ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस 

येसु हम प्रत्येक के लिए प्रार्थना करते हैं, संत पापा

वाटिकन के प्रेरितिक आवास संत मर्था के प्रार्थनालय में बृहस्पतिवार को ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए संत पापा फ्राँसिस ने सूदखोरों के मन-परिवर्तन के लिए प्रार्थना की जो महामारी से उत्पन्न कठिनाईयों का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने विश्वासियों को निमंत्रण दिया कि वे येसु पर भरोसा रखें जो हमारे लिए प्रार्थना करते हैं।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, बृहस्पतिवार, 23 अप्रैल 20 (रेई)- संत पापा ने बृहस्पतिवार को ख्रीस्तयाग शुरू करते हुए कहा, "कई स्थानों में, महामारी के प्रभावों में से एक प्रभाव है कि कई परिवार अपने आपको अभावग्रस्त पा रहे हैं और वे भूखे हैं।" उन्होंने गौर किया कि दुर्भाग्य से बेईमान सूदखोर इस परिस्थिति का फायदा उठा रहे हैं। उन्होंने कहा, "यह दूसरा महामारी है, दूसरा वायरस, यह एक सामाजिक महामारी है।" कई परिवार जो काम नहीं कर रहे हैं और जिनके पास अपने बच्चों को खिलाने के लिए भोजन नहीं है वे सुदखोरों के शिकार हो रहे हैं और उन्हें उन चीजों से भी हाथ धोना पड़ रहा है जो थोड़ा उनके पास है। हम उन परिवारों के लिए, उनकी प्रतिष्ठा के लिए प्रार्थना करें और हम सुदखोरों के लिए भी प्रार्थना करें ताकि प्रभु उनके हृदयों को स्पर्श करे और उन्हें बदल दे।

पेत्रुस का साहस

अपने उपदेश में संत पापा ने आज के पाठों पर चिंतन कया।(प्रे.च 5:27-33) पहला पाठ प्रेरित-चरित से लिया गया है। संत पापा ने कहा, "पहला पाठ बतलाता है कि जब प्रेरितों को सैनिकों द्वारा महासभा के सामने पेश किया गया और महायाजकों ने सवाल किया, "हमने तुम लोगों को कड़ा आदेश दिया था कि वह नाम (येसु) लेकर शिक्षा मत दिया करो। परन्तु तुम लोगों ने येरूसालेम के कोने-कोने में अपनी शिक्षा का प्रचार किया है और उस मनुष्य के रक्त की जिम्मेदारी हमारे सिर पर मढ़ना चाहते हो।” तब प्रेरित, खासकर, पेत्रुस ने साहसी और निर्भीक होकर अपने विश्वास को प्रकट किया, "हम ईश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं। हम ईश्वर के प्रति आज्ञाकारी हैं और तुम लोग दोषी हो।"

संत पापा ने याद किया कि पेत्रुस वही व्यक्ति है जिसने येसु को अस्वीकार किया था जो अत्यन्त डरपोक एवं कायर था। उन्होंने कहा कि इस मुकाम पर वह कैसे पहुँचा?

उन्होंने कहा कि यह पवित्र आत्मा का कार्य था जिसको ईश्वर उन लोगों को प्रदान करते हैं जो उनकी आज्ञाओं का पालन करते हैं। पेत्रुस उनके साथ समझौता कर सकता था, उपदेश देते समय अपनी आवाज कम कर सकता था जिससे कि वह उनके हाथों से बचकर शांति से रह सके, किन्तु उसने एक ऐसे रास्ते को अपनाया, जिसमें उसने साहस और निर्भीकता दिखलायी। संत पापा ने याद किया कि कलीसिया के इतिहास में सदस्यों को ईश प्रजा को बचाने के लिए बहुधा ऐसा ही करना पड़ता था, जबकि कई अवसरों पर कलीसिया के नेताओं ने पवित्र कलीसिया को बचाने के बदले, अपने आपको बचाने के लिए समझौता किया। पेत्रुस ऐसा नहीं किया उसने अपने विश्वास के साथ समझौता करने के बदले साहसी बनने का रास्ता अपनाया। वह बड़े उत्साह से प्यार करता था किन्तु वह डरपोक भी था। वह इतना खुला था कि ईश्वर ने उसे प्रकट किया कि येसु ईश्वर के पुत्र हैं, पर वह येसु को अस्वीकार करने के प्रलोभन में भी पड़ गया। अंततः वह प्रलोभन से कृपा की ओर बढ़ा।

पेत्रुस का रहस्य

संत पापा ने कहा, "उसे कहाँ से ये शक्ति मिली?" एक वाक्य है जो हमें समझने में मदद देगा। दुःखभोग के पहले येसु अपने चेलों से कहते हैं, "तुम गेहूँ की तरह फटके जाओगे, यह प्रलोभन का समय है तुम गेहूँ की तरह ओसाये जाओगे।" पेत्रुस से येसु कहते हैं, "किन्तु मैंने तुम्हारे लिए प्रार्थना की है जिससे कि तुम्हारा विश्वास कमजोर न हो।"

संत पापा ने कहा कि जिस तरह येसु ने पेत्रुस के लिए प्रार्थना की उसी तरह वे हमारे लिए भी प्रार्थना करते हैं। उन्होंने विश्वासियों को आमंत्रित किया कि वे न केवल कृपा प्राप्त करने के लिए प्रार्थना न करें बल्कि येसु पर भी चिंतन करें जो पिता को अपना घाव दिखलाते हैं। हम येसु की प्रार्थना के लिए उन्हें धन्यवाद दें और अपना आभार प्रकट करें।

संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते संत पापा फ्राँसिस

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23 April 2020, 17:02
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