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धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो की संत घोषणा हेतु कार्डिनल मंडल की सभा धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो की संत घोषणा हेतु कार्डिनल मंडल की सभा 

धन्य नूनत्सियो की संत घोषणा 14 अक्टूबर को

संत पापा फ्राँसिस ने बृहस्पतिवार को कार्डिनल मंडल की सभा के दौरान घोषित किया कि धन्य संत पापा पौल षष्ठम एवं धन्य ओस्कर रोमेरो के साथ 14 अक्टूबर को धन्य नूनत्सियो की संत घोषणा की जाएगी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 19 जुलाई 2018 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने 19 जुलाई को वाटिकन में, एक सामान्य लोकसभा (कार्डिनल मंडल की सभा) के दौरान धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो की संत घोषण को प्रकाशित किया।

धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो का संत घोषणा समारोह, धन्य संत पापा पौल षष्ठम एवं धन्य ओस्कर रोमेरो के साथ 14 अक्टूबर को मनाया जाएगा।

उनका जन्म 13 अप्रैल 1817 को पेस्कारा में हुआ था तथा उनकी मृत्यु 5 मई 1836 को नेपल्स में हुई। धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो की धन्य घोषणा संत पापा पौल षष्ठम ने 1 दिसम्बर 1963 में की थी।

धन्य नूनत्सियो का बचपन

धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो के पिताजी एक मोची थे तथा माता सूत कातने का काम करती थी। बचपन में ही उसने अपने माता-पिता को खो दिया था। अकेला हो जाने के कारण वह अपने एक चाचा के पास रहने लगा, जिसने उसे स्कूल से निकाल कर अपने लोहार के दुकान में लगा दिया तथा उससे बेरहमी से काम उठाने लगा। उसका चाचा नूनत्सियो के साथ अत्यन्त कड़ाई से व्यवहार करता था। उसे कड़ी ठंढ़ एवं तेज धूप के बावजूद मीलों दूर भार ढोकर चलना पड़ता था। ऐसी परिस्थिति में वह जल्द ही बीमार पड़ गया। उसके पैर में गैंगरिन की बीमारी हो गयी थी और उसे नेपल्स के एक अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। इस बीमारी के कारण उसे अत्यधिक दर्द सहना पड़ रहा था जिसको वह प्रभु को चढ़ाता था। उसका कहना था, "येसु ने हमारे लिए बहुत अधिक कष्ट सहा और अनन्त जीवन प्रदान किया है, अतः यदि हम थोड़ी देर कष्ट सहेंगे तो हम स्वर्ग राज्य का आनन्द प्राप्त करेंगे। येसु ने मेरे लिए बहुत पीड़ा सहा है क्यों न मैं भी उनके लिए दुःख सहूँ।"

ईश्वर से संयुक्ति

नेपल्स शहर में फेलिचे वोकिनजर से उनकी मुलाकात हुई जिन्होंने एक पिता के रूप में उसका स्वागत किया और पुत्र की तरह उसे स्वीकारा। अब उसके स्वास्थ्य में सुधार होने लगा और उसने बीमार लोगों की मदद करने में अपने को समर्पित किया। वह हमेशा प्रभु के साथ संयुक्त रहता था। वह कहा करता था कि हर अच्छी चीज प्रभु से आती है। ईश्वर के प्रेम के लिए सहर्ष दुःख झेलना चाहिए। वह अपने को ईश्वर के लिए समर्पित करना चाहता था किन्तु उसका स्वास्थ्य पहले से अधिक खराब हो गया। उसे कैंसर हो गया था जिसके कारण उसे असहाय दर्द होता था।  

धन्य घोषणा

5 मई 1836 को उसके सामने क्रूस लाया गया तथा पापस्वीकार करने के लिए कहा गया। उसने पुरोहित से कहा, "आप प्रसन्न होइये, स्वर्ग से मैं आपकी मदद करूँगा।" उसी दिन उसकी मृत्यु हो गयी। उस समय वह केवल 19 साल का था। उसकी कब्र में तीर्थयात्रियों की भीड़ लगने लगी। 1 दिसम्बर 1963 को विश्वभर के धर्माध्यक्षों के सामने द्वितीय वाटिकन महासभा के दौरान संत पापा पौल षष्ठम ने अब्रूत्सो के युवा मजदूर को धन्य घोषित किया।

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धन्य नूनत्सियो सुलप्रीत्सियो
19 July 2018, 17:10