संत पापा फ्रांसिस डबलिन के क्रॉक पार्क में संत पापा फ्रांसिस डबलिन के क्रॉक पार्क में 

ईश्वर के सपनों को हकीकत रुप देता परिवार

डबलिन के “विश्व परिवारों का समारोह” में विश्व भर के विभिन्न स्थानों से आये हुए परिवारों को संत पापा फ्रांसिस ने अपने संदेश में कहा, “परिवार कलीसिया और विश्व की आशा है।”

दिलीप संजय एक्का-वाटिकन सिटी

संत पापा फ्रांसिस ने डबलिन की अपनी प्रेरितिक यात्रा के पहले दिन क्रॉर्क पार्क स्टेडियम में, “विश्व परिवारों का समारोह” हेतु विश्व भर के विभिन्न स्थानों से आये हुए परिवारों को अपने संदेश में कहा, “परिवार कलीसिया और विश्व की आशा है।”
महीनों से चली आ रही परिवारों के मिलन का यह समारोह शानिवार की शाम, डबलिन के क्रॉर्क पार्क स्टेडियम में करीब 70,000 लोगों की सहभागिता में अपने चरम पर पहुंची। मंच की रुप सज्जा भी परिवारों के मिलन की खुशी से सराबोर था जहाँ पारिवारिक जीवन का साक्ष्य प्रस्तुत करने वाले संत पापा फ्रांसिस के निकट चारों ओर बैठे हुए थे।

कार्यक्रम में विश्व प्रसद्धि कलाकार

परिवारों के मिलन समारोह की शुरूआत आयरलैंड के प्रसिद्ध संगीतकारों और कलाकारों से हुई जिसमें 1000 गाने वाले, 50 वाद्य यंत्रों की टुकड़ी और आयरलैंड के सुप्रसिद्ध नृत्य विद्यालय के करीबन 700 से अधिक नृतकों का दल था। इस के आलावे अन्तरराष्ट्रीय कलाकारों का समूह जिसमें रिभर डान्स, अमेरिकन जैंज गायक, दाना मस्टर्स और अन्द्रेया बोचेली प्रमुख थे।
संत पापा ने अपने संबोधन के शुरू में सभी परिवारों का धन्यवाद अदा करते हुए कहा कि समारोह हमारे लिए अच्छा है क्योंकि यह हमें और अधिक मानवीय और ख्रीस्तीय बनाता है। यह हमें इस ज्ञान की खुशी प्रदान करती है कि येसु ख्रीस्त हमें प्रेम करते हैं। वे हमारी जीवन यात्रा में हमारे साथ रहते, हमारे साथ चलते और रोज दिन हमें अपने निकट बुलाते हैं।

कलीसिया ईश्वर की संतान

संत पापा ने कहा कि हम किसी भी परिवार के समारोह में माता-पिता, दादा-दादी, नाती-पोतों, चाचा-चाची और चचेरे भाई-बहनों की उपस्थिति को पाते हैं जो परिवार से दूर रहते हैं। आज डबलिन में हम परिवारों के समारोह के माध्यम ईश्वर को अपने जीवन की सारी चीजों के लिए धन्यवाद देने हेतु जमा होते हैं। कलीसिया ईश्वर की संतानों का एक परिवार है। इस परिवार में हम एक दूसरे के आनन्द और दुःख के सहभागी होते हैं। हम इस परिवार में एक दूसरे की चिंता करते हैं क्योंकि ईश्वर ने हमें बपतिस्मा संस्कार द्वारा एक दूसरे के लिए भाई-बहन बनाया है। यही कारण है कि मैं इस बात पर जोर देता हूं कि हम अपने बच्चों का स्नान संस्कार जल्दी करायें जिससे वे ईश परिवार के सदस्य बन सकें।
“आप ईश्वर की बृहृद प्रजा हैं”, संत पापा ने कहा। आप के बिना कलीसिया का अस्तित्व कैसे होगाॽ परिवारों की इसी खुशी और गम को व्यक्त करने के उद्देश्य से ही मैंने प्रेरितिक प्रबोधन “अमोरिस लेत्तेसिया” की रचना की और उसे विश्व पारिवारिक मिलन समारोह की विषयवस्तु “परिवार का सुसमाचार, विश्व की खुशी” के रुप में मनाना चाहा। ईश्वर हर परिवार को अपने प्रेम का आकाशदीप होना चाहते हैं। इसका अर्थ हमारे लिए यही है कि हम ईश्वर के सुरक्षामय प्रेम जिसका अनुभव हमने अपने जीवन में किया है उसे अपने छोटे करूणा के कार्यों द्वारा दूसरों को बांटे।

