संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (Vatican Media)

ईश्वर सांसारिकता से बचाये जो कलीसिया को नष्ट करती है, पोप

वाटिकन स्थित प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थालय में 16 मई को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने उन लोगों के लिए प्रार्थना की जो मूर्दों को दफनाने का काम करते हैं, विशेषकर, महामारी के इस समय में, वे अपना जीवन जोखिम में डाल रहे हैं। उपदेश में उन्होंने दुनियावी भावना पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 16 मई 2020 (रेई)- पास्का के पाँचवें सप्ताह के शनिवार को ख्रीस्तयाग की भूमिका के रूप में संत पापा ने कहा, "आज हम उन लोगों के लिए प्रार्थना करें जो इस महामारी के समय मृतकों को दफनाने का काम कर रहे हैं। मृतकों को दफनाना एक दया का काम है और स्वाभाविक रूप से सुखकर नहीं है। हम उनके लिए प्रार्थना करें जो अपना जीवन जोखिम में डालते हैं और संक्रमित हो सकते हैं।"

उपदेश में संत पापा ने आज के सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया (यो.15.18-21) जिसमें येसु अपने शिष्यों से कहते हैं, "यदि संसार तुम लोगों से बैर करे तो याद रखो कि तुम से पहले उसने मुझसे बैर किया है। यदि तुम संसार के होते तो संसार तुम्हें अपना समझकर प्यार करता, परन्तु तुम संसार के नहीं हो। तुम संसार के नहीं हो क्योंकि मैंने तुम्हें संसार से चुन लिया है। इसलिए संसार तुमसे बैर करता है।"  

संत पापा ने कहा, "येसु अनेक बार संसार के बारे बोलते हैं। अपने और शिष्यों के प्रति संसार के बैर का जिक्र करते हैं एवं पिता से प्रार्थना करते हैं कि वे शिष्यों को संसार से न उठा लें बल्कि सांसारिक भावना से उनकी रक्षा करें।

संत पापा ने प्रश्न किया, "सांसारिक भावना क्या है? यह सांसारिकता क्या है जो बैर करती है, येसु और उनके शिष्यों को नष्ट एवं कलीसिया को भ्रष्ट करना चाहती है।"

संत पापा ने कहा कि सांसारिकता जीवन का प्रस्ताव है। यह अल्पकालिक, दिखावा, और सतही मूल्यों के साथ सौंदर्य प्रसाधन की संस्कृति है। यह एक ऐसी संस्कृति है जो निष्ठा को नहीं जानती क्योंकि यह परिस्थिति के अनुसार अपने को बदल देती है, और गिरगिट की तरह हर चीज से समझौता कर लेती है।   

आराम की फेंकनेवाली संस्कृति

संत पापा ने कहा कि इसी सांसारिकता के कारण येसु अपनी प्रार्थना में पिता से याचना करते हैं कि वे हमें सांसारिकता से बचायें, जो एक फेंकने की संस्कृति है और जो सुविधा के अनुसार चलती है। यह कई लोगों के लिए एक जीवनशैली है जो अपने आपको ख्रीस्तीय कहते किन्तु दुनियावी हैं। दुनिया की चिंताएं विश्वास को खींच लेती हैं।

संत पापा ने फादर दी लुबक की याद की जिन्होंने सांसारिकता की व्याख्या कलीसिया की सबसे बड़ी बुराई के रूप में की थी। आध्यात्मिक दुनियादारी, ख्रीस्तीयता को इस प्रकार जीना है जो मार डालती है क्योंकि यह विश्वास से घृणा करती है। दुनियादारी सभी ओर प्रवेश करती है, यह कलीसिया में भी प्रवेश करती और मास्क लगा लेती है।   

संत पापा ने उन शहीदों की याद की जो विश्वास के कारण मार डाले गये। उन्होंने सांसारिकता के विरूद्ध चेतावनी दी जो सतही है और जिसकी जड़ें गहरी हैं।

येसु में विश्वास- संसारिकता को जवाब

संत पापा ने कहा कि सांसारिकता क्रूस की मूर्खता को सहन नहीं करती और इसको नष्ट करने की एक ही दवाई है ख्रीस्त, जो हमारे लिए मर गये और जी उठे। सांसारिकता से जीत है येसु में विश्वास। क्रूस की मूर्खता और ख्रीस्त की विजय हमारी भी जीत है।

संसार येसु से बैर करता है और येसु सांसारिकता की भावना से बचाने हेतु पिता से हमारे लिए प्रार्थना करते हैं। दुनियादारी मार डालती है क्योंकि यह विश्वास से घृणा करती है। यह सभी ओर प्रवेश करती, यहाँ तक कि कलीसिया में भी घुस जाती है एवं मास्क लगा लेती है। हालांकि, विश्वास का अर्थ कट्टर होना अथवा दूसरों के साथ बातचीत नहीं करना भी नहीं है।

अंत में, संत पापा ने ख्रीस्तियों का आह्वान किया कि वे पवित्र आत्मा से कृपा की याचना करें ताकि वे आत्म-परख  कर सकें कि  दुनियादारी क्या है और सुसमाचार क्या है जिससे की वे धोखा खाने से बच सकें।

संत पापा का ख्रीस्तयाग 16 मई 2020

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16 May 2020, 09:47
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