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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

प्रलोभन पर विजय पायें, संत पापा

संत पापा फ्रांसिस ने शनिवार के ख्रीस्तयाग में उन लोगों के लिए प्रार्थना की जो संकट के समय से फायदा उठाने के प्रलोभन में पड़ते हैं। अपने उपदेश में उन्होंने प्रलोभन की प्रकिया पर प्रकाश डाला।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 4 अप्रैल 2020 (रेई)- शनिवार को संत मर्था के प्रार्थनालय में मिस्सा शुरू करते संत पापा ने कहा, “इस अशांत, कठिन एवं दु­खद समय में, कई लोग अनेक अच्छे काम कर सकते हैं किन्तु कुछ लोग अच्छा करने का विचार नहीं कर सकते हैं जिससे कि वे स्थिति का फायदा उठाते हुए अपने लिए मुनाफा कमा सकें। हम प्रार्थना करे कि प्रभु सभी लोगों को ईमानदार एवं पारदर्शी अंतःकरण प्रदान करे।

अपने उपदेश में संत पापा ने आज के पाठों पर चिंतन करते हुए प्रलोभन किस तरह हमारे अंदर कार्य करता है इस पर प्रकाश डाला।  (यो. 11:45-58)

प्रलोभन बेचैन करता है

संत पापा ने कहा कि प्रलोभन की शुरूआत बेचैनी से होती है। महायाजकों के लिए बेचैनी की शुरूआत संत योहन बपतिस्ता से हुई पर चूँकि उसने अधिक प्रभाव नहीं डाला, उन्होंने उसे अकेला छोड़ दिया। बाद में येसु आये जिनके बारे योहन ने संकेत दिया था। “वे चिन्ह और चमत्कार करने लगे, सबसे बढ़कर लोगों के बातें करने लगे और लोगों ने उन्हें समझने एवं उनका अनुसरण करने लगे, जबकि येसु हमेशा सहिंता के अनुसार नहीं चलते थे इसने उन्हें बहुत अधिक बेचैन कर दिया।

प्रलोभन बढ़ता है

तब वे उनकी जाँच करना शुरू किये। कभी-कभी वे उनके प्रज्ञापूर्ण जवाब से आश्चर्यचकित हुए, उदाहरण के लिए एक महिला के सात पति।(मती. 22:23-34)। कई बार वे उनसे अपमानित भी हुए जैसा कि व्यभिचार में पकड़ी गयी स्त्री के मामले में(यो. 8.1-11)। जब वे उन्हें नहीं पकड़ सके तो उन्होंने सैनिकों को उन्हें गिरफ्तार करने भेजा। पर सैनिक भी येसु के शब्दों से प्रभावित हो गये, इस तरह कुछ लोग येसु पर विश्वास किये और कुछ लोग उनके बारे अधिकारियों को जानकारी दी।

प्रलोभन न्यायसंगत ठहराने की कोशिश करता है

 संत पापा ने गौर किया कि अंततः महायाजकों को येसु से पिड छुड़ाने के लिए निर्णय लेना पड़ा। उन्होंने कहा, “वह बहुत खतरनाक है हमें कुछ निर्णय लेना होगा। हम क्या कर सकते हैं? यह व्यक्ति बहुत सारा चमत्कार कर रहा है, अर्थात् वे चमत्कारों को स्वीकार कर रहे थे। फिर कहते हैं यदि हम उन्हें ऐसा करते रहने दें तब सभी लोग उनपर विश्वास करने लगेंगे, जो खतरनाक है। वे उनपर विश्वास करेंगे और हमसे दूर हो जायेंगे। यदि लोग उनके साथ नहीं होंगे तो रोमी आकर मंदिर और हमारे राष्ट्र को नष्ट कर देंगे। संत पापा ने कहा कि इसमें कुछ सच्चाई जरूर है किन्तु पूरा सच नहीं है, जिसको वे न्यायसंगत ठहराते हैं।

प्रलोभन की प्रक्रिया

संत पापा ने इस बात पर गौर किया कि किस तरह येसु के समय के नेताओं में जारी प्रक्रिया, आज हममें प्रलोभन के रूप में कार्य करती है। यह एक छोटी इच्छा या विचार के रूप में उत्पन्न होता है, जो धीरे धीरे बढ़ता, उसके बाद दूसरों को संक्रमित करता और अंत में हम अपने आपको को न्यायसंगत ठहराने लगते हैं। संत पापा ने कहा, “न्यायसंगत ठहराना, हमें अपने आपको आंतरिक रूप से शांत करने के लिए आवश्यक है।”

प्रक्रिया को पहचानना

उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के लिए एक औषधि है, जिसके अनुसार हमें अपने अंदर इस प्रक्रिया को पहचानना है... यह प्रक्रिया हमें अच्छा से बुरा में बदल देता है...यह कम ही बार ऐसा होता है कि प्रलोभन एक ही बार में आता है। शैतान हमें इस रास्ते पर ले जाता है। “जब हम पहचानते हैं कि हम पापा में हैं तब हमें प्रभु के पास जाना और क्षमा मांगना है, जो पहला कदम है। तब हमें अपने आप पर गौर करना है कि मैं किस तरह इस प्रलोभन में पड़ा? यह प्रक्रिया किस तरह मेरे हृदय में उत्पन्न हुई? किस तरह विकसित हुई? किनको मैंने संक्रमित किया? और अंत में मैंने अपने आपको गिरने से बचाने के लिए किस तरह न्यायसंगत ठहराया?

अपने उपदेश के अंत में संत पापा ने याद दिलाया कि येसु का जीवन हमेशा हमारे लिए उदाहरण है, येसु के साथ जो हुआ वह हमारे साथ भी होगा। उन्होंने प्रलोभन से बचने क लिए पवित्र आत्मा से प्रार्थना की।

 

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04 April 2020, 14:40
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