बारी में संत पापा की ख्रीस्तीय एकता एवं शांति हेतु प्रयास
उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
रोम में रविवार को देवदूत प्रार्थना के दौरान उन्होंने संत पेत्रुस महागिरजाघर के प्राँगण में कहा था, "हम उस प्रांत में बढ़ते नाटकीय स्थिति पर एक दिवसीय प्रार्थना एवं चिंतन में भाग लेंगे जहाँ हमारे बहुत सारे भाई-बहनें विश्वास के कारण दुःख सह रहे हैं"। उन्होंने विश्वासियों से अपील करते हुए कहा था, "हम एक आवाज में याचना करेंगे, तुम पर शांति बनी रहे।"
संत पापा की बारी में प्रेरितिक यात्रा को वाटिकन में एक प्रेस सम्मेलन में ख्रीस्तीय एकता को प्रोत्साहन देने हेतु गठित परमधर्मपीठीय समिति के अध्यक्ष कार्डिनल कूर्ट कोच तथा ऑरियनटल कलीसियाओं के लिए बने परमधर्मपीठीय धर्मसंघ के अध्यक्ष कार्डिनल लेओनार्दो सांद्री द्वारा प्रस्तुत किया गया।
मध्यपूर्वी ख्रीस्तीय - 'सबसे अनिश्चित'
प्रेस सम्मेलन में कार्डिनल कूर्ट कोच ने मध्यपूर्व को दुनिया का एक ऐसा क्षेत्र बतलाया जहाँ सबसे अधिक अनिश्चतता की स्थिति है। उन्होंने कहा कि युद्ध एवं अनिश्चितता की स्थिति ने सुरक्षा एवं बेहतर जीवन की खोज में परिवारों को अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर किया है।
कार्डिनल ने सचेत किया कि एक ही सदी में उन क्षेत्रों में ख्रीस्तियों की संख्या काफी कम हो गयी है। जहाँ यह प्रथम विश्व युद्ध के पहले 20 प्रतिशत थी, अब केवल 4 प्रतिशत रह गयी है।
उन्होंने गौर किया कि अंतर कलीसियाई संबंधों, खासकर, काथलिकों एवं ऑर्थोडॉक्स कलीसियाओं के बीच संबंध, संत पापा पौल षष्ठम एवं ऑर्थोडॉक्स प्राधिधर्माध्यक्ष अथनागोरस के जनवरी 1964 में मुलाकात के समय से ही काफी मजबूत है।
पवित्रता, जीवन एवं रक्त की ख्रीस्तीय एकता
कार्डिनल कोच ने तीन तरह के ख्रीस्तीय एकता को प्रस्तुत किया- पवित्रता, जीवन एवं रक्त की ख्रीस्तीय एकता। द्वितीय वाटिकन महासभा का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि जीवन की पवित्रता ख्रीस्तीय एकता की सबसे अच्छी गारंटी है क्योंकि ख्रीस्तीय जितना अधिक ईश्वर के करीब आते हैं वे एक-दूसरे के भी करीब आते हैं। जब कठिनाइयाँ पीड़ा बन जाती हैं ख्रीस्तीय एकता की पवित्रता रक्त की ख्रीस्तीय एकता बन जाती है।
संत पापा ने शब्दों को लेते हुए कार्डिनल ने कहा कि जब ख्रीस्तियों की हत्या की जाती है उनसे यह पूछा नहीं जाता कि क्या वे काथलिक हैं या ऑर्थोडॉक्स अथवा अन्य ख्रीस्तीय। वे मार दिये जाते क्योंकि वे ख्रीस्तीय हैं।
कार्डिनल ने कहा, कि मध्यपूर्व की स्थिति, न केवल ख्रीस्तियों के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के "ख्रीस्तीय एकता के लिए प्रोत्साहन" है।
ख्रीस्तियों के बिना मध्यपूर्व नहीं
मध्यपूर्व के संबंध में कार्डिनल कोच ने 3 सिद्धांत या दृढ़ संकल्प बतलाये
पहला, शांति एवं सुरक्षा की आवश्यकता है। दूसरा, ख्रीस्तियों के बिना मध्यपूर्व की कल्पना करना असंभव है। न केवल धार्मिक कारणों से किन्तु राजनीतिक एवं सामाजिक कारणों से भी। तीसरा, धर्म, जातीयता या मूल के बावजूद प्रत्येक व्यक्ति और अल्पसंख्यक के अधिकार इस क्षेत्र में गारंटी की आवश्यकता है।
कार्डिनल कोच ने अंतरधार्मिक वार्ता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने संत पापा के शब्दों को याद किया कि जितना अधिक कठिन परिस्थिति हो उतनी ही अधिक अंतरधार्मिक वार्ता की आवश्यकता है। इसके अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।
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