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संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस 

संत मर्था ख्रीस्तयाग ˸ प्रार्थना की शुरूआत दीनता से

संत पापा फ्राँसिस ने 21 मार्च को वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए परिवारों के लिए प्रार्थना की जो इस समय कोरोना वायरस के कारण घरों में अपने बच्चों के साथ बंद रहने के लिए मजबूर हैं। प्रवचन में उन्होंने अपने आपको धर्मी माने बिना दीनता से प्रार्थना करने की सलाह दी।

उषा मनोरमा तिरकी-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, शनिवार, 21 मार्च 2020 (रेई)˸ संत पापा फ्राँसिस ने 21 मार्च को वाटिकन के संत मर्था प्रार्थनालय में ख्रीस्तयाग अर्पित करते हुए परिवारों के लिए प्रार्थना की जो इस समय कोरोना वायरस के कारण घरों में अपने बच्चों के साथ बंद रहने के लिए मजबूर हैं। प्रवचन में उन्होंने अपने आपको धर्मी माने बिना दीनता से प्रार्थना करने की सलाह दी।

संत पापा इन दिनों हर रोज संत मर्था के प्रार्थनालय से ख्रीस्तयाग अर्पित कर रहे हैं जिसको लाईव प्रसारित किया जा रहा है। यह कोरोना वायरस की महामारी को रोकना का एक उपाय है। ख्रीस्तयाग में उन्होंने परिवारों को विशेष रूप से याद किया।

परिवारों के लिए प्रार्थना

उन्होंने कहा, "आज मैं परिवारों की याद करता हूँ जो अपने घरों से बाहर नहीं निकल सकते। शायद उनके लिए एक ही क्षितिज है बालकनी। परिवार में बच्चे, जवान बेटे- बेटियाँ और माता-पिता एक साथ रह रहे हैं वे परिवार में प्रेमपूर्ण संबंध बनाकर एक-दूसरे से मिल-जुलकर रह सकें। वे इस समय की चिंताओं से परिवार में एक साथ ऊपर उठ सकें। इस संकट की घड़ी में आज हम परिवारों में शांति के लिए प्रार्थना करते हैं।"  

प्रवचन में संत पापा ने आज के पाठों पर चिंतन किया, जिसमें पहला पाठ नबी होशेआ के ग्रंथ से (होशे 6˸1-6) तथा सुसमाचार पाठ, संत लूकस (लूक. 18,9-14) रचित सुसमाचार से लिया गया है। संत पापा ने अपील की कि हम दीनता पूर्वक, अपने आपको दूसरों से धर्मी माने बिना प्रार्थना करें।  

प्रभु के पास वापस लौटना

कल के पाठ में आह्वान किया गया था कि "अपने प्रभु ईश्वर के पास लौट आओ।" आज उस आह्वान का जवाब दिया गया है, "आओ, हम प्रभु के पास चलें।" जब घर वापस लौटने की बात हृदय को छूती है तब हम प्रभु के पास आते हैं। "उसने हमको घायल किया, वही हमें चंगा करेगा, उसने हमको मारा, वही हमारे घावों पर पट्टी बांधेगा। आओ हम प्रभु का ज्ञान प्राप्त करने का प्रयास करें उसका आगमन भोर की तरह निश्चित है। वे पृथ्वी को सींचने वाली हितकारी वर्षा की तरह हमारे पास आयेंगे।" इस आशा से लोग प्रभु की ओर लौटने हेतु अपनी यात्रा शुरू करते हैं और प्रभु को पाने का एक रास्ता है प्रार्थना। संत पापा ने कहा कि उनकी ओर लौटते हुए हम प्रार्थना करें।

दीनता और अभिमान

सुसमाचार में येसु हमें सिखलाते हैं कि हमें किस तरह प्रार्थना करना है। दो व्यक्ति थे एक फरीसी एवं दूसरा नाकेदार। फरीसी बड़े आत्मविश्वास के साथ अपने को धर्मी मानता और दूसरों को तुच्छ समझता था। वह ईश्वर से इस तरह प्रार्थना करने लगा, "ईश्वर, मैं तुझे धन्यवाद देता हूँ कि मैं दूसरे लोगों की तरह लोभी, अन्यायी एवं व्यभिचारी नहीं हूँ और न ही इस नाकेदार की तरह ही।" वह ईश्वर को अपने भले कार्यों का हिसाब देने लगा। संत पापा ने कहा कि यह दृष्टांत हमें दो अन्य व्यक्तियों की भी याद दिलाता है। ऊड़ाव पुत्र के दृष्टांत में बड़ा बेटा अपने पिता के पास जाता और कहता है, "देखिये मैं इतने बरसों से आपकी सेवा करता आया हूँ। मैंने कभी आपकी आज्ञा का उलंघन नहीं किया है फिर भी आपने कभी बकरी का बच्चा तक नहीं दिया ताकि मैं अपने मित्रों के साथ आनन्द मनाऊँ।" वह अपने छोटे भाई के बारे नाकेदार के समान सोचता है। वह वास्तव में धनी व्यक्ति के समान है जो गुमनाम था। वह धनी है किन्तु पहचान के बिना। वह दूसरों की दुर्दशा पर कोई ध्यान नहीं देता। यह उन सभी की स्थिति है जो अपने आप पर, अपने धन अथवा शक्ति पर भरोसा रखते हैं।

