संत पापा फ्राँसिस संत पापा फ्राँसिस  (ANSA)

परिवारों को प्यार प्रकट करने के नए तरीके मिले, संत पापा

एक बार फिर, संत पापा फ्राँसिस ने उन परिवारों के लिए अपनी चिंता व्यक्त की, जो अपने बच्चों के साथ घर पर बंद हैं, "प्रभु उन्हें प्यार के नए भाव खोजने में मदद करें।"

माग्रेट सुनीता मिंज-वाटिकन सिटी

वाटिकन सिटी, सोमवार 16 मार्च 2020 (वाटिकन न्यूज) : सोमवार 16 मार्च को वाटिकन स्थित प्रेरितिक निवास संत मार्था के प्रार्थनालय में सुबह पवित्र मिस्सा समारोह शुरु करने के पहले संत पापा फ्राँसिस ने पुनः उन सभी परिवारों को याद करते हुए प्रार्थना की, जो अपने बच्चों के साथ घरों में बंद हैं। “प्रभु इस नई स्थिति में साथ रहने के नए तरीके, प्रेम के नए भाव खोजने में उनकी मदद करें। यह स्नेह को पुनः प्राप्त करने का एक सुंदर अवसर है…। आइए, परिवारों के लिए प्रार्थना करें ताकि इस पल में परिवार में रिश्ते हमेशा अच्छाई के लिए पनप सके।”

आक्रोश

संत पापा फ्राँसिस ने दैनिक पाठों (2 राजा 5:1-15; लूक 4:24-30) के आधार पर नाजरेथ के आराधनालय के लोगों और नामान के व्यवहार पर चिंतन किया।

संत पापा ने कहा कि आज के दोनों पाठों में आक्रोश को व्यक्त किया गया है। आराधनालय में लोग येसु की बातों को सुनकर बहुत क्रुद्ध हो गये। वे आराधनालय से येसु को बाहर निकालकर नगर से बाहर उस चोटी तक ले गये ताकि वे येसु के नीचे गिरा सकें। नामान भी कोद्धित हो गया जब एलिशा ने कोढ़ से निजात पाने के लिए उसे यर्दन नदी में सात बार डुबकी लगाने को कहा। नामान ने अपने गुस्से को बातों द्वारा प्रकट किया। संत पापा ने कहा,"क्रोद्ध हमेशा शारीरिक या मौखिक हिंसा की ओर ले जाता है।"

संत पापा ने कहा कि नामान और नाजरेथ के लोग अच्छे लोग थे परंतु वह कौन सी बात थी जससे वे क्रोद्धित थे? संत पापा ने कहा, ईश्वर के बारे में उनका विचार था कि ईश्वर "केवल असाधारण रुप से या चमत्कार के रुप में स्वयं को प्रकट करते हैं। ईश्वर सामान्यताओं के माध्यम से या सरलता में कार्य नहीं कर सकते हैं।"

सादगी के खिलाफ प्रतिक्रिया

संत पापा ने कहा,"नामान और नाजरेथ के लोगों ने साधारण चीजों की अहमियत को नहीं समझा। ईश्वर हमें समझाते हैं कि वे हमेशा सरल चीजों के माध्यम से कार्य करते हैं: नाज़रेथ के घर की सादगी ... रोजमर्रा के काम की सरलता ... प्रार्थना की सादगी ... सरल चीजों के माध्यम से ईश्वर अपने प्रकट करते हैं। इसके बजाय, सांसारिक आत्मा हमें घमंड और दिखावे की ओर ले जाती है और ये दोनों हिंसा को प्रेरित करते हैं।"

अपने प्रवचन के अंत में संत पापा ने सांसारिक आत्मा से अपने-आपको दूर रहने और दैनिक जीवन के साधारण कार्य कलापों में ईश्वर की पस्थिति को पहचानने हेतु कृपा मांगने के लिए प्रेरित किया।

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16 March 2020, 14:12
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