संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

संत पापा ने डॉक्टरों व पुरोहितों के लिए प्रार्थना की

पास्का के चौथे रविवार को भले चरवाहे का रविवार भी कहा जाता है। संत पापा ने ख्रीस्तयाग में विशेष रूप से डॉक्टरों एवं पुरोहितों के लिए प्रार्थना की। इताली काथलिक समाचार पत्र "अभ्भीनीरे" के अनुसार कोविड-19 महामारी के समय इटली में 118 से अधिक पुरोहितों एवं 154 डॉक्टरों की मौत हो गई है।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, रविवार, 3 मई 2020 (रेई)- संत पापा फ्राँसिस ने पास्का के चौथे रविवार को वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित किया। ख्रीस्तयाग में उन्होंने उन डॉक्टरों एवं पुरोहितों के लिए प्रार्थना की जिन्होंने महामारी के समय अपना जीवन अर्पित किया। उन्होंने उनकी तुलना भले चरवाहे से की जो अपना जीवन अपने झुण्ड के लिए अर्पित करता है।

पास्का के चौथे रविवार को भले चरवाहे का रविवार भी कहा जाता है। संत पापा ने ख्रीस्तयाग में विशेष रूप से डॉक्टरों एवं पुरोहितों के लिए प्रार्थना की। इताली काथलिक समाचार पत्र "अभ्भीनीरे" के अनुसार कोविड-19 महामारी के समय इटली में 118 से अधिक पुरोहितों एवं 154 डॉक्टरों की मौत हो गई है।

संत पापा ने कहा, "उन चरवाहों, पुरोहितों और डॉक्टरों का उदाहरण हमें ईश्वर की पवित्र विश्वासी प्रजा की देखभाल करने में मदद दे।"

उपदेश में संत पापा ने भले चरवाहे के प्रतीक पर चिंतन किया जिसको आज के पाठों में प्रस्तुत किया गया है। (पहला पाठ- 1पेत्रुस 2,20-25 और दूसरा पाठ- योहन 10,1-10)

येसु भले चरवाहे हैं

संत पेत्रुस येसु को एक भले चरवाहे के रूप में प्रस्तुत करते हैं जो अपनी खोयी हुई भेड़ को बचाने आये। भेड़ के पापों को अपने ऊपर लेकर, येसु हमें पापों से मुक्त करते हैं। येसु की मृत्यु से हम अपने चरवाहे, अपनी आत्मा के रक्षक के पास लौट आये हैं।   (1 पेत्रुस 2:25) संत योहन येसु को न केवल एक चरवाहे के रूप में बल्कि एक द्वार के रूप में भी प्रस्तुत करते हैं जिसमें से होकर भेड़ प्रवेश कर सके।

भेड़ अपने चरवाहे को जानता है

संत पापा ने कहा कि दुर्भाग्य से, जिस प्रकार सुसमाचार में येसु ने कहा है, कई झूठे चरवाहे प्रभु के झुंड को लूटने एवं नष्ट करने के लिए घुस गये हैं। उन्हें झुंड का ख्याल नहीं है। वे सीढ़ी पर चढ़ना या राजनीति अथवा धन में ऊंचा स्थान प्राप्त करना चाहते हैं किन्तु झुंड पहचानती है कि कौन भला चरवाहा है और कौन चोर।

भला चरवाहा अपने झुंड द्वारा पहचाना जाता है। झुंड बढ़ता है क्योंकि चरवाहा भेड़ों की सुनता, उनकी रक्षा और देखभाल करता है। भेड़ उन्हीं चरवाहों पर भरोसा करती है जो येसु के समान अच्छे चरवाहे हैं। इस मामले में भेड़ कभी गलती नहीं करती। संत पापा ने कहा कि इस तरह जो चरवाहे येसु की तरह हैं वे ही अपनी भेड़ों का भरोसा जीत सकते हैं। चरवाहों का आदर्श येसु होना चाहिए न कि कोई दूसरा।

येसु का उदाहरण

येसु के आदर्श के बारे संत पेत्रुस कहते हैं कि येसु ने अपनी भेड़ों के लिए दुःख उठाया, उसी तरह हमें भी करना है। उन्होंने चोट के बदले कभी किसी का अपमान नहीं किया। यही विनम्रता है। विनम्रता एक भला चरवाहा होने का चिन्ह है। यदि एक चरवाहा विनम्र नहीं है तब वह कुछ छिपाता है क्योंकि विनम्रता, व्यक्ति को बिना बचाये वैसा ही प्रकट करता है जैसा वह वास्तव में है।

एक भला चरवाहा कोमलता से सभी भेड़ों को अपनी ओर आकर्षित करता और हरेक का नाम जानता है। वह प्रत्येक का ख्याल रखता है। दिन के अंत में चरवाहा जब महसूस करता है कि एक भेड़ वापस नहीं आयी है तब वह कितना ही थका क्यों न हो उसे खोजने जाता है। यह भला चरवाहा है। वह चरवाहा येसु हैं।

संत पापा ने चरवाहे, भेड़ों के झुंड और भेड़ को पास्का अवधारणा कहा। उन्होंने याद किया कि पास्का भजन में नया बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति को नवजात मेमना कहा जाता है। संत पापा ने कहा कि येसु इसी प्रकार की कलीसिया चाहते हैं जिसकी वे देखभाल करते हैं।

संत पापा ने कहा कि यह सुन्दर रविवार है। यह शांति, कोमलता और विनम्रता का रविवार है क्योंकि हमारे गड़ेरिये हमारी देखभाल करते हैं। प्रभु मेरे चरवाहे हैं मुझे किसी बात की कमी नहीं होगी।

संत पापा का ख्रीस्तयाग 3 मई 2020

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03 May 2020, 16:14
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