दूसरा व्यक्ति है नाकेदार। वह वेदी के नजदीक नहीं जाता बल्कि दूर ही खड़ा होकर प्रार्थना करता है। उसे स्वर्ग की ओर आँखें उठाने तक का साहस नहीं हो रहा था। वह अपनी छाती पीटता और कहता है, "प्रभु, मुझ पापी पर दया कर।" यह भी ऊड़ाव पुत्र की याद दिलाता है। ऊड़ाव पुत्र भी अपने पापों को स्वीकार करता है और पश्चाताप करते हुए अपनी छाती पीटता है।" पिताजी मैंने स्वर्ग के विरूद्ध और आपके प्रति पाप किया है, मैं आपका पुत्र कहलाने योग्य नहीं रहा। यही दुर्दशा उस गरीब लाजरूस की भी थी, जो एक धनी व्यक्ति के सामने अत्यन्त गरीबी में जीवन बिता रहा था। संत पापा ने कहा कि सुसमाचार में इसी तरह विराधाभास पूर्ण लोगों को जोड़कर दिखाया गया है।

हम किस तरह प्रार्थना करें

यहाँ प्रभु हमें सिखलाना चाहते हैं कि हम किस तरह प्रार्थना करें। किस तरह उनके पास आयें। हमें दीनता से प्रभु के पास आना है। संत पापा ने कहा कि जब लोग यर्दन नदी में बपतिस्मा ग्रहण करने आते थे तब वे खुले हृदय से आते थे। उसी तरह, जब हम मिस्सा शुरू करते हैं तब हम प्रभु से क्षमा मांगते हैं जिसके लिए हमें प्रभु को अपने सारे पापों और कमजोरियों को दिखाने की आवश्यकता है। प्रभु हमें यही सिखलाते हैं। यदि हम आत्मविश्वास के साथ अपने आपको सही ठहरायेंगे, तो हम भी फरीसी अथवा, बड़े बेटे या धनी व्यक्ति की तरह दूसरों को तुच्छ मानने के खतरे में पड़ेंगे। हमारी सुरक्षा किसी और चीज में होगी, पर दिखावा के लिए हम उनके पास आयेंगे कि मैं आमने-सामने प्रभु से बात कर सकता हूँ। यह सही रास्ता नहीं है। नाकेदार ने सच्चाई को समझा। उसने कहा, "ईश्वर, मुझ पापी पर दया कर।" हमें न केवल मूँह से बल्कि हृदय से स्वीकार करना है कि मैं पापी हूँ।  

संत पापा ने विश्वासियों का आह्वान करते हुए कहा, "आइये, हम प्रभु की शिक्षा को न भूलें। घमंड से अपने आपको न्यायसंगत न ठहरायें, अपने आपको धर्मी न मानें। हम अपने पापों को बिना ढके, खुले हृदय से स्वीकार करें।"

प्रभु हमें समझाते हैं कि जब हम अपनी प्रार्थना की शुरूआत अपने आपको सही ठहराते हुए करते हैं तब यह प्रार्थना नहीं रह जाती। यह दर्पण के सामने बात करने के समान होती है, पर यदि हम अपनी असलियत के साथ प्रार्थना करेंगे तब यह सही मनोभाव  होगा, जिसपर प्रभु ध्यान देंगे। उन्होंने प्रार्थना की कि प्रभु हमें सच्चे हृदय से प्रार्थना करना सिखा दे।

संत पापा ने मिस्सा के अंत में आराधना प्रार्थना की और सभी को पवित्र यूखरिस्त की आशी प्रदान की।

 संत पापा की प्रार्थना

संत पापा ने इस प्रकार प्रार्थना की, "मेरे येसु, आप वेदी के पावन संस्कार में सचमुच उपस्थित हैं। मैं सब कुछ से बढ़कर आपको प्यार करता हूँ और अपनी आत्मा में तुझे पाना चाहता हूँ, चूँकि मैं इस समय आपको साक्षात् रूप से ग्रहण नहीं कर सकता, अतः आप आध्यात्मिक रूप से ही मेरे हृदय में आइये। आपका स्वागत करते हुए मैं आपका आलिंगन करता एवं अपने आपको तुझसे पूरी तरह संयुक्त करता हूँ। कभी ऐसा न हो कि मैं तुझ से अलग हो जाऊँ।"

संत मर्था में ख्रीस्तायाग अर्पित करते संत पापा

 

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21 March 2020, 13:10
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