पवित्रता की बुलाहट सभों के लिए

हमारे जीवन की पवित्रता का त्पपर्य यही है। संत पापा ने जीवन में साधरण कार्यों के द्वारा ईश्वरीय उपस्थिति का एहसास करने वालों को संत “नेक्स डोर” बतलाया। प्रेम और पवित्रता की बुलाहट कुछेक विशेष लोगों के लिए सुरक्षित नहीं है वरन यह हम सबों के लिए है। वे शांतिपूर्ण ढ़ंग से उन परिवारों के हृदय में उपस्थित है जो प्रेम, क्षमा और दया को अपने जीवन के द्वारा जरुरतमंदों के साथ बिना दिखावे के साझा करते हैं। परिवार का सुसमाचार सचमुच में विश्वास की खुशी है क्योंकि इसके द्वारा हम येसु को अपने जीवन की सरलता और गरीबी में निवास करता हुआ पाते हैं जैसे वे पवित्र परिवार नजरेत में थे।

अच्छा चाय समय और धैर्य की मांग करता

संत पापा ने कहा कि ख्रीस्तीय विवाह और परिवार अपने में और भी सुन्दर और आकर्षक बनते हैं जब वे ईश्वर के प्रेम से पोषित होते हैं। उन्हें हमें अपने रुप में इसीलिए बनाया है कि हम दुनिया में उनके प्रेम और पवित्रता की निशानी बन सकें। परिवार का हर एक व्यक्ति अपने जीवन में ईश्वर के प्रेम को खोजने हेतु बुलाया गया है। यह ईश्वर की कृपा है जो हमें परिवार में एक मन और एक हृदय के रुप में बने रहने हेतु मदद करता है। संत पापा ने अपने इस कथन को एक उदाहरण के द्वारा स्पष्ट करते हुए कहा कि यह चाय बनाने के समान है। पानी को गर्म करना सहज है लेकिन एक अच्छी चाय बनाने में हमें समय और धैर्य की जरूरत होती है। येसु उसी तरह हमें रोज दिन अपने प्रेम से गर्म करते और इसे हमारे रग-रग में भरते हैं। वे अपने पवित्रतम हृदय से हमारे लिए अपनी आशीष और कृपा देते जो हमारे मन और दिल की कमजोरियों को दूर करती और हमें दूसरों को सुनने, समझने और क्षमा करने में मदद करती है।

“सॉरी, प्लीज, थैंक्यू”

संत पापा ने परिवार में क्षमाशीलता की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा “गलती करना मानवीय कमजोरी है, लेकिन क्षमा देना ईश्वरीय दिव्यता है।” यह सत्य है क्योंकि क्षमादान हमें ईश्वर की ओर से उपहार स्वरुप प्राप्त होता है जो हृदय के टूटेपन को जोड़ता और हमें एक दूसरे के निकट लाता है। रोज दिन के जीवन में क्षमा के छोटे-छोटे कार्य ख्रीस्तीय जीवन की मजबूत आधारशिला बनती है। वे हमें जीवन के अकेलेपन, घमंड और शर्म पर विजय होने में मदद करते और हमें शांति प्रदान करते हैं। संत पापा ने तीन शब्दों, “सॉरी, प्लीज, थैंक्यू” पर जोर देते हुए कहा, “हमारे परिवारों को इन तीन शब्दों को सीखने की जरुरत है।” यदि परिवार में कोई लड़ाई हो जाये तो हमें यह निश्चित करने की जरुरत है कि हम बिना क्षमा मांगें और सॉरी बोले बिछावन पर न जायें। यह हम से एक नजर, प्रेम के चुम्बन, एक कोमल शब्द की मांग करती है जिसके द्वारा हम सारी चीजों के पुनः व्यवस्थित कर लेते हैं। मैं ऐसा इसलिए कहता हूँ क्योंकि जो परिवार ऐसा करते हैं वे अपने में सजीव रहते हैं। कोई भी परिवार अपने में आर्दश नहीं है परिवार क्षमा के बिना बीमार हो जाता और धीरे-धीरे गिर जाता है।

