खोज

संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

संत पापा ने यूरोप में एकता के लिए प्रार्थना की

संत पापा फ्राँसिस ने यूरोप के लिए प्रार्थना की कि इस संकट के समय में राष्ट्रों के बीच भाईचारा और एकता बनी रहे। अपने प्रवचन में संत पापा ने ईश्वर के प्रेम को याद कराया। क्रूसित येसु में पिता ईश्वर का प्रेम दृश्यमान है। आज क्रूस को देखते हुए कुछ समय बितायें। वहां सब कुछ पाते हैं, विज्ञान, ईश्वर का प्यार और ख्रीस्तीय ज्ञान।

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बुधवार 22 अप्रैल 2020 (रेई) : वाटिकन स्थित संत मर्था प्रार्थनालय में संत पापा फ्राँसिस ने पवित्र मिस्सा शुरु करने से पहले यूरोपीय संघ की एकता के लिए प्रार्थना की। संत पापा ने कहा, ʺइस समय हमारे बीच, राष्ट्रों के बीच एकता की आवश्यकता है, आज हम यूरोप की भ्रातृत्व एकता के लिए प्रार्थना करते हैं, जिसका यूरोपीय संघ के संस्थापकों ने सपना देखा था।ʺ

अपने प्रवचन में संत पापा ने संत योहन के सुसमाचार (3,16-21) पाठ पर चिंतन किया। संत पापा ने येसु और निकोदेमुस के बीच हुई वार्ता को बारंबार पढ़ने और चिंतन करने हेतु प्ररित किया। संत पापा ने कहा कि संत योहन के सुसमाचार का तीसरा अध्याय ईश्वर के प्रेम का रहस्योद्घाटन करता है। ईश्वर हमसे प्यार करते हैं, वे हमें दिवानों या पागलों की तरह प्यार करते हैं जैसा कि एक संत कहते हैं, ʺईश्वर का प्यार पागलपन की तरह लगता है।ʺ

ईश्वर का प्रेम

संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में येसु निकोदेमुस को बतलाते हैं, "ईश्वर ने संसार को इतना प्यार किया कि उसने उसके लिए अपने एकलौते पुत्र को अर्पित कर दिया, ताकि जो कोई भी उस पर विश्वास करता है उसका सर्वनाश न हो, लेकिन अनन्त जीवन प्राप्त करे। संत पापा ने कहा कि क्रूस पर असहाय मृत्यु द्वारा येसु ने मानवजाति के लिए अपने पिता के प्रेम को प्रकट किया। कई ख्रीस्तीय क्रूसित येसु को देखते हुए अपना समय बिताते हैं। वे क्रूस में सारा विज्ञान पाते हैं, ईश्वर के प्रेम की पूर्णता पाते हैं और ख्रीस्तीय ज्ञान का भंडार पाते है। क्रूस ईश्वर के प्रेम की अभिव्यक्ति है। हम जितना समय क्रूस पर चिंतन करेंगे, उतना ही हमें ईश्वरीय प्रेम की अनुभूति मिलेगी।

संसार की ज्योति

संत पापा ने कहा कि येसु संसार की ज्योति हैं। ज्योति संसार में आई और मनुष्यों ने ज्योति की अपेक्षा अन्धकार को अधिक पसंद किया, क्योंकि उनके कर्म बुरे थे। जो बराई करता है वह ज्योति से बैर करता है और ज्योति के पास इसलिए नहीं आता कि कहीं उसका कर्म प्रकट न हो जाए। संत पापा ने कहा कि जो लोग अंधेरे के अभ्यस्त हैं। प्रकाश उन्हें चकाचौंध करता है, वे देखने में असमर्थ हैं। वे मानव चमगादड़ हैं: वे केवल रात में चलना जानते हैं। हम भी, जब पाप में होते हैं,तो  हम प्रकाश को सहन नहीं करते हैं। अंधकार में रहना हमारे लिए अधिक आरामदायक है; प्रकाश हमें वह सब दिखाता है जो हम देखना नहीं चाहते हैं। हमारी आँखें अंधकार की अभ्यस्त हो जाती है। संत पापा ने कहा कि कितने लोग हैं जो मानव घोटाले और भ्रष्टाचार जीवन बिताना पसंद करते हैं। अंधे की तरह जीवन जीने के अभ्यस्त हो जाते हैं।

संत पापा ने अपने प्रवचन के अंत में यह सवाल पूछने के लिए आमंत्रित किया है: क्या मैं ईश्वर का पुत्र हूँ?  प्रकाश का पुत्र हूँ ? या अंधकार का पुत्र हूँ? संत पापा ने कहा आज हम प्रभु से कृपा मांगे कि हम क्रूस में ईश्वर के प्रेम को पा सकें और अपना दैनिक जीवन प्रभु के प्रकाश में बितायें। आत्मा का प्रकाश हमारे भीतर प्रवेश करे और हमारे जीवन के सारे अंधकार को दूर कर दे।

Thank you for reading our article. You can keep up-to-date by subscribing to our daily newsletter. Just click here

22 April 2020, 15:57
सभी को पढ़ें >