संत पापा ने दफन क्रिया हेतु सेवा देनेवालों के लिए प्रार्थना की
उशा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी
वाटिकन सिटी, शनिवार, 25 अप्रैल 2020 (रेई)- संत पापा ने ख्रीस्तयाग के आरम्भ में दफन क्रिया में सेवा देनेवालों के लिए प्रार्थना का आह्वान करते हुए कहा, "वे जो कुछ करते हैं वह बहुत दर्दनाक एवं दुखद है। वे इस महामारी की पीड़ा से नजदीकी से स्पर्श किये जा रहे हैं।"
सुसमाचार लेखक संत मारकुस का पर्व मनाते हुए संत पापा ने अपने उपदेश में संत मारकुस रचित सुसमाचार पाठ पर चिंतन किया जिसमें येसु पिता के पास जाने से पहले अपने शिष्यों को सुसमाचार प्रचार के लिए भेजते हैं, "संसार के कोने-कोने में जाकर सारी सृष्टि को सुसमाचार सुनाओ।"
अपने आप से बाहर निकलना
विश्वास के मिशनरी स्वभाव पर प्रकाश डालते हुए संत पापा ने कहा, "विश्वास या तो मिशनरी है अथवा विश्वास ही नहीं है। यह केवल अपने लिए नहीं है। व्यक्ति विश्वास से बढ़ता है जो उसे अपने आपसे बाहर निकलने एवं दूसरों के पास जाने के लिए प्रेरित करता है, भेजे जाने का अर्थ यही है। विश्वास को हस्तांतरित किया जाना है इसे बांटा जाना और सबसे बढ़कर साक्ष्य द्वारा प्रस्तुत किया जाना है।"
संत पापा ने एक पुरोहित की याद की जो यूरोप के एक शहर में कार्य करता था जो धर्मविरोधी एवं ख्रीस्तीयों में विश्वास की कमी की शिकायत करता था। संत पापा ने कहा कि यह मिशनरी मनोभाव की कमी के कारण होता है। विश्वास वह है जिसको हम प्रदान करते हैं, सबसे बढ़कर अपने साक्ष्य द्वारा।
विश्वास का हस्तांतरण
संत पापा ने कहा कि पहचान पत्र पर ख्रीस्तीयों का पद महज एक आंकड़ा है, सांस्कृतिक है। यह विश्वास नहीं है। विश्वास वास्तव में हमें बाहर निकालता, यह दूसरों को बांटने के लिए प्रेरित करता है क्योंकि विश्वास को हस्तांतरित किया जाना आवश्यक है। यह चुपचाप नहीं रह सकता। मिशनरी होने का अर्थ केवल किसी दूर भौगोलिक क्षेत्र की यात्रा करना नहीं है। इसका अर्थ है कि हम विश्वास करें, अपने आप से बाहर निकलें और सामाजिक रूप से इसे प्रकट करें। इसका अर्थ धर्मांतरण भी नहीं है जैसे कि एक फुटबॉल टीम या एक चैरिटी कार्य के लिए लोगों की भर्ती की जाती है।
ठोस साक्ष्य
विश्वास के हस्तांतरण का अर्थ है साक्ष्य एवं सेवा द्वारा ईश्वर को प्रकट करना ताकि पवित्र आत्मा लोगों में कार्य कर सके। संत पापा ने कहा कि सेवा जीवन का एक रास्ता है। यदि मैं कहता हूँ कि मैं एक ख्रीस्तीय हूँ और गैरख्रीस्तीय की तरह जीता हूँ तो कोई भी मुझपर यकीन नहीं करेगा। इसके विपरीत, यदि मैं ख्रीस्तीय हूँ और ख्रीस्तियों की तरह जीता हूँ तब लोग मेरी ओर आकर्षित होंगे और यही साक्ष्य है।
पोलैंड के एक कॉलेज के विद्यार्थी ने संत पापा से सवाल किया था कि वह अपने नास्तिक मित्रों को किस तरह यकीन दिला सकता है। संत पापा ने जवाब में कहा था, "कुछ कहना, सबसे अंत में होना चाहिए, जीना शुरू करें और आपके साक्ष्य को देखकर, वे आपसे पूछेंगे, आप क्यों इस तरह जीते हैं?" संत पापा ने कहा कि विश्वास को हस्तांतरित किया जाना चाहिए केवल यकीन दिलाने के लिए नहीं बल्कि एक खजाने को बांटने के रूप में।
विनम्रता
संत पापा ने कहा कि इस कार्य को नम्रता से किया जाना चाहिए जैसा कि संत पेत्रुस पहले पत्र में आग्रह करते हैं। "आप सबके सब नम्रता पूर्वक एक दूसरे की सेवा करें।” (1 पेत्रुस 5:5).
संत पापा ने कहा कि कलीसिया, इतिहास, संगठनों एवं दलों में बहुत सारे स्त्री-पुरूष हैं जो धर्मांतरण करनेवालों के समान प्रचार करते हैं और अंत में भ्रष्टाचार में पड़ जाते हैं।
संत पापा ने अपने उपदेश के अंत में कहा कि प्रभु हमें आश्वासन देते हैं कि यदि हम उनका साक्ष्य देने के लिए अपने आपसे बाहर निकलेंगे तब हम वफादार होंगे और अनोखे रूप से कार्य करेंगे। विचारधाराओं को बांटने के लिए शिक्षकों की आवश्यकता है किन्तु विश्वास का प्रचार करने के लिए प्रभु हमारे साथ होंगे और दुनिया के अंत तक हमारा साथ देंगे।
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