क्षमा का अर्थ

संत पापा ने कहा कि “क्षमा” करने का अर्थ अपना कुछ “देना” है। येसु हमें अपने को सदैव देते हैं। हम उनकी क्षमाशीलता की शक्ति से यदि सचमुच चाहें तो दूसरों को कुछ दे सकते हैं। “हे पिता हमारे” की प्रार्थना में हम क्षमाशीलता की प्रार्थना कहते हैं। बच्चे अपने माता-पिता को देख कर दूसरों को क्षमा करना सीखते हैं। यदि हम इस बात को समझते हैं तो हम येसु के द्वारा वैवाहिक जीवन में निष्ठावान बने रहने की शिक्षा को सीखते हैं।
संत पापा ने भारत की निशा और तेद को सोशल मीडिया के उपयोग से संबंधित अपना साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु धन्यवाद अदा किया। सोशल मीडिया का उचित और समझदारी पूर्ण उपयोग हमारे लिए फायदेमंद हो सकता है। यह हमें मित्रता, एकजुटता और एक दूसरे को सहारा देने हेतु मदद करता है। इसके द्वारा हम दुनिया में परिवार के सदस्यों संग जुड़े रह सकते हैं।

प्रार्थना पारिवारिक एकता का आधार

संत पापा ने एक अच्छे आरिश पुरोहित के नाम की चर्चा किये बिना कहा, “परिवार जो एक साथ प्रार्थना करता वह एक साथ रहता” और शांति प्रसारित करता है। ऐसे परिवार विशेष रूप से दूसरे परिवार के लिए एक सहायक बनते, जो अपने में शांति का अभाव पाते हैं। उन्होंने पुनः अपने प्रेम और पारिवारिक प्रबोधन को उद्धृत करते हुए कहा कि “येसु का प्रेम हमारे जीवन की सारी चीजों को नवीन बना देता है” जिसके फलस्वरुप “वैवाहिक जीवन में दंपतियों का प्रेममिलन निष्ठा और अपनी अटूटता में एक नये जीवन हेतु खुला रहता है।”
इस संदर्भ में संत पापा ने मेरी और दमियन का शुक्रिया अदा किया जिन्होंने ने अपने परिवार के दस बच्चों के साथ “प्रेम और विश्वास का साक्ष्य” प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि अपने को एक-दूसरे के लिए समर्पित करने के द्वारा पति-पत्नी “एक शरीर” बनते हैं। “वे अपना हृदय दूसरों के लिए खोलते विशेष कर उनके लिए जो अकेले, परित्यक्त, कमजोर और अतिसंवेदनशील बहुधा फेंके जाने की संस्कृति का शिकार होते हैं।”
संत पापा ने परिवार के बुजूर्गों के प्रति अपनी विशेष चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “समाज जो अपने दादा-दादियों को महत्व नहीं देता उस समाज का भविष्य नहीं है। उन्होंने आगे जोर देते हुए कहा, “हमारे दादा-दादी हमें वैवाहिक और दंपत्य प्रेम के अर्थ को समझने में मदद करते हैं। वे हमारे लिए अनुभवों और ज्ञान के भण्डर हैं। उनके अनुभवों के बारे में नहीं पूछना या उनसे बातें करना समय की बर्बादी है कहना हमारी बहुत बड़ी भूल है।”

ईश्वर की योजना फलहित करना

संत पापा फ्रांसिस ने अपने संबोधन के अंत में परिवारों से कहा, “आप कलीसिया और विश्व की आशा हैं। अपने जीवन के द्वारा सुसमाचार का साक्ष्य देना ईश्वर के सपने को साकार करना है। इसके द्वारा आप ईश्वर की प्रजा का ध्यान अपनी ओर आकृर्षित कराते हुए एक परिवार की भांति शांति में जीवन जीने की शिक्षा दे सकते हैं।”
 

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26 August 2018, 17:11