संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

ख्रीस्तीय जीवन के विश्व सम्मेलन को संत पापा का संदेश

संत पापा फ्राँसिस ने ख्रीस्तीय जीवन समुदाय की विश्व कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष को एक संदेश भेजा और उन्हें कलीसिया के प्रति समर्पण और प्यार के लिए धन्यवाद दिया।

माग्रेट सुनीता मिंज - वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 30 जुलाई 2018 (वाटिकन न्यूज) : संत पापा फ्राँसिस ने विश्व ख्रीस्तीय जीवन समुदायों के अध्यक्ष मौरीज्यो लोपेज़ को संबोधित एक संदेश में सभी सदस्यों को प्रोत्साहित किया कि वे "अपने दैनिक जीवन, अपने निवास स्थानों में प्रेरिताई कार्यों द्वारा मसीह की उपस्थिति को जारी रखें।"

22 से 31 जुलाई तक चलने वाली ख्रीस्तीय जीवन समुदायों के विश्व सम्मेलन में भाग लेने हेतु 70 देशों से प्रतिनिधि बोएनस आइर्स में एकत्रित हुए हैं।

संत पापा ने उनके विशेष करिश्मा के लिए प्रशंसा व्यक्त करते हुए कलीसिया के प्रति उनके "समर्पण और प्यार तथा अपने भाइयों और बहनों के प्रति प्यार और सहानुभूति" के लिए धन्यवाद दिया।

कलीसिया और विश्व के लिए उपहार

संत पापा ने ख्रीस्तीय जीवन समुदायों के विश्व सम्मेलन में सभी प्रतिभागियों को बधाई दी जो इस वर्ष ख्रीस्तीय जीवन समुदायों की 50वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। संत पापा ने कहा, “आप सब मिलकर प्रार्थना और चिंतन करना चाहते हैं जिससे कि आप अपने आदर्श को प्रभु की इच्छानुसार और गहराई से जी सकें और इस प्रकार अपने विशेष आदर्श को जीते हुए आप कलीसिया और विश्व के लिए खास उपहार बने रहें।”

उन्होंने कहा कि समुदाय की जिम्मेदारी है कि वह दूसरों के पास जाए और "मानव हृदय को संतुष्ट करने में सक्षम एकमात्र रोटी: मसीह के प्रेम" को बांटे।

कार्य में ईश्वर को पाना  

उन्होंने कहा, "संत इग्नासियुस की आध्यात्मिकता का केंद्र ‘कार्य में ईश्वर की प्राप्ति’ है"। उन्होंने चिंतन और कार्य के आयामों को परिलक्षित कर कहा, "आप एक साथ आगे बढें क्योंकि हम केवल मसीह के घावों के माध्यम से ईश्वर के दिल में प्रवेश कर सकते हैं और हम जानते हैं कि भूखे, अशिक्षित, परित्यक्त, बूढ़े, बीमार, कैदी और कमजोर व्यक्तियों में मसीह दुःख सहते हैं।"

संत पापा फ्राँसिस ने प्रतिभागियों को ख्रीस्तीय जीवन की आध्यात्मिकता को गहराई से जीने हेतु प्रोसाहित किया। उन्होंने कहा कि वे स्वर्गराज्य के लिए काम करें। वे येसु के प्रेम से संचालित हों और येसु के मनोभाव धारण करें। (फिली 2:5) आप खुद से लगातार पूछें : “मैंने मसीह के लिए क्या किया है? मैं मसीह के लिए क्या कर रहा हूँ? मसीह के लिए मुझे क्या करना चाहिए?”

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30 July 2018, 16:17