लेबनान शरणार्थी शिविर लेबनान शरणार्थी शिविर 

लेबनान में "फ्रातेल्ली"˸ शरणार्थियों के लिए शिक्षा एवं आशा

लेबनान के सिदोन में "फ्रातेल्ली" परियोजना ने 70 सीरियाई और इराकी शरणार्थी बच्चों को स्कूल जाने एवं अपनी भावी आशा की तलाश करने का अवसर प्रदान किया।

उषा मनोरमा तिरकी- वाटिकन सिटी

"फ्रातेल्ली" लेबनान के सिदोन में एक शैक्षणिक परियोजना है जो मारिस्ट एवं दे ला साले धर्मबंधुओं द्वारा संचालित है। यह ऐसे बच्चों की मदद करता है जो शरणार्थी हैं चूँकि वे लेबनान के सरकारी स्कूलों में नहीं पढ़ सकते और जिनके माता-पिता युद्ध के कारण भाग रहे हैं वे अपने बहुमूल्य वर्षों को स्कूल जाने के अभाव में बीताते हैं।

शरणार्थियों की पीढ़ी को शिक्षा देना

फ्रातेल्ली परियोजना से जुड़े मारिस्ट धर्मबंधु क्रिस विल्स ने कहा, "प्रातेल्ली परियोजना के द्वारा हम शरणार्थी बच्चों की पूरी पीढ़ी को खोना नहीं चाहते। परिवार जो युद्ध के कारण पलायन कर रहे हैं वे घर लौटना चाहते हैं या दूसरे देशों में बसना चाहते हैं और एक नया जीवन शुरू करना चाहते हैं किन्तु जैसा कि हम जानते हैं इसमें कई साल लग सकते हैं। इस दौरान उनके बच्चों के साथ क्या होगा? इस दिशा में फ्रातेल्ली परियोजना पहला कदम है। यह परियोजना एक पहल मात्र  है इसी तरह के और भी कदम उठाये जा सकते हैं।" 

फ्रातेल्ली परियोजना को "लेस फ्रेरेस" नामक एक पुराना स्कूल घर में शुरू किया गया है जिसे नागरिकों ने युद्ध के दौरान त्याग दिया था। लंबे समय तक आप्रवासी के रूप में रह रहे लोगों तथा लेबनान के अनेक बच्चे भी इस कार्यक्रम में भाग ले सकते हैं।

ये दोनों ही तरह के बच्चे आर्थिक समस्याओं एवं सामाजिक चुनौतियों के कारण राजकीय स्कूलों में भाग नहीं ले सकते।

जीवन के लिए क्षमता एवं उम्मीद

फ्रातेल्ली परियोजना, लेबनान के अधिकारियों द्वारा पहचान प्राप्त नहीं है अतः युवा विद्यार्थी औपचारिक डिग्री प्राप्त नहीं करते किन्तु कार्यक्रमों की संरचना आधिकारिक स्कूलों की तरह ही है। 

स्कूल के शिक्षक हैं- रीम, मानाल, लौरा, माजिदा और फादी जो वर्ण, गणित और अंग्रेजी पढ़ाते हैं। उन शिक्षकों के साथ-साथ कई स्वयंसेवक, ला साले स्कूल के विद्यार्थी जुड़े हैं जो अतिरिक्त पाठयक्रम गतिविधियों में अपना सहयोग देते हैं।  

फ्रातेल्ली के स्वयं सेवक सारा अमारिल्लास का कहना है कि परियोजना "मनोरंजानात्मक कार्यक्रम एवं मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान करता है ताकि वे पूर्ण विकास कर सकें।" उनका कहना है कि वे ऐसा न्याय, शांति, भाईचारा और आशा आदि के मूल्यों के आधार पर ये कार्य करते हैं।" 

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03 July 2018, 19:13