया को प्रेम की एक क्रांति की जरूरत है। इस क्रांति की शुरूआत आप अपने और अपने परिवारों से करें। उन्होंने कहा, “कुछ महीने पहले मुझे किसी ने कहा कि हम अपने में प्रेम करने की योग्यता को खो रहें है।” धीरे-धीरे निश्चित रुप से हम अपने जीवन में प्रेम की भाषा और करुणा की शक्ति को भूल रहे हैं। करुणा की क्रांति के बिना प्रेम की क्रांति नहीं हो सकती है। आप के उदाहरण द्वारा आप के बच्चे करुणावान, प्रेमी, विश्वास से परिपूर्ण पीढ़ी बने जिससे आयरलैंड की कलीसिया नवीनता को प्राप्त कर सके।

जड़ों को मजबूत करें

इस भांति ईश्वर का उपहार आप के प्रेम की जड़ अपनी गहराई को प्राप्त करेगी। यदि कोई भी परिवार अपनी जड़ों को भूल जाये तो अपने में विकास नहीं कर सकता है। बच्चे दादा-दादी से वार्ता करना न सीखें तो प्रेम में विकासित नहीं हो पायेंगे। अतः आप के प्रेम की जड़ें अपनी गहराइयों तक जाये। हम यह न भूलें कि “पेड़ के सभी फूल जमीन के नीचे जो है उसके कारण आते हैं।” (बर्नार्डेज़)
संत पापा ने अपने संबोधन के अंत में कहा कि हम सब मिलकर अपने विश्वास के उपहार और ख्रीस्तीय विवाह की कृपा हेतु ईश्वर का धन्यवाद  करें। हम ईश्वर से प्रतिज्ञा करें कि हम उनके पवित्र राज्य, न्याय और शांति की स्थापना अपने विश्वास और निष्ठा में करेंगे जिसे हम एक दूसरे के लिए प्रेम में व्यक्त करते हैं।
 

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25 August 2018, 18:00