देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा देवदूत प्रार्थना के उपरांत आशीष देते संत पापा 

येसु हमारी छिपी आवश्यकताओं को देख सकते हैं, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने देवदूत प्रार्थना में कहा कि हम अपनी योजनाओं के विफल हो जाने से परेशान न हों बल्कि परिस्थिति की मांग का प्रत्युत्तर दें।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 23 जुलाई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में रविवार 22 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात।

प्रेरितों के प्रति येसु की चिंता

आज का सुसमाचार पाठ (मार.6,30-34) बतलाता है कि प्रेरित अपने प्रथम मिशन के बाद येसु के पास लौटते हैं तथा बतलाते हैं कि उन्होंने क्या-क्या किया और क्या-क्या सिखलाया। मिशन के बाद वे निश्चय ही उत्साहित थे किन्तु थके भी थे अतः उन्हें विश्राम की आवश्यकता थी। येसु पूर्ण समझदारी के साथ उन्हें विश्राम करने की सलाह देते हुए करते हैं, ''तुम लोग अकेले ही मेरे साथ निर्जन स्थान चले आओ और थोड़ा विश्राम कर लो'' किन्तु येसु की यह सलाह पूर्ण नहीं हो पायी क्योंकि भीड़ ने उस एकान्त स्थान को समझ लिया जहाँ येसु के शिष्य एक साथ नाव द्वारा जा रहे थे और वे वहां उनके पहले ही पहुँच गये। 

संवेदनशीलता एवं तत्परता की मांग

संत पापा ने कहा, "आज भी ऐसा हो सकता है। कई बार हम अपनी योजनाओं को पूर्ण नहीं कर पाते हैं क्योंकि अप्रत्याशित घटनाएँ घट जाती हैं जो हमारी योजनाओं को बदल देती हैं और हमसे दूसरों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील एवं तत्पर होने की मांग करती हैं।" ऐसे समय में हम येसु का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किये जाते हैं। "ईसा ने नाव से उतर कर एक विशाल जनसमूह देखा। उन्हें उन लोगों पर तरस आया, क्योंकि वे बिना चरवाहे की भेड़ों की तरह थे और वह उन्हें बहुत-सी बातों की शिक्षा देने लगे।" (पद 34) संत पापा ने कहा कि इस वाक्यांश में सुसमाचार लेखक एक अनोखी बात को चित्रित करते हुए ईश्वर की छवि एवं उनकी शिक्षा देने के मनोभाव को प्रस्तुत करते हैं। संत पापा ने कहा, इस छवि में हम तीन क्रियाओं को देख सकते हैं- देखना, तरस खाना एवं शिक्षा देना। हम इन्हें एक चरवाहे के कार्य कह सकते हैं।

येसु हृदय की आँखों से देखते

येसु की निगाहें, तटस्थ, भारी, शिथिल अथवा अलग नहीं थी क्योंकि वे हमेशा हृदय की आँखों से देखते हैं। उनका हृदय कोमलता एवं दया से भरा है जो लोगों की उन आवश्यकताओं को भी महसूस कर सकता है जो छिपे होते हैं। इसके अतिरिक्त, उनकी दया न केवल लोगों के एक असहज परिस्थिति पर प्रतिक्रिया है किन्तु यह उससे बढ़कर, ईश्वर का मनुष्यों एवं उनके इतिहास के प्रति एक मनोभाव तथा पूर्ववृत्ति है। येसु यहाँ ईश्वर के उस रूप को प्रकट करते हैं जिसमें वे अपने लोगों की चिंता करते और उनकी देखभाल करते हैं।

उन लोगों को देखकर जिन्हें मार्गदर्शन एवं मदद की आवश्यकता थी येसु द्रवित थे, उन्हें चमत्कार की आशा थी किन्तु वे उन्हें विभिन्न चीजों की शिक्षा देने लगे। संत पापा ने कहा कि यही उनकी पहली रोटी है जिससे वे लोगों को प्रदान करते हैं, वचन की रोटी। हम सभी को भी सत्य के वचनों की जरूरत है जो हमारी यात्रा को आलोकित एवं निर्देशित करते हैं।

येसु के साथ हम सुरक्षित

सच्चाई जो स्वयं ख्रीस्त हैं उनके बिना, हम जीवन के सच्चे दिशानिर्देश को नहीं पा सकते। जब कोई व्यक्ति येसु और उनके प्रेम से अलग हो जाता है वह अपने आप को खो देता तथा उसमें निराशा एवं असंतोष की भावना भर जाती है। येसु के साथ हम सुरक्षित आगे बढ़ सकते हैं, कठिनाइयों पर विजय पा सकते हैं, इस तरह हम ईश्वर के प्रेम एवं पड़ोसियों के प्रेम में आगे बढ़ते हैं। येसु ने अपने आपको दूसरो के लिए अर्पित कर दिया है इस तरह उन्होंने हम सभी के लिए प्रेम एवं सेवा की मिशाल प्रस्तुत की है।    

पड़ोसियों के कष्टों को समझने के लिए प्रार्थना

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "अति शुद्ध माता मरियम हमें बांटने एवं सेवा करने के मनोभाव द्वारा, अपने पड़ोसियों की समस्याओं, पीड़ाओं एवं कठिनाइयों को समझने में मदद करे।" 

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

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23 July 2018, 14:32