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स्वर्ग की रानी प्रार्थना ˸ 23 मई 2021

संत पापा के साथ प्रार्थना

Regina Coeli

Regina coeli, laetare, alleluia.
Quia quem meruisti portare, alleluia.
Resurrexit, sicut dixit, alleluia.
Ora pro nobis Deum, alleluia.

V. Gaude et laetare, Virgo Maria, alleluia.
R. Quia surrexit Dominus vere, alleluia.

Oremus:

Deus, qui per resurrectionem Filii tui Domini nostri Iesu Christi mundum laetificare dignatus es, praesta, quaesumus, ut per eius Genetricem Virginem Mariam perpetuae capiamus gaudia vitae.
Per eundem Christum Dominum nostrum. Amen.

स्वर्ग की रानी

हे स्वर्ग की रानी, आनन्द कर।अल्लेलूया ।

जिनको तूने पैदा किया। अल्लेलूया।

वह अपने कथनानुसार जी उठे। अल्लेलूया ।

ईश्वर से हमारे लिये प्रार्थना कर। अल्लेलूया ।

आनन्द मना और प्रसन्न हो, हे कुँवारी मरियम।  अल्लेलूया।

प्रभु सचमुच जी उठे।  अल्लेलूया ।

 हम प्रार्थना करें :

हे ईश्वर, तूने अपने पुत्र हमारे प्रभु येसु खीस्त के पुनरूत्थान द्वारा संसार को आनन्द दिया है।  हमारी यह प्रार्थना सुन और ऐसा कर कि हम उनकी माँ कुँवारी मरियम के द्वारा, अनन्त जीवन का आनन्द प्राप्त कर सकें।  आमेन।

स्वर्ग की रानी क्या है?

स्वर्ग की रानी गीत (अथवा स्वर्ग की रानी) मरियम के चार गीतों में से एक है (अन्य तीन गीत हैं- अल्मा रेदेनतोरिस मातेर, आवे रेजिना चेलोरूम, प्रणाम हे रानी)।

संत पापा बेनेडिक्ट 15वें ने सन् 1742 में, पास्का काल अर्थात् पास्का रविवार से लेकर पेंतेकोस्त तक, देवदूत प्रार्थना के स्थान पर इसे खड़े होकर गाने का निर्देश दिया था जो मृत्यु पर विजय का प्रतीक है।

देवदूत प्रार्थना की तरह इसे भी दिन में तीन बार किया जाता है, प्रातः, मध्याह्न एवं संध्या ताकि पूरे दिन को ख्रीस्त एवं माता मरियम को समर्पित किया जा सके।

एक धार्मिक परम्परा के रूप में यह पुरानी गीत छटवीं से दसवीं शताब्दी की हो सकती है, जबकि इसके प्रसार को 13वीं शताब्दी में दस्तावेज के रूप पाया गया है जब इसे फ्राँसिसकन दैनिक प्रार्थना में शामिल किया था। यह चार छोटे पदों से बना है जिनमें हरेक का अंत अल्लेलूया से होता है। इस प्रार्थना में विश्वासी मरियम को स्वर्ग की रानी सम्बोधित करते हैं कि वे पुनर्जीवित ख्रीस्त के साथ आनन्द मनायें।   

संत पापा फ्राँसिस ने 6 अप्रैल 2015 को ठीक स्वर्ग की रानी प्रार्थना के दौरान पास्का के दूसरे दिन बतलाया था कि इस प्रार्थना को करते समय हमारे हृदय में किस तरह का मनोभाव होना चाहिए।

...हम मरियम की ओर निहारें और उन्हें आनन्द मनाने का निमंत्रण दें क्योंकि वे ही हैं जिन्होंने उन्हें गर्भ में धारण किया था वे अब जी उठे हैं जैसा कि उन्होंने प्रतिज्ञा की थी और हम उनकी मध्यस्थता द्वारा प्रार्थना करें। वास्तव में, हमारा आनन्द माता मरियम के आनन्द का प्रतिबिम्ब है क्योंकि वे ही हैं जिन्होंने विश्वास के साथ येसु की देखभाल की और उनका लालन-पालन किया। अतः आइये, हम भी इस प्रार्थना को बाल-सुलभ मनोभाव से करें जो इसलिए प्रफूल्लित होते हैं क्योंकि उनकी माताएँ आनन्दित होते।"   

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