देवदूत प्रार्थना हेतु संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित विश्वासी देवदूत प्रार्थना हेतु संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में एकत्रित विश्वासी 

भोजन नष्ट न करें, भूखों के प्रति उदासीन न बनें, संत पापा

संत पापा फ्राँसिस ने रविवार को देवदूत प्रार्थना के पूर्व विश्वासियों को संदेश दिया जिसमें उन्होंने विश्वासियों को उदार एवं साहसी बनने हेतु प्रेरित किया।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार, 30 जुलाई 2018 (रेई)˸ वाटिकन स्थित संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में, रविवार 29 जुलाई को, संत पापा फ्राँसिस ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया, देवदूत प्रार्थना के पूर्व उन्होंने विश्वासियों को सम्बोधित कर कहा, "अति प्रिय भाइयो एवं बहनो, सुप्रभात। आप साहसी हैं जो इस प्राँगण में कड़ी धूप के बावजूद उपस्थित हैं।"

रोटी और मछली के चमत्कार पर चिंतन

संत पापा ने संदेश में संत योहन रचित सुसमाचार से लिए गये पाठ पर चिंतन करते हुए कहा, "आज का सुसमाचार पाठ  (योहन 6˸1-15) रोटी और मछली के चमत्कार की घटना का वर्णन करता है। ईसा ने अपनी आँखें ऊपर उठायीं और देखा कि एक विशाल जनसमूह उनकी ओर आ रहा है। उन्होंने फिलिप से यह कहा, ‘‘हम इन्हें खिलाने के लिए कहाँ से रोटियाँ खरीदें?'' (पद 5) क्योंकि येसु और उनके शिष्यों के पास जो थोड़ा पैसा था वह भीड़ को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं था। तब उनके शिष्यों में एक, सिमोन पेत्रुस के भाई अन्द्रेयस ने कहा, ’‘यहाँ एक लड़के के पास जौ की पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ हैं, पर यह इतने लोगों के लिए क्या है।'' (पद 9)

लड़के की उदारता ने सबको तृप्त कर दिया

संत पापा ने उस लड़के की उदारता की सराहना करते हुए कहा, "वह लड़का उदार और साहसी था। वह जो भीड़ को देख रहा था, अपनी पाँच रोटियों को देते हुए कहा, "मेरे पास इतने हैं यदि आवश्यक हो तो मैं इन्हें देने के लिए तैयार हूँ।"

संत पापा ने कहा, "यह लड़का हमें सोचने के लिए प्रेरित करता है, एक साहसी युवक...युवा लोग इसी तरह साहसी होते हैं। उनके साहस को आगे ले जाने के लिए हमें उन्हें मदद करनी चाहिए।"येसु तब शिष्यों को आदेश देते हैं कि वे लोगों को बैठायें, फिर वे रोटी और मछली लेकर पिता को धन्यवाद देते तथा उसे बांटते हैं। रोटी खाकर सभी तृप्त हो जाते हैं। सभी ने इच्छा भर रोटी खायी।

येसु लोगों की आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील

संत पापा ने सुसमाचार की इस घटना को विगत रविवार के सुसमाचार पाठ से जोड़ते हुए कहा, "इस सुसमाचार पाठ द्वारा धर्मविधि हमें विगत रविवार के सुसमाचार पाठ में येसु की याद करने हेतु प्रेरित करता है जहाँ वे भीड़ को देख कर दया से द्रवित हो जाते हैं।" भीड़ को देखकर उस लड़के को भी दया आयी जिसके पास पाँच रोटियाँ और दो मछलियाँ थीं। करुणा की भावना ने उसे वह सब कुछ दान करने हेतु प्रेरित किया जो उसके पास था। वास्तव में, संत योहन आज हमें पुनः एक बार दिखलाते हैं कि येसु लोगों की मौलिक आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशील हैं। लोग भूखे हैं तथा येसु अपने शिष्यों के साथ उनकी भूख को मिटाने की कोशिश करते हैं। यह एक ठोस सच्चाई है। भीड़ को येसु ने केवल भोजन देकर नहीं छोड़ दिया किन्तु उन्हें अपना वचन, सांत्वना, मुक्ति और अंत में अपना जीवन भी अर्पित कर दिया। येसु ने लोगों की शारीरिक भोजन की भी चिंता की। हम जो उनके शिष्य हैं, उनका अनुसरण करने के लिए प्रेरित किये जाते हैं। हम यदि महान मूल्यों की बात करते हैं तो हमें लोगों की सामान्य आवश्यकताओं को भी सुनने तथा उनकी वास्तविक परिस्थितियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है।

ईश्वर का प्रेम

संत पापा ने कहा, "मानव के लिए ईश्वर का प्रेम जो रोटी, स्वतंत्रता, न्याय, शांति और सबसे बढ़कर उनकी दिव्य कृपा की भूखा है कभी विफल नहीं होती। येसु आज भी अपनी जीवित एवं सांत्वनापूर्ण उपस्थिति को प्रकट करने के लिए हमें खिलाते हैं। वे उसे हमारे द्वारा पूरा करते हैं अतः सुसमाचार हमें निमंत्रण देता है कि हम तत्पर रहें और उसके लिए काम करें, उसी लड़के की तरह जिसने पाँच रोटियों को देते हुए कहा था, मैं इसे दे देता हूँ। इस तरह हम देखेंगे कि कितने लोगों की भूख मिट जायेगी, हर प्रकार की भूख जिससे विश्व के विभिन्न हिस्सों के अनेक भाई बहनें भूखे और प्यासे हैं। हम उनके प्रति उदासीन एवं मूक दर्शक होकर नहीं रह सकते। ख्रीस्त की घोषणा, "अनन्त जीवन की रोटी मैं हूँ", इसके लिए गरीबों, दुर्बलों, नगण्य और लाचार लोगों के प्रति उदार समर्पण की आवश्यकता है। सामीप्य एवं उदारता के ये कार्य व्यक्तिगत एवं सामुदायिक स्तर पर हमारे विश्वास की परख के उत्तम माध्यम हैं।

बचे हुए खाना को हम कभी न फेकें

येसु के उपदेश के अंत में, जब सभी लोग तृप्त हो चुके थे, येसु ने शिष्य को आदेश दिया कि वे बचे हुए टुकड़ों को जमा कर लें ताकि कुछ भी नष्ट न हो। संत पापा ने भूखे लोगों की याद की तथा उन लोगों की भी जो भोजन नष्ट कर देते हैं। उन्होंने कहा कि हम कितना अधिक खाना फेंक देते हैं। घर में बाकी खाना का हम क्या करते हैं? क्या हम उसे फेंक देते हैं? उन्होंने कहा, यदि आपकी आदत ऐसी है तो मैं आपको एक सलाह दूँगा। अपने दादा-दादी से बात करें जिन्होंने युद्ध के बाद जीवन बिताया है। उन्हें पूछे कि उन्होंने बचा हुआ खाना को क्या किया। बचा हुआ खाना को हम कभी न फेकें। उसे उन लोगों को दें जिन्हें उसकी जरूरत है। संत पापा ने आत्मजाँच करने की सलाह दी कि हम घर में बचा हुआ खाना का क्या करते हैं।"

माता मरियम से प्रार्थना

संत पापा ने माता मरियम से प्रार्थना करने का आह्वान करते हुए कहा, "आइये हम धन्य कुँवारी मरियम से प्रार्थना करें ताकि विश्व में भोजन एवं एकात्मता के लिए समर्पित कार्यक्रमों का विकास हो, न कि घृणा, हथियार एवं युद्ध का।  

इतना कहने के बाद संत पापा ने भक्त समुदाय के साथ देवदूत प्रार्थना का पाठ किया तथा सभी को अपना प्रेरितिक आशीर्वाद दिया।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

30 July 2018, 